ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 715/2011/155
'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक और शाम लेकर मैं, सुजॉय चटर्जी, साथी सजीव सारथी के साथ हाज़िर हूँ। जैसा कि आप जानते हैं इन दिनों इस स्तंभ में जारी है लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर', जिसके अन्तर्गत सजीव जी की लिखी कविताओं की इसी शीर्षक से किताब में से चुनकर १० कविताओं पर आधारित फ़िल्मी गीत बजाये जा रहे हैं। आज की कविता का शीर्षक है 'जंगल'।
यह जंगल मेरा है
मगर मैं ख़ुद इसके
हर चप्पे से नहीं हूँ वाकिफ़
कई अंधेरे घने कोने हैं
जो कभी नहीं देखे
मैं डरा डरा रहता हूँ
अचानक पैरों से लिपटने वाली बेलों से
गहरे दलदलों से
मुझे डर लगता है
बर्बर और ज़हरीले जानवरों से
जो मेरे भोले और कमज़ोर जानवरों को
निगल जाते हैं
मैं तलाश में भटकता हूँ,
इस जंगल के बाहर फैली शुआओं की,
मुझे यकीं है कि एक दिन
ये सारे बादल छँट जायेंगे
मेरे सूरज की किरण
मेरे जंगल में उतरेगी
और मैं उसकी रोशनी में
चप्पे-चप्पे की महक ले लूंगा
फिर मुझे दलदलों से
पैरों से लिपटी बेलों से
डर नहीं लगेगा
उस दिन -
ये जंगल सचमुच में मेरा होगा
मेरा अपना।
जंगल की आढ़ लेकर कवि नें कितनी सुंदरता से वास्तविक जीवन और दुनिया का चित्रण किया है इस कविता में। हम अपने जीवन में कितने ही लोगों के संस्पर्श में आते हैं, जिन्हें हम अपना कहते हैं, पर समय समय पर पता चलता है कि जिन्हें हम अपना समझ रहे थे, वो न जाने क्यों अब ग़ैर लगने लगे हैं। हमारे अच्छे समय में रिश्तेदार, सगे संबंधी और मित्र मंडली हमारे आसपास होते हैं, पर बुरे वक़्त में बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो हमारे साथ खड़े पाये जाते हैं। किसी नें ठीक ही कहा है कि बुरे वक़्त में ही सच्चे मित्र की पहचान होती है। जीवन की अँधेरी गलियों से गुज़रते हुए अहसास नहीं होता कि कितनी गंदगी आसपास फैली है, पर जब उन पर रोशनी पड़ती है तो सही-ग़लत का अंदाज़ा होता है। कई बार दिल भी टूट जाता है, पर सच तो सच है, कड़वा ही सही। और इस सच्चाई को जितनी जल्दी हम स्वीकार कर लें, हमारे लिए बेहतर है। पर टूटा दिल तो यही कहता है न कि कोई तो होता जिसे हम अपना कह लेते, चाहे वो दूर ही होता, पर होता तो कोई अपना! गुलज़ार साहब नें इस भाव पर फ़िल्म 'मेरे अपने' में एक यादगार गीत लिखा था। आज गायक किशोर कुमार का जन्मदिवस है। उन्हें याद करते हुए उन्ही का गाया यह गीत सुनते हैं जिसकी धुन बनाई है सलिल चौधरी नें।
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
और अब वक्त है आपके संगीत ज्ञान को परखने की. अगले गीत को पहचानने के लिए हम आपको देंगें ३ सूत्र जिनके आधार पर आपको सही जवाब देना है-
सूत्र १ - एक आवाज़ रफ़ी साहब की है इस युगल गीत में.
सूत्र २ - माला सिन्हा अभिनीत फिल्म है ये.
सूत्र ३ - मुखड़े में शब्द है -"वक्त".
अब बताएं -
गीतकार कौन हैं - ३ अंक
फिल्म के नायक कौन हैं - २ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
सत्यजीत जी कोशिश तो कर रहे हैं पर अमित जी जरा ज्यादा फुर्तीले दिख रहे हैं :)
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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3 श्रोताओं का कहना है :
Nayak: Dharmedra
Geetkar: RAJA MEHDI ALI KHAN
Madam Mohan Sahab ka sangeet hai
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