'ओल्ड इज़ गोल्ड रिवाइवल' की पाँचवीं कड़ी में आज प्रस्तुत है १९६४ की फ़िल्म 'बहारें फिर भी आएँगी' का गीत "आप के हसीन रुख़ पे आज नया नूर है, मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है"। इस गीत को मोहम्मद रफ़ी ने गाया है, ओ.पी. नय्यर ने स्वरबद्ध किया है, और लिखा है गीतकार अंजान ने। अंजान बनारस में कवि सम्मेलनों और मुशायरों में जाया करते थे। उन्हे हिंदी से बहुत लगाव था और अपनी रचनाओं में कम उर्दू का प्रयोग करते थे, लेकिन यह बात भी सच है कि बनारस में वो मुशायरों की शान थे। उनकी पकड़ उर्दू पर भी कम मज़बूत नहीं थी। इसका प्रमाण आज का प्रस्तुत गीत ही है। अंजान साहब लिखते हैं "जहाँ जहाँ पड़े क़दम वहाँ फ़िज़ा बदल गई, कि जैसे सर बसर बहार आप ही में ढल गई, किसी में यह कशिश कहाँ जो आप में हुज़ूर है, मेरा दिल मचल गया तो मेरा क्या कसूर है"। अंजान ने अपनी फ़िल्मी करीयर शुरु की १९५३ में बनी प्रेम नाथ की फ़िल्म 'प्रिज़नर्स ऒफ़ गोलकोण्डा' में गीत लिख कर। फिर उसके बाद कई कम बजट फ़िल्मों में गीत लिखे। इनमें फ़िल्म 'लम्बे हाथ' का गाना लोकप्रिय हुआ था, "प्यार की राह दिखा दुनिया को, रोके जो नफ़रत की आंधी, तुम में ही कोई गौतम होगा, तुम में ही कोई होगा गांधी"। 'बहारें फिर भी आएँगी' गुरु दुत्त साहब की आख़िरी फ़िल्म थी बतौर निर्माता। फ़िल्म को निर्देशित किया शाहिद लतीफ़ ने, लिखा अबरार अल्वी ने, और मुख्य कलाकार थे शर्मेन्द्र, माला सिन्हा, तनुजा और रहमान। महत्वपूर्ण बात इस फ़िल्म के बारे में यह है कि इस फ़िल्म का निर्माण गुरु दत्त साहब को नायक बना कर ही शुरु हुआ था, लेकिन उनकी अकाल मृत्यु की वजह से इसे फिर से शुरु करना पड़ा और इस बार धर्मेन्द्र को नायक बनाया गया। तो लीजिए १९६६ की इस फ़िल्म का यह यादगार गीत सुनिए।
ओल्ड इस गोल्ड एक ऐसी शृंखला जिसने अंतरजाल पर ४०० शानदार एपिसोड पूरे कर एक नया रिकॉर्ड बनाया. हिंदी फिल्मों के ये सदाबहार ओल्ड गोल्ड नगमें जब भी रेडियो/ टेलीविज़न या फिर ओल्ड इस गोल्ड जैसे मंचों से आपके कानों तक पहुँचते हैं तो इनका जादू आपके दिलो जेहन पर चढ कर बोलने लगता है. आपका भी मन कर उठता है न कुछ गुनगुनाने को ?, कुछ लोग बाथरूम तक सीमित रह जाते हैं तो कुछ माईक उठा कर गाने की हिम्मत जुटा लेते हैं, गुजरे दिनों के उन महान फनकारों की कलात्मक ऊर्जा को स्वरांजली दे रहे हैं, आज के युग के कुछ अमेच्युर तो कुछ सधे हुए कलाकार. तो सुनिए आज का कवर संस्करण
गीत - आपके हसीं रुख पे
कवर गायन - हेमंत बदया
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हेमंत बदया
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खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
धन्यवाद. अनजान साहेब के बारे में बहुत नयी और अच्छी जानकारी ज्ञात हुई.
ReplyDeleteहेमंत जी की आवाज़ में गीत भी अच्छा लगा.
उनको भी ढेर सारी शुभकामनाएं.
अवध लाल
arre hemnt ji kahan the itne din? bda pyara gate ho bhai. mja aa gaya.
ReplyDeleteekdm sdhi hui aawaj ,trained. bdhaii
इश्वर आपको कामयाबी दी.
प्रश्नों की ऐसी आदत दाल दि पहले तो और अब जब छुट्टियाँ पड़ने वाली है तो................
अरे इन गानों से सम्बन्धित सवाल क्यों नही पूछे जा सकते?
अब दिन भर गाती रहूँ???
'रात जो आये ढल जाये प्यासी ,
दिन का है दूजा नाम उदासी
निंदिया न आये अब मेरे द्वारे
(हाय मेरे प्रश्नों )
तेरे बिन सूने नयन हमारे
हैं तेरे बिन सूने '
पर क्या फायदा? हाले दिल किस से कहें कोई भी गमखार नही,
चुप ही रहना है यहाँ
हाले दिल की ये जलन
कबीले इज़हार नही '
या
किसको सुनाऊँ हाले दिल
किसको दिखाऊँ दिल के दागजाऊं कहाँ कि दूर तक जलता नही कोई चिराग
राख बन चुकी है आग '
इंदु बेटा चल यहाँ से
यूँ चुपके से आयेंगे रोज और कदमों की आहत किये बिना चले जायेंगे
जैसे गर्मियों की छुट्टियों में सूने पड़े स्कूल की सीढियों पर जा बैठते थे बचपन में.
आप सभी अपना ख्याल रखना,गर्मी बहुत पड़ने लग गई है अब.
ओके?
Ye song bhi badhiyaa rahaa
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत गीत और हेमंत जी की आवाज ने उसके साथ न्याय भी किया है । सुदर प्रस्तुती ।
ReplyDeleteबहुत उम्दा हेमंत ! ठहरी हुई आवाज़ और सुरों की पकड़ काबू में.... मज़ा आया ! ढेरों शुभकामनायें...!
ReplyDeleteलगे रहो ...!
अजी हम आज का गीत तो सुन ही नहीं पा रहे है Error opening file आ रहा है बार बार ।
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