ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 603/2010/303
'खेल खेल में' - इन दिनों विश्वकप क्रिकेट के नाम हम कर रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल इसी लघु शृंखला के ज़रिए। आज है इस शृंखला की तीसरी कड़ी। कल की कड़ी में हमने विश्वकप क्रिकेट से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आपको दिए, आइए आज उसी को आगे बढ़ाया जाये!
• विश्वकप के इतिहास में दो देशों के लिए खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी हैं केप्लर वेसेल्स। वेसेल्स ने १९८३ का विश्वकप ऒस्ट्रेलिया के लिए खेला, और १९९२ में साउथ अफ़्रीका के कैप्टन बनें।
• इंगलैण्ड तीन बार विश्वकप फ़ाइनल तक पहूँचे (१९७९, १९८७, १९९२), लेकिन कभी जीत नहीं सके।
• वेस्ट इंडीज़ और ऒस्ट्रेलिया दो ऐसे देश हैं जिन्होंने विश्वकप पर एकाधिक बार अधिकार जमाया है।
• लंदन वह शहर है जिसने सब से ज़्यादा विश्वकप फ़ाइनल होस्ट किये है (४ बार)।
• तीसरे अम्पायर का कॊन्सेप्ट १९९६ के विश्वकप से लागू हुआ था।
• पहले एक-दिवसीय मैच ६० ओवर्स के होते थे। १९८७ के विश्वकप में इसे ६० से ५० ओवर का कर दिया गया और उस साल विश्वकप भारत और पाकिस्तान ने होस्ट किया था।
• "पिंच-हिटर" उस बल्लेबाज़ को कहा जाता है जिसे मैदान पर उतारा जाता है पहली ही गेंद से शॊट्स लगाने के लिए। विश्व का पहला पिंच-हिटर न्युज़ीलैण्ड के मार्क ग्रेटबैच हैं जिन्होंने १९९२ में कुल ७ मैचों में ३५६ गेंदों में ३१३ रन बनाये, जिसमें ३२ चौके और १३ छक्के शामिल थे।
दोस्तों, २०११ का विश्वकप ज़ोर पकड़ने लगा है और लोगों में उत्साह बढ़ता जा रहा है। सिर्फ़ घरों तक ही अब ये मैचेस सीमित नहीं है, बल्कि दफ़्तरों, स्कूल-कालेजों, सार्वजनिक जगहों में भी आजकल इसी के चर्चे हैं। टीवी के दुकानों के सामने भीड़ जमने लगी हैं, और ग़रीब से लेकर अमीर तक, सभी इस क्रिकेट-बुखार की चपेट में हैं। आज के और अगले दो अंकों में हम जिन गीतों को बजाने जा रहे हैं, उनमें है प्रतियोगिता और प्रतिस्पर्धा के भाव। पिछले दो गीतों में हमने प्रतिस्पर्धा से उपर उठकर अपने आप पर जीत हासिल करने और हार-जीत को सहजता से लेने की बात कही थी, लेकिन अब अगले तीन गीतों में थोड़ा सा जोश है, कम्पीटिशन है, थोड़ी सी मस्ती भी है, थोड़ा शरारत भी। लेकिन जो भी है, है तो एक हेल्दी-कम्पीटिशन ही। फ़िल्म 'रॊकी' में आशा भोसले, किशोर कुमार, और राहुल देव बर्मन का गाया एक बड़ा ही ज़बरदस्त गीत था "आ देखें ज़रा, किसमें कितना है दम, जम के रखना क़दम, मेरे साथिया"। फ़िल्म में यह गीत एक प्रतियोगितामूलक गीत था और दो टीमें थीं संजय दत्त-रीना रॊय तथा शक्ति कपूर-टीना मुनिम की। एक बार फिर बक्शी साहब के बोल और पंचम दा का संगीत। फ़िल्म में इस प्रतियोगिता के जज के रूप में शम्मी कपूर नज़र आये जिन्होंने अपना ही, यानी शम्मी कपूर का ही किरदार निभाया। तो आइए, इस गीत के बोलों का ही सहारा लेकर हम २०११ विश्वकप क्रिकेट के सभी खिलाड़ियों से यही दोहराएँ कि "जम के रखना क़दम, all the best!"
क्या आप जानते हैं...
कि १९८१ की फ़िल्म 'रॊकी' सुनिल दत्त निर्मित व निर्देशित फ़िल्म थी, जिसका निर्माण उन्होंने अपने बेटे संजय दत्त को लौंच करने के लिए किया था। फ़िल्म के रिलीज़ के चंद हफ़्ते पहले सुनिल दत्त की पत्नी और संजय की माँ नरगिस जी का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया और वो अपने पुत्र की इस फ़िल्म में कामयाबी देख नहीं पायीं।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 04/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र -तीन आवाजों में है ये गीत.
सवाल १ - किन तीन कलाकारों पर फिल्माया गया है ये गीत - ३ अंक
सवाल २ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
अमित जी ने एक अंक की बढ़त ली है, कल अंजाना जी और विजय जी का टाई हुआ, लगता है एक अंक वाला सवाल किसी को नहीं चाहिए :)
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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5 श्रोताओं का कहना है :
वैजयंती माला ,हेलन ,शम्मी कपूर
Actors : Shammi Kapoor, Vyjayanthi mala, Helen
geetkar : hasrat jaipuri
कल कहीं कार्यक्रम में चल गया इसलिये उपस्थित नहीं हुआ. मैं मुक़ाबला छोड नही रहा हूं पर जवाब मालूम होते हुए भी अमित जी ओर अनजाना जी की स्पीड के आगे मात खा जाता हूं फ़िर भी अपनी हाजिरी तो लगा ही रहा हूं .
इस भगदड़ में फिल्म का नाम तो रह ही गया ....! वही बात है कोई भी १ नंबर नहीं लेना चाहता ! चलिए वो एक नंबर मुझे दे दीजिये ..... हा हा हा
फिल्म का नाम : प्रिन्स !!
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