NDTV इंडिया ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागुरुक बनाने के लिए अब संगीत का सहारा लिया है. एक हरे भरे कल का सपना लेकर लगभग ७ महीने पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट ने अब अपने अभियान को और तेज़ करने के लिए एक थीम गीत बनाया है. इस नेक काम में NDTV का साथ दे रहे हैं संगीतकार त्रिमूर्ति शंकर एहसान लोय और गीतकार गुलज़ार. शंकर की आवाज़ में यह गीत यकीनन बहुत कुछ कह जाता है. आवाज़ अपने श्रोताओं के लिए लाया है ये ताज़ा गीत. ख़ुद भी सुनें और सब को सुनवायें. यह संदेश सब तक पहुंचें ताकि हम सब आज पर्यावरण के प्रति सजग बनें ताकि आने वाली पीढी के लिए हम एक बेहतर धरती का निर्माण कर सकें.अपने इस नए गीत पर टिपण्णी करते हुए शंकर कहते हैं - "अगर इस प्रयास से हम १ व्यक्ति के मन भी पर्यावरण के प्रति प्रेम जगा पायें तो अपने काम को सफल मानेंगें." साथी एहसान नूरानी भी काम से बेहद खुश नज़र आए- "संगीत हिंदुस्तान में फिल्मों तक ही सीमित है, यहाँ इसे एक बड़े माध्यम की तरफ़ इस्तेमाल नही किया जाता. हमने इससे पहले भी कैंसर और ऐड्स जागरुकता के लिए भी संगीत के माध्यम से प्रयास किए हैं." लोय मंडोसा भी मानते हैं कि "शुरुआत हमें अपने घर से करनी पड़ेगी. मैंने अपने घर के सभी टूब्स बदल कर बल्ब इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं."
गैर फिल्मी गीत बनते समय रचनाकार अपनी पसंद की चीजें करने के लिए अधिक स्वतंत्र होता है. शंकर एहसान और लोय ने भी इस गाने में बहुत से कुदरती पर्काशन और लाइव वाद्यों का प्रयोग किया है. गीत के बारे में क्या कहें. गुलज़ार साहब अपने हर काम में परफेक्शन लेकर आते हैं ये हम सब जानते हैं, और ये गीत भी इसका अपवाद नही है.
हवायें पत्ते पानी पेड़ जंगल सब्ज सोना है,
अगर तुम हो इतना ही जरूरी इनका होना है.
हवायें मैली मत करना कि जब तुम साँस लोगे,
ये दम वापस नही आएगा जब तुम खांस लोगे
उगाओ जिंदगी पर याद रखो दिल को बोना है...
पेड़ उगाओ छानो हवायें साफ़ करो,
अपनी जमीं से इतना तो इन्साफ करो,
उगाओ जिंदगी पर याद रखो दिल को बोना है...
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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3 श्रोताओं का कहना है :
इसके बारे में NDTV पर सुना था। गुलज़ार ने क्या खूब लिखा है ये गीत। बहुत बहुत शुक्रिया...
nice man
इतना सुंदर गाना लिखा है गुलजार जी ने जैसे कि कोई देशभक्ति का गाना हो. और गाने वाले की आवाज़ की क्या तारीफ करुँ! बहुत-बहुत अच्छा गाया है. कई बार सुन चुकी हूँ. आप तीनों को खूब बधाई. कुछ ही लाइनों में इतना सारा संदेश दिया है. काश सब याद रखें
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