रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, December 23, 2007

नाता (अनुपमा चौहान की आवाज़ में गीत)



७ मार्च २००७ को हिन्द-युग्म पर एक गीत प्रकाशित हुआ था 'नाता'। आज हम उसी गीत को इसकी रचनाकार अनुपमा चौहान की आवाज़ में रिकार्ड करके आपके सेवा में दुबारा उपस्थित हुए हैं। आशा है आपको पसंद आयेगा।

स्वर- अनुपमा चौहान
बोल- नाता

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Wednesday, December 12, 2007

ज़िंदा हो गया है (कहानी)



हमने पॉडकास्ट ब्लॉग 'आवाज़' की शुरूआत सूरज प्रकाश की कहानी 'एक जीवन समांतर' से की थी। आज कहानी सुनाने के क्रम में हम लाये हैं राजीव रंजन प्रसाद के स्वर में इन्हीं की कहानी 'ज़िंदा हो गया है'। यह कहानी कहानी-कलश पर २६ सितम्बर २००७ को प्रकाशित है।

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Monday, December 10, 2007

बाल-दिवस - किसके लिए?



कुछ दिनों पूर्व हिन्द-युग्म जब नवम्बर माह की प्रतियोगिता से हमने पंखुड़ी कुमारी की कविता 'बाल दिवस -किसके लिए?' प्रकाशित की थी तो हमारे एक पाठक शैलेश चन्द्र जम्लोकी (मुनि) ने अनुरोध किया था कि इस कविता को सुरों में ढाला जाना चाहिए। हमने स्वरबद्ध तो नहीं किया है लेकिन हाँ, विकास कुमार की आवाज़ में पॉडकास्ट अवश्य कर रहे हैं।

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Sunday, December 9, 2007

तरबूज का भूत



पिछले महीने हिन्द-युग्म ने उद्‌घोषणा की थी कि जल्द ही प्रो॰ राजीव शर्मा की आवाज में उन्हीं की व्यंग्य कविताएँ पॉडकास्ट की जायेंगी। आज हम पहली व्यंग्य कविता लेकर हाज़िर हैं।

विपुल शुक्ला के सहयोग से प्रो॰ राजीव शर्मा की व्यंग्य रचना 'तरबूज का भूत' हम तक पहुँच सका है।

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Tuesday, December 4, 2007

कहानी का प्रसारण



हिन्द-युग्म बहुत समय से ऐसा विचार कर रहा था कि कहानी-कलश का पॉडकास्ट करे साथ ही साथ महान कहानीकारों की कहानियों का पॉडकास्ट करे। हिन्द-युग्म के दमदार आवाज़ विकास कुमार ने महान कथाओं को पॉडकास्ट का काम 'सुनो कहानी' पर शुरू भी कर दिया है।

आज हम इसी दिशा में अगली कोशिश कहानी-कलश की कहानी का पॉडकास्ट प्रसारित करके कर रहे हैं। पहली कहानी है वरिष्ठ कथाकार सूरज प्रकाश की कहानी 'दो जीवन समांतर'। जिसे आवाज़ दिया है श्रीकांत मिश्र 'कांत' और शोभा महेन्द्रू ने। मज़ेदार बात यह है हमने यह ऑडियो भी इंटरनेट के कमाल से बनाया है। जीटॉक पर ही पूरा अभिनय हुआ है। श्रीकांत मिश्र 'कांत' ने चंडीगढ़ से तो शोभा महेन्द्रू ने फ़रीदाबाद से अपनी आवाज़ दी है।

(परिचय स्वर- श्वेता मिश्र)

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ज़रूर बतायें कि हमारा यह प्रयास कैसा लगा?

वेश्या - Veshya



कवि- रविन्दर टमकोरिया 'व्याकुल'

स्वर- विकास कुमार

अक्षर- वेश्या

स्रोत- हिन्द-युग्म

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वो नर्म सी ( Wo Narm see)



हिन्द-युग्म ने अपना दूसरा संगीतबद्ध गीत भी ज़ारी कर दिया गया है। १९ नवम्बर २००७ को हिन्द-युग्म की उसी पुरानी टीम ने नया गीत श्रोताओं के हवाले कर दिया। पूरा विवरण यहाँ है।
कवि- सजीव सारथी
स्वर- सुबोध साठे
संगीत-ऋषि एस॰ बालाजी
अक्षर- वो नर्म सी...
स्रोत- हिन्द-युग्म
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सुबह की ताज़गी हो (Subah ki Tazagi ho)



हिन्द-युग्म दिसम्बर के अंत तक ८ गीतों का एक संगीत अल्बम पूरा कर लेना चाहता है। इस दिशा में युग्म ने पहला प्रयास किया है। हिन्द-युग्म का पहला संगीतबद्ध गीत 'सुबह की ताज़गी हो' (सुबोध साठे द्वारा गाया हुआ, ऋषि एस॰ बालाजी द्वारा संगीतबद्ध तथा सजीव सारथी द्वारा रचित) २७ अक्टूबर को लॉन्च किया गया था। पूरा विवरण और टिप्पणियाँ यहाँ प्रकाशित हैं।

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कवि- सजीव सारथी
स्वर- सुबोध साठे
संगीत-ऋषि एस॰ बालाजी
अक्षर- सुबह की ताज़गी
स्रोत- हिन्द-युग्म

युग्मवाणी ( Yugmvani )



कई बार शब्दों में परिचय जानना मुश्किल हो जाता है। कभी-कभी लेखक को लगता है कि मैं अपने दिल की बात नहीं बता पा रहा हूँ। इसलिए हिन्द-युग्म के वाहक निखिल आनंद गिरि ने अपने दो सहयोगियो महविश रहमान और रितिका पंत के साथ मिलकर हिन्द-युग्म का परिचय रिकार्ड किया। आप सभी सुनें और हमारे इस यज्ञ में अपनी आहूति दें।



Hind_yugm

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विविधभारती पर हिन्द-युग्म चर्चा ( Broadcasting on Vividh Bharati about Hind Yugm)



आकाशवाणी के पंचरंगी चैनल विविध भारती पर पिटारा के यूथ-एक्सप्रेस कार्यक्रम में रेडियो जॉकी यूनुस खान ने रविवार, २३ सितम्बर २००७ को हिन्द-युग्म पर जानकारी अपने श्रोताओं को दी थी। उस दौरान इसे प्रमेन्द्र प्रताप सिंह ने रिकार्ड कर लिया था। उसे हम यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं।

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Monday, December 3, 2007

हिन्द-युग्म की आवाज़ें सुनना हुआ आसान



हिन्द-युग्म के पाठकों की यह शिकायत थी कि माईपॉडकास्ट डॉट कॉम का सरवर बहुत स्लो है, इसलिए सभी आसानी से नहीं सुन पाते हैं। कई श्रोताओं को वहाँ कमेंट करने में भी परेशानी आती थी। हिन्द-युग्म के पॉडकास्ट का ब्लॉग भी सभी एग्रीगेटर पर १२ घण्टे के पीछे के समय पर दिखता था, इसलिए भी नये पाठकों को परेशानी होती थी। इसलिए यह निर्णय लिया गया कि नया ब्लॉग बनाया जाय। हम आडियो को भलें ही कहीं और अपलोड करें लेकिन सुनने की सुविधा और सूचना अपने श्रोताओं को इसी मंच के ज़रिये दें तो बेहतर होगा।

इसलिए यह प्रयास किया जा रहा है। इसके नियंत्रण की जिम्मेदारी हमारे पुराने आवाज़ विकास कुमार, सजीव सारथी, श्रीकांत मिश्र 'कांत' और शोभा महेन्द्रू सम्हालेंगे।

इस ब्लॉग पर हिन्द-युग्म के कविताएँ, कहानियाँ, बाल रचनाएँ, संगीतबद्ध गीत आदि प्रसारित होंगे।

यदि आप भी इस प्रयास से जुड़ना चाहते हैं तो कृपया यहाँ देखें।

संग्रहालय

25 नई सुरांगिनियाँ