ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 276
जिस तरह से गीता दत्त और हेलेन की जोड़ी को अमरत्व प्रदान करने में बस एक सुपरहिट गीत "मेरा नाम चिन चिन चू" ही काफ़ी था, जिसकी धुन बनाई थी रीदम किंग् ओ. पी. नय्यर साहब ने, ठीक वैसे ही गीता जी के साथ अभिनेत्री श्यामा का नाम भी 'आर पार' के गीतों और एक और सदाबहार गीत "ऐ दिल मुझे बता दे" के साथ जुड़ा जा सकता है। जी हाँ, आज 'गीतांजली' में ज़िक्र गीता दत्त और श्यामा का। श्यामा ने अपना करीयर शुरु किया श्यामा ज़ुत्शी के नाम से जब कि उनका असली नाम था बेबी ख़ुर्शीद। 'आर पार' में अपार कामयाबी हासिल करने से पहले श्यामा को एक लम्बा संघर्ष करना पड़ा था। उन्होने अपना सफ़र १९४८ में फ़िल्म 'जल्सा' से शुरु किया था। वो बहुत सारी कामयाब फ़िल्मों में सह-अभिनेत्री के किरदारों में नज़र आईं जैसे कि 'शायर' में सुरैय्या के साथ, 'शबनम' में कामिनी कौशल के साथ, 'नाच' में फिर एक बार सुरैय्या के साथ, 'जान पहचान' में नरगिस के साथ और 'तराना' में मधुबाला के साथ। अनुमान लगाया जाता है कि गीता रॉय की आवाज़ में श्यामा पर फ़िल्माया हुआ पहला गीत १९४९ की फ़िल्म 'दिल्लगी' का होना चाहिए, जिसके बोल थे "तू मेरा चाँद मैं तेरी चांदनी"। अब आप यह कह उठेंगे कि यह तो सुरैय्या और श्याम ने गाया था! जी हाँ, लेकिन फ़िल्म में इस गीत का एक मिनट का एक वर्ज़न भी था जिसे गीता रॉय ने गाया था और जो श्यामा पर फ़िल्माया गया था। लेकिन बदक़िस्मती से यह वर्ज़न ग्रामोफ़ोन रिकार्ड पर जारी नहीं किया गया। इस तरह से गीता रॉय का गाया श्यामा पर फ़िल्माया हुआ पहले रिलीज़्ड गीत थे फ़िल्म 'आसमान' और 'श्रीमतीजी' में जो बनी थीं १९५२ में ओ. पी. नय्यर के संगीत निर्देशन में।
और इसके बाद बहुत जल्द ही गीता दत्त ने श्यामा पर एक ऐसा गीत गाया जो आज एक कालजयी गीत बन कर रह गया है। याद है ना आपको "ना ये चाँद होगा ना तारे रहेंगे", फ़िल्म 'शर्त' में? इस गीत को तो हम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर भी सुनवा चुके हैं। और इसी साल, यानी कि १९५४ में आई फ़िल्म 'आर पार' जिसने पुराने सारे रिकार्ड्स तोड़ दिए। मुन्नी कबीर ने अपनी किताब "Guru Dutt : A Life in Cinema" में लिखा है - "Geeta Bali was first considered for the role of Nikki, but when she pulled out of the film, Geeta Dutt suggested that Shyama take the part." युं तो 'आर पार' के सारे गानें सुपरहिट हैं, लेकिन श्यामा पर जो तीन गानें फ़िल्माए गये वो हैं "जा जा जा जा बेवफ़ा", "सुन सुन सुन सुन ज़ालिमा" और "ये लो मैं हारी पिया"। आगे चलकर नय्यर साहब ने और भी कई गानें श्यामा के लिए बनाए जिन्हे गाया गीता दत्त ने ही। १९५५ में 'मुसाफ़िरख़ाना', १९५६ में 'मक्खीचूस', 'छूमंतर' और 'भाई भाई' तथा १९५७ में 'माई बाप' जैसी फ़िल्मों में गीता दत्त ने श्यामा का पार्श्वगायन किया। मदन मोहन के संगीत निर्देशन में गीता जी ने जो अपना सब से लोकप्रिय गीत गाया था फ़िल्म 'भाई भाई' में, वह श्यामा पर ही फ़िल्माया गया था। हमने उपर जितने भी फ़िल्मों का ज़िक्र किया, उनके अलावा गीता जी ने और जिन जिन फ़िल्मों में श्यामा का प्लेबैक किया उनके नाम हैं - निशाना ('५०), सावधान ('५४), जॊनी वाकर ('५७), हिल स्टेशन ('५७), बंदी ('५७), पंचायत ('५८), चंदन ('५८), दुनिया झुकती है ('६०), अपना घर ('६०) तथा ज़बक ('६१)। लेकिन आज हम गीता-श्यामा की जोड़ी के नाम जिस गीत को कर रहे हैं वह है १९५६ की फ़िल्म 'छू मंतर' का, जिसे नय्यर साहब की धुन पर जान निसार अख़्तर ने लिखा था। सुनते हैं "जब बादल लहराया, जिया झूम झूम के गाया"। तो आप भी सुनिए और झूम जाइए।
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा अगला (अब तक के चार गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी (दो बार), स्वप्न मंजूषा जी, पूर्वी एस जी और पराग सांकला जी)"गेस्ट होस्ट".अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. ये गीत जिस अभिनेत्री पर है उन्हें उनके फिल्मों में योगदान के लिए वर्ष २००९ में पदम् श्री से सम्मानित किया गया था.
२. इस मस्ती भरे गीत को लिखा जान निसार अख्तर ने.
३. मुखड़े में इस शब्द की पुनरावर्ती है -"अभी".इस पहेली को बूझने के आपको मिलेंगें २ की बजाय ३ अंक. यानी कि एक अंक का बोनस...पराग जी इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकेंगें.
पिछली पहेली का परिणाम -
भाई आज तो हमारे लिए बहुत ख़ुशी का दिन है, पाबला जी ने दूसरा सही जवाब देकर अपना खाता ४ अंकों तक पहुंचा ही लिया....बधाई जनाब, इंदु जी आप कैसे चूक गयीं. अवध जी आशा है आपके समाधान हो गया होगा.
खोज - पराग सांकला
आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.