उपेन्द्रनाथ अश्क की "पहेली"
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में मुंशी प्रेमचन्द की कहानी "इस्तीफा" का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार उपेन्द्रनाथ अश्क की कहानी "पहेली", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।
कहानी का कुल प्रसारण समय 24 मिनट 09 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
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| उपेन्द्रनाथ 'अश्क' ने मुंशी प्रेमचंद की सलाह पर हिन्दी में लिखना आरम्भ किया। १९३३ में प्रकाशित उनके दुसरे कहानी संग्रह 'औरत की फितरत' की भूमिका मुंशी प्रेमचन्द ने ही लिखी थी। अश्क जी को १९७२ में 'सोवियत लैन्ड नेहरू पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी उर्मिला, उसकी पत्नी, अनुपम सुन्दरी थी, कल्पना से बनी हुई सुन्दर प्रतिमा सी. मीठे मादक स्वर के रूप में विधि ने उसे जादू दे डाला था। (उपेन्द्रनाथ "अश्क" की "पहेली" से एक अंश) |
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#Twenty-seventh Story, Isteefa: Munshi Premchand/Hindi Audio Book/2009/22. Voice: Anurag Sharma

नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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7 श्रोताओं का कहना है :
बहुत अच्छी लगी कहानी ,,,,अनुराग जी की आवाज़ में कही कहानी ..दिल की गहराई तक छू गई,,(स्त्री को शायद कोई समझ नहीं पाया वो आज भी एक पहेली की तरह ही है) एक अच्छी कहानी सुनवाने के लिए धन्यवाद!
यह कहानी मुझे बेहद पसंद आई। पूरी कहानी में अंत तक बँधा हुआ था और अंत में चौंका भी और दुःखी भी हुआ।
कहानी बहुत अच्छी है. क्लिमेक्स अच्छा लगा.
kahaani sun nahi paaye hain ,sab taareef kar rahen hain to sunne ki utkantha aur bhi badh rahi hai ,shaayad agle saptaah hi sunna sambhav ho paayega .
बहुत ही मार्मिक कहानी है, और अनुराग जी को अब महारत हो गयी है इन्हें सुनाने में...
Anurag ji ki aavaj kahani sunne ko
aakarsit karti ha.,Kabhi socha bhi nahi tha ki Hindi Sahityakaron ki
kahaniya is tarah sunne ko milegi.
कहानी तो अपने युग में जी रही थी लेकिन अनुराग जी की आवाज में हम आज आनन्द ले रहे थे। शायद इस कहानी को पढ़ते तो इतना आनन्द नहीं आता जितना एक सधी हुई आवाज से सुनने में आया। बहुत ही सुंदर प्रस्तुति।
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