ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 703/2011/143
वर्षा ऋतु के गीतों पर आधारित श्रृंखला "उमड़ घुमड़ कर आई रे घटा" की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब पाठकों-श्रोताओं का हार्दिक स्वागत करता हूँ| आज का राग है- "गौड़ मल्हार"| पावस ऋतु का यह एक ऐसा राग है जिसके गायन-वादन से सावन मास की प्रकृति का यथार्थ चित्रण किया जा सकता है| आकाश पर कभी मेघ छा जाते हैं तो कभी आकाश मेघ रहित हो जाता है| इस राग के स्वर-समूह उल्लास, प्रसन्नता, शान्त और मिलन की लालसा का भाव जागृत करते हैं| मिलन की आतुरता को उत्प्रेरित करने में यह राग समर्थ होता है| आज के अंक में हम आपको ऐसे ही भावों से भरा फिल्म "मल्हार" का मनमोहक गीत सुनवाएँगे; किन्तु उससे पहले राग "गौड़ मल्हार" के स्वर-संरचना की एक संक्षिप्त जानकारी आपसे बाँटना आवश्यक है|
राग "गौड़ मल्हार" की रचना राग "गौड़ सारंग" और "मल्हार" के मेल से हुई है| यह सम्पूर्ण जाति का राग है, अर्थात इसमें सात स्वरों का प्रयोग होता है| शुद्ध और कोमल, दोनों निषाद का प्रयोग राग के सौन्दर्य बढ़ा देते हैं| शेष सभी स्वर शुद्ध प्रयोग किये जाते हैं| गन्धार स्वर का बड़ा विशिष्ठ प्रयोग होता है| इस राग की तीनताल की एक बन्दिश -"कारी बदरिया घिर घिर आई..." का सुमधुर गायन पण्डित ओमकारनाथ ठाकुर के स्वरों में बेहद लोकप्रिय हुआ था| राग "गौड़ मल्हार" के परिवेश का यथार्थ चित्रण महाकवि कालिदास की कृति "ऋतुसंहार" के एक श्लोक में किया गया है| "ऋतुसंहार" के द्वितीय सर्ग के दसवें श्लोक में महाकवि ने वर्षाऋतु के ऐसे ही परिवेश का वर्णन किया है, जिसका भावार्थ है -"बार-बार गरजने वाले मेघों से आच्छन्न आकाश और घनी अँधेरी रात में चमकने वाली बिजली के प्रकाश में रास्ता देखती हुई, प्रेम से वशीभूत नायिका तेजी से अपने प्रियतम से मिलने के लिए आतुर हो जाती है| सच तो यही है कि राग "गौड़ मल्हार" वर्षाऋतु के रागों में श्रृंगार रस की अभिव्यक्ति के लिए सर्वश्रेष्ठ है| आज के अंक में प्रस्तुत किये जाने वाले गीत में श्रृंगार के संयोग पक्ष का भावपूर्ण चित्रण किया गया है| इस राग का दूसरा पहलू है श्रृंगार का विरह पक्ष, जिसकी चर्चा हम इसी श्रृंखला की आगामी एक कड़ी में करेंगे|
आज हमने आपके लिए 1951 में प्रदर्शित फिल्म "मल्हार" का गीत -"गरजत बरसत भीजत आई लो, तुम्हरे मिलन को अपने प्रेम पियरवा..." का चयन किया है| वास्तव में यह गीत राग "गौड़ मल्हार" पर आधारित गीत नहीं बल्कि इसी राग में निबद्ध तीनताल की एक पारम्परिक बन्दिश है| संगीतकार रोशन ने फिल्म के शीर्षक गीत के रूप में इस बन्दिश का प्रयोग किया था| गीत को लता मंगेशकर ने अपने मनमोहक स्वरों से सँवारा है| फिल्म "मल्हार" का निर्माण पार्श्वगायक मुकेश ने किया था| मुकेश और रोशन अभिन्न मित्र थे और कहने की आवश्यकता नहीं कि जब फिल्म के निर्माता मुकेश होंगे तो संगीत निर्देशक निश्चित रूप से रोशन ही होंगे| फिल्म "मल्हार"के गीत बड़े मधुर थे किन्तु दुर्भाग्य से फिल्म चली नहीं और गीत भी चर्चित नहीं हो पाए| राग "गौड़ मल्हार" के स्वरों से सजी यही संगीत रचना रोशन ने एक दशक बाद थोड़े शाब्दिक परिवर्तन के साथ फिल्म "बरसात की रात" में दुहराया और इस बार फिल्म के साथ-साथ गीत भी हिट हो गया| आइए सुना जाए फिल्म "मल्हार" का शीर्षक गीत, राग "गौड़ मल्हार" की तीनताल में निबद्ध बन्दिश के रूप में|
क्या आप जानते हैं...
कि संगीतकार रोशन ने अपने प्रारम्भिक दौर की असफल फिल्मों के कुछ सुरीले धुनों को लगभग एक दशक बाद दोबारा सफल प्रयोग किया| फिल्म 'आरती (१९६२)' के गीत -'कभी तो मिलेगी...' की धुन प्रारम्भिक दौर की फिल्म 'घर घर में दीवाली' के गीत -'कहाँ खो गई...' की धुन का दूसरा संस्करण है| इसी प्रकार 1957 की फिल्म 'दो रोटी' के गीत -'तुम्हारे कारण...' और 1959 की फिल्म 'मधु' के गीत -'काहे बनो जी अनजान...' की धुनों को रोशन ने 1966 की फिल्म 'देवर' में क्रमशः -'रूठे सैंया हमारे...' और -'दुनियाँ में ऐसा कहाँ...' की धुनों में सफलतापूर्वक दुहराया था|
आज के अंक से पहली लौट रही है अपने सबसे पुराने रूप में, यानी अगले गीत को पहचानने के लिए हम आपको देंगें ३ सूत्र जिनके आधार पर आपको सही जवाब देना है-
सूत्र १ - सावन के इस युगल गीत में एक स्वर लता का है.
सूत्र २ - इस फिल्म के निर्देशक "हिंदी सिनेमा के लौह स्तंभ" शृंखला में फीचर्ड ४ निर्देशकों में से एक थे.
सूत्र ३ - लता के स्वरों में जो पहला बंद है उसमें शब्द है - "दुल्हनिया"
अब बताएं -
किस राग पर आधारित है ये गीत - ३ अंक
साथी गायक कौन हैं - २ अंक
गीतकार कौन हैं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
हालंकि अमित जी और प्रतीक जी ने के ही समय पर जवाब दिया, पर प्रतीक जी का जवाब ही पूर्ण माना जायेगा. पर अमित जी आपने जो विस्तृत जानकारी दी राग के बारे में उसके लिए धन्येवाद, आपको हम १ अंक अवश्य देंगें. अविनाश जी, शरद जी बधाई. हिन्दुस्तानी जी, क्षिति जी, और और अवध जी को भी बधाई १-१ अंकों के लिए
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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7 श्रोताओं का कहना है :
Geetkar, Bharat Vyas
Bharat Vyas
Raga : Pahadi
Manna De
raag brindabani sarang
geet ke bol hai ' ho umaDd ghumad kar aaee re ghata & film hai ' do aankhein barah haath'
इस धुन पर एक गीत और भी बना है... बहुत मधुर गीत है...
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