'ओल्ड इस गोल्ड' के सभी दोस्तों को हमारा नमस्कार! इस शनिवार विशेष प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है| जिस तरह से 'ओल्ड इज गोल्ड' का नियमित स्तम्भ ५६० अंक पूरे कर चूका है, वैसे ही यह शनिवार विशेष भी आज पूरा कर रहा है अपना २५-वां सप्ताह| शनिवार की इस ख़ास प्रस्तुति में आपने ज़्यादातर 'ईमेल के बहाने यादों के खजाने' पढ़े और इस और आप सब का भरपूर सहयोग हमें मिला जिस वजह से हम इस साप्ताहिक पेशकश की आज 'रजत जयंती अंक' प्रस्तुत कर पा रहे हैं| आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद, और उन दोस्तों से, जो हमारी इस महफ़िल में शामिल तो होते हैं, लेकिन हमें इमेल नहीं भेजते, उनसे ख़ास गुजारिश है की वो अपने जीवन की खट्टी मीठी यादों को संजो कर हमें ईमेल करें जिन्हें हम पूरी दुनिया के साथ बाँट सके|
दोस्तों, आज मैं जिस ईमेल को यहाँ शामिल कर रहा हूँ, उसके लिखने वाले के लिए मुझे किसी औपचारिक भाषा के प्रयोग करने की कोई ज़रुरत नहीं है, क्योंकि वह शख्स मेरा बहुत अच्छा दोस्त भी है और मेरा छोटा भाई भी, जिसे कहते हैं 'फ्रेंड फिलोसोफर एंड गाइड'| आईये आज मेरे इस दोस्त सुमित चक्रवर्ती का ईमेल पढ़ा जाए|
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प्रिय सुजोय दा
आपको आपके अनुज का स्नेह भरा प्रणाम|
सर्वप्रथम मैं आपको 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के ५५० अंक पूरे होने पर हार्दिक बधाई देना चाहूँगा| मैं आपके द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले 'ई-मेल के बहाने यादों के तराने' का बहुत बड़ा फ़ैन हो गया हूँ तथा इसे नियमित रूप से पढ़ता हूँ| मधुर गीतों से जुड़ी लोगों की यादों और भावनाओं को जानकार बहुत ही आनंद मिलता है| इसी तरह मैने भी सोचा कि क्यों न मैं भी अपने बचपन की एक ऐसी ही याद को न केवल आपके, अपितु यदि हो सके तो आवाज़ के अन्य पाठकों के समक्ष रखूं| मैं भली-भाँति जानता हूँ कि आपको लगातार पाठकों के ई-मेल मिलते होंगे, मुझे आपको यह लिखते हुए बहुत ही संकोच हो रहा है परंतु यदि आप उचित समझें तो इसे 'ई-मेल के बहाने यादों के तराने' शृंखला में पेश कर दीजिएगा| यदि न हो सके तो भी मुझे कोई अफ़सोस न होगा, और न ही मेरा स्नेह कभी आपके लिए कम होगा|
हाल ही में मैं फ़िल्म 'वीर-ज़ारा' के संगीत रचना का वीडियो देख रहा था| हम सब जानते हैं कि इस फ़िल्म में स्वर्गीय मदन मोहन जी द्वारा कृत संगीत का प्रयोग किया गया है, ऐसा संगीत जिसने इस फ़िल्म को सिनेमा जगत में एक मील का पत्थर साबित कर दिया| इसी वीडियो में दो ऐसी शख्सियतों का साक्षात्कार भी पाया जिन्होंने इसमे "आया तेरे दर पर दीवाना" क़व्वाली गाई है, वे हैं - उस्ताद अहमद हुसैन तथा उस्ताद मोहम्मद हुसैन| वे बता रहे थे की किस तरह वे स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं जो उन्हें स्वर्गीय मदन मोहन साहब की तरन्नुम पर गाने का सौभाग्य मिला| हुसैन भाईयों को पर्दे पर देख मुझे अपने बचपन का एक वाक़िया याद आ गया| बात तब की है जब मैं नौवीं कक्षा में पढ़ता था| संगीत में अत्याधिक रूचि होने के कारण मैं अक्सर स्कूल तथा चंडीगढ़ ऐडमिनिस्ट्रेशन द्वारा आयोजित कई गायन प्रतियोगिताओं में भाग लेता था| ऐसी ही एक प्रतियोगिता में उस्ताद एहमद हुसैन तथा उस्ताद मोहम्मद हुसैन निर्णायक बनकर आए थे| मैने प्रतियोगिता में लता दीदी तथा भूपेंद्र जी का गाया हुआ, फ़िल्म 'सितारा' का गीत "थोड़ी सी ज़मीन, थोड़ा आसमाँ" गाया था| पहली बार इतने विशिष्ट ग़ज़ल गायकों के समक्ष गाने के कारण मैं काफ़ी नर्वस भी हुआ| परंतु मेरे होंश तब उड़ गये जब उन दोनो ने मंच पे आकर अपना निर्णय सुनाया| उस प्रतियोगिता में मैं सिल्वर सर्टिफिकेट पाकर दूसरे स्थान पर रहा| मेरी तो जैसे ख़ुशी की सीमा ही न रही| मेरे बचपन की यह घटना मेरे हृदय के बेहद क़रीब है| आपसे निवेदन है कि आप इन दोनो गीतों को अपनी अगली प्रस्तुति में सुनायें|
आपसे सदैव स्नेह करने वाला, आपका अनुज,
सुमित
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सुमित, तुमसे और क्या कहूं, तुम्हे मेरी तरफ से और पूरे 'हिंद युग्म' की तरफ से एक उज्वल भविष्य की शुभकामना ही दे सकता हूँ| और ये रहे तुम्हारी पसंद के ये दो गीत, पहला गीत है फिल्म 'सितारा' का, और दूसरा फिल्म 'वीर जारा' की कव्वाली. सुनो और हमेशा खुश रहो|
गीत - थोड़ी सी ज़मीन (सितारा)
गीत - आया तेरे दर पे दीवाना (वीर जारा)
तो ये था आज का 'ईमेल के बहाने यादों के खजाने' जो आज रोशन हुआ सुमित चक्रवर्ती के बचपन की एक ख़ास याद के उजाले से| अगले हफ्ते फिर हाज़िर होंगे, तब तक के लिए इजाज़त दीजिए, और कल सुबह 'सुर संगम' में ज़रूर पधारिएगा, नमस्कार!
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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