सूफी रॉक संगीत के नए पहरुए हैं लुधिआना के पेरुब और उनके जोडीदार जोगी सुरेंदर और अमन दीप कौशल. "ज़ोरबा" ग्रुप के इन पंजाबी मुंडों का नया गीत "डरना झुकना" इन दिनों आवाज़ पर धूम मचा रहा है. आवाज़ के लिए अर्चना शर्मा ने की उनसे एक ख़ास मुलकात. पेश है उसी संवाद के ये अंश -
पेरुब, संगीत को जीवन मार्ग बनाने की प्रेरणा किससे मिली आपको ?
संगीत की प्रेरणा मुझे मेरी माता जी ने और मेरे बड़े भाइयों ने दी ......
कितना समय हो गया आपको संगीत को अपना कैरियर बनाये हुए ?
इस क्षेत्र मैं मुझे तकरीबन आठ साल से जयादा हो गए हैं ...........
आपके गुरु कौन रहे ? मतलब संगीत की तालीम आपने किससे ली ?
गुरु तो बहुत हैं संगीत के .... मगर संगीत की सही शिक्षा मैंने प्रोफ. मनमोहन सिंह जी से ...प्रोफ. श्री. शान्ति लाल जी से और संत मोहन सिंह, सुखदेव सिंह नामधारी जी से प्राप्त की .....
ज़ोरबा का क्या अर्थ है पेरुब ?
ज़ोरबा का अर्थ है जो नाच सके बिना ताल के, जो गा सके बिना साज़ के, जो संसार के हर रंग में रहते हुए, संसार से, जिसको अलग हो जाना है बिना कुछ किए....हर आदमी ज़ोरबा ही है " who is going to be buddha, is zorba " इस से जयादा कहना मुश्किल होगा .....वैसे ज़ोरबा हम ने आपने बैंड ग्रुप का नाम रखा है ...जोगी और मैं दोनों एक साथ स्कूल मैं ही पड़ते थे .जोगी पहले से ही गाता था. जोगी अमन और मैं एक ही गुरुजनों से सीखे हुए हैं . यूँ कहें की हम गुरुभाई है . जोगी अमन और मैं बचपन के ही दोस्त हैं और हम तीनो को बचपन से ही संगीत मैं रुची थी और अब यही profession बन गया है हम सबका.
आपने अब तक के सफर के बारे में एक संक्षित सा ब्यौरा दीजिये पेरुब ?
मेरा जन्म १९८१ मैं लुधिअना हुआ और बचपन की शिक्षा आपने माता पिता से दादी से और शहर के स्कूल से ही प्राप्त की, बाद मैं प्राइवेट कॉलेज मैं बी.बी.ए. से ड्राप आउट हूँ :-).........स्कूल मैं रहते ही संगीत से बहुत लगाव था...संगीत का सफर भी स्कूल से शुरू हो गया था .......पिता जी के देहान्त के बाद काफी कुछ बदल गया और फिर मुझे आपने पैरों पर जल्दी ही खड़ा होना था..........सो तब से लेकर आज तक struggle चल रही है.......
आपका झुकाव सूफियाना संगीत की तरफ ज्यादा है, कोई ख़ास वजह ?
वैसे तो हर किस्म का संगीत सुनना पसंद करता हूँ : जहाँ तक सूफी म्यूजिक का सवाल है, इस का कारण बताना मुश्किल है : बस यही कहूँगा की मेरे दिल को जल्दी छू लेता है...............
पहला सुर से पहले क्या आपकी कोई और भी एल्बम आयी है ?
पहला सुर एल्बम से पहले मैंने ९ धार्मिक एल्बमस (हिन्दी,पंजाबी दोनों) और २ documentries फिल्मों (जैन धरम पर आधारित) और ११ पंजाबी गानों में संगीत दिया ..........
कैसा रहा हिंद युग्म के साथ काम करने का अनुभव ?
हिन्दयुग्म के साथ काम करके मुझे बहुत अच्छा लगा, मैं चाहता हूँ की जो भी वह सब प्रयास कर रहे है, उसमे वह सफल हों
भविष्य की योजनायें क्या है ?
आने वाले सालों मैं मेरी यही कोशिश है की अच्छा संगीत लोगो तक पंहुचा सकूँ जो दिल को सुकून दे सके .............
संगीत के अलाव और क्या क्या करना पसंद है ?
संगीत के अलावा मुझे घूमने और नई जगहों पर जाना पसंद है , हाँ कुछ पुस्तकें पढने का भी शौंक है..........
अपने श्रोताओं और चाहने वालों के नाम कोई संदेश ?
बस यही कहूँगा की अच्छा सुने अच्छा गायें और अच्छा सुनायें ..
पेरुब और उनकी टीम को हिंद युग्म की तरफ़ से भी बहुत सी शुभकामनायें. आईये एक बार फ़िर से आनंद लें उनके इस नये गीत "डरना झुकना छोड़ दे" का (गीत को सुनने के लिए नीचे के पोस्टर पर क्लिक करें)
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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2 श्रोताओं का कहना है :
thanks to sajeev jee and perub ....
yes ..... perub will rock the world ....
wid his zorba band ..... wid his songs , music , ................
and his words.......and himself .....
:)
पेरूब भाई!
हमें भी पूरा विश्वास है कि आप और आपकी टीम सफलता के नए आयाम छुएंगे।
बधाई स्वीकारें।
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