समानांतर सिनेमा के गानें इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर बजाए जा रहे हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि इन लीग से हट कर गीतों का आप भरपूर आनंद उठा रहे होंगे। विविध भारती पर प्रसारित विशेष कार्यक्रम 'सिने यात्रा की गवाह विविध भारती' में यूनुस ख़ान कहते हैं कि ६० के दशक के उत्तरार्ध में एक नए क़िस्म का सिनेमा अस्तित्व में आया जिसे समानांतर सिनेमा का नाम दिया गया। इनमें कुछ कलात्मक फ़िल्में थीं तो कुछ हल्की फुल्की आम ज़िंदगी से जुड़ी फ़िल्में। इसकी शुरुआत हुई मृणाल सेन की फ़िल्म 'भुबोन शोम' और बासु चटर्जी की फ़िल्म 'सारा आकाश' से। ७० के दशक मे समानांतर सिनेमा ने एक आंदोलन का रूप ले लिया। उस दौर में श्याम बेनेगल, गोविंद निहलानी, एम. एस. सथ्यु, मणि कौल, जब्बर पटेल और केतन मेहता जैसे फ़िल्मकारों ने 'उसकी रोटी', 'अंकुर', 'भूमिका', 'अर्ध सत्य', 'गरम हवा', 'मिर्च मसाला' और 'पार्टी' जैसी फ़िल्में बनाई। लेकिन यह भी सच है कि ७० के दशक के मध्य भाग तक हिंदी सिनेमा अमिताभ बच्चन के ऐंग्री यॊंग् मैन की छवि से पूरी तरह प्रभावित हो चला था। मोटे तौर पर अब सिर्फ़ दो तरह की फ़िल्में बन रही थी, एक तरफ़ 'शोले', 'दीवार', 'अमर अकबर ऐंथनी', 'त्रिशोल', 'डॊन' जैसी स्टारकास्ट वाली भारी भरकम फ़िल्में, और दूसरी तरफ़ कम बजट की वो फ़िल्में जो आम ज़िंदगी से जुड़ी हुई थी। अमुमन इन हल्की फुल्की फ़िल्मों में नायक के रूप में नज़र आ जाते थे हमारे अमोल पालेकर साहब। उनका भोलापन, नैचरल अदाकारी, और एक आम नौजवान जैसी सूरत इस तरह की फ़िल्मों को और भी ज़्यादा नैचरल बना देती थी। आज हम '१० गीत समानांतर सिनेमा के' शृंखला में सुनने जा रहे हैं अमोल पालेकर की ही फ़िल्म 'बातों बातों में' का एक बड़ा ही प्यारा सा युगल गीत आशा भोसले और अमित कुमार की आवाज़ों में "ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा"। बासु चटर्जी निर्मित व निर्देशित इस फ़िल्म में अमोल पालेकर के अलावा मुख्य किरदारों में थे टिना मुनीम, असरानी, डेविड, लीला मिश्र, पर्ल पदमसी, टुनटुन और अर्वैंद देशपाण्डेय। राजेश रोशन का रुमानीयत से भरा संगीत था और गीत लिखे अमित खन्ना ने।
फ़िल्म की कहानी जहाँ एक तरफ़ एक आम परिवार की कहानी थी, वहीं दूसरी तरफ़ कई हास्यप्रद किस्सों का सहारा लिया गया कहानी के किरदारों में जान डालने के लिए। मूल कहानी कुछ ऐसी थी कि रोज़ी परेरा (पर्ल पदमसी) एक ज़रूरत से ज़्यादा उत्साही विधवा है औरत हैं जो अपने गीटार पागल बेटे सावी और एक सुंदर बेटी नैन्सी (टिना मुनीम) के साथ रहती है। वह चाहती है कि नैन्सी की शादी एक अमीर लड़के के साथ हो जाए। रोज़ी की मदद करने के लिए उनके पडो़सी अंकल टॊम (डेविड) नैन्सी की मुलाक़ात टोनी ब्रगेन्ज़ा (अमोल पालेकर) से करवाते हैं सुबह ९:१० की बान्द्रा से चर्चगेट की लोकल ट्रेन में। अंकल टॊम के कहने पर नैन्सी टोनी को अपनी मम्मी से मिलवाती है। रोज़ी को शुरु शुर में तो यह जानकर टोनी पसंद नहीं आया कि उसकी तंख्व केवल ३०० रुपय है जब कि नैन्सी की तंख्वा ७०० रुपय है। लेकिन जब उसे पता चलता है कि जल्द ही टोनी की तंख्वा १००० रुपय होने वाली है, तो वह मान जाती है और नैन्सी और टोनी के मिलने जुलने पर पाबंदियाँ ख़त्म कर देती है। नैन्सी अपनी मम्मी के कहे अनुसार टोनी से शादी कर लेना चाहती है, लेकिन टोनी को अभी शादी नहीं करनी है। और इस ग़लतफ़हमी से दोनों में अनबन हो जाती है। इधर रोज़ी नए लड़के की तलाश में जुट जाती है, उधर टोनी अपने फ़ैसले पर अटल रहता है। बीच में नैन्सी दोराहे पर खड़ी रहती है। यही है 'बातों बातों में' की भूमिका। इस फ़िल्म का पार्श्व इसाई परिवारों से जुड़ा हुआ है, इसीलिए इसके गानें भी उसी अंदाज़ में बनाए गए हैं। राजेश रोशन ने कहानी के पार्श्व के साथ पूरी तरह से न्याय करते हुए कुछ ऐसे गानें बनाए हैं कि एक ऒफ़बीट फ़िल्म होते हुए भी इसके गानें ज़बरदस्त हिट हुए और आज भी बड़े चाव से सुने जाते हैं। आज का प्रस्तुत गीत जितना संगीत के लिहाज़ से सुरीला है, उतने ही कैची हैं इसके बोल। अमित खन्ना ने किस ख़ूबसूरती के साथ छो्टे छोटे शब्दों को फ़ास्ट म्युज़िक पर कामयाबी से बिठाया है। "ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा, मगर न जाने ऐसा क्यों लगा, कि धूप में खिला है चांद दिन में रात हो गई, कि प्यार की बिना कहे सुने ही बात हो गई"। आइए सुनते हैं। अमित कुमार की आवाज़ पहली बार गूंज रही है 'ओल इज़ गोल्ड' की महफ़िल में आज!
क्या आप जानते हैं...
कि 'बातों बातों में' फ़िल्म के गीत "उठे सब के क़दम त र रम पम पम" में पर्ल पदमसी का प्लेबैक किया था लता मंगेशकर ने जब कि लीला मिश्र का प्लेबैक किया था पर्ल पदमसी ने। है ना मज़ेदार!
चलिए अब बूझिये ये पहेली, और हमें बताईये कि कौन सा है ओल्ड इस गोल्ड का अगला गीत. हम आपसे पूछेंगें ४ सवाल जिनमें कहीं कुछ ऐसे सूत्र भी होंगें जिनसे आप उस गीत तक पहुँच सकते हैं. हर सही जवाब के आपको कितने अंक मिलेंगें तो सवाल के आगे लिखा होगा. मगर याद रखिये एक व्यक्ति केवल एक ही सवाल का जवाब दे सकता है, यदि आपने एक से अधिक जवाब दिए तो आपको कोई अंक नहीं मिलेगा. तो लीजिए ये रहे आज के सवाल-
1. गीत में एक जगह कई फूलों के नाम हैं जिसमें मोगरे का भी जिक्र है, गीत पहचानें-३ अंक.
2. जगजीत कौर और पामेला चोपडा के गाये इस समूह गीत की धुन किसने बनायीं है- २ अंक.
3. समान्तर सिनेमा के सभी बड़े कलाकार मौजूद थे इस फिल्म में, कौन थे निर्देशक-२ अंक.
4. फिल्म की किस अभिनेत्री को उस वर्ष कि सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री का फिल्म फेयर प्राप्त हुआ था -२ अंक.
विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।
पिछली पहेली का परिणाम-
चलिए अब ज़रा स्कोर कार्ड पर नज़र डालें - शरद जी हैं ६५, इंदु जी ४५ और अवध जी हैं ३५ अंकों पर. पदम जी तेज़ी से चलकर २१ पर आ चुके है. अनुपम जी ८ रोहित जी ७ और संगीता जी ४ अंकों पर हैं, सभी को शुभकामनाएं
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
चले आओ सैयां रंगीले मैं बारी रे
ReplyDeleteis geet ke geetkaar hain Yogesh, na ki Amit Khanna. is galati ke liye maafi chahta hoon.
ReplyDeleteSujoy
khayyam
ReplyDeleteचले आओ सैयां रंगीले मैं वारि रे
ReplyDeleteसजन मोहे तुम बिन भाए न गजरा
न मोतिया, चमेली ,न जूही न मोगरा
बड़ा ही खूब सुरत गाना था ये इस फिल्म का
यही नही 'फिर छिड़ी रात बात फूलों की ,देख लो आज हमको जी भर के ,दिखाई दिए यूँ की ,सबसे बड़ी बात इस के गाने दो तीन गीतकारो ऩे लिखे थे
चले आओ सैया एक लोक गीत पर आधारित था
फिल्म भी बड़ी मार्मिक थी तो गीत रिअली 'गोल्ड'
this film was directed by janab sagar sarhadi
ReplyDeleteजहाँ तक मुझे याद पड़ता है इस फिल्म में सह-अभिनेत्री थीं सुप्रिया पाठक.
ReplyDeleteपर यह नहीं मालूम कि उन्हें फिल्म्फेयर पुरस्कार मिला था या नहीं.
और क्या स्मिता पाटिल जो मुख्य अभिनेत्री थीं उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए कोई अवार्ड मिला था?
अवध लाल