ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 292
पराग सांकला जी के पसंद का दूसरा गाना है १९४९ की फ़िल्म 'महल' का। जहाँ एक तरफ़ इस फ़िल्म में "आयेगा आनेवाला" गीत गा कर लता मंगेशकर को अपना पहला पहला बड़ा ब्रेक मिला था, वहीं गायिका राजकुमारी ने भी इस फ़िल्म में अपने करीयर का एक बड़ा ही कामयाब गीत गाया था। यह गीत है "घबरा के जो हम सर को टकराएँ तो अच्छा है", जिसे आज हम पराग जी की फ़रमाइश पर सुनने जा रहे हैं। 'महल' बॊम्बे टॊकीज़ की फ़िल्म थी, जिसमें संगीत दिया खेमचंद प्रकाश ने और गानें लिखे नकशब जराचवी ने, जिन्हे हम जे. नकशब के नाम से भी जानते हैं। 'महल' एक सस्पेन्स थ्रिलर फ़िल्म थी, जो एक ट्रेंडसेटर फ़िल्म साबित हुई। हुआ युं था कि बॊम्बे टॊकीज़ मलाड का एक विस्तृत इलाका संजोय हुए था। उस कैम्पस में बहुत से लोग रहते थे, बॊम्बे टॊकीज़ के कर्मचारियों के बच्चों के लिए स्कूल भी उसी कैम्पस के अंदर मौजूद था। एक बार एक ऐसी अफ़वाह उड़ी कि उस कैम्पस में भूत प्रेत बसते हैं, और यहाँ तक भी कहा गया कि स्वर्गीय हिमांशु राय का जो बंगला था, उसमें भी भूत हैं। यह बात जब दादामुनि अशोक कुमार ने कमाल अमरोही साहब से कहे तो कमाल साहब को पुनर्जनम पर एक कहानी सूझी और आख़िरकार फ़िल्म 'महल' के रूप में वह पर्दे पर आ ही गई। अशोक कुमार, मधुबाला और विजयलक्ष्मी ने इस फ़िल्म में मुख्य किरदार निभाए। एक सुपर डुपर हिट म्युज़िकल फ़िल्म है 'महल', जिसे हिंदी सिनेमा का एक लैंडमार्क फ़िल्म माना जाता है।
'महल' में लता जी ने मधुबाला का पार्श्वगायन किया था और राजकुमारी ने गाए विजयलक्ष्मी के लिए। अमीन सायानी को दिए गए एक पुराने इंटरव्यू में राजकुमारी जी ने ख़ास कर इस फ़िल्म के गीतों के बारे में कहा था - "महल में मेरे चार गानें थे, और चारों गानें काफ़ी अच्छे थे और लोगों ने काफ़ी पसंद भी किए। दो अब भी याद है लोगों को। और अभी भी कभी कभी वो महल पिक्चर रिलीज़ होती रहती है। "मैं वह दुल्हन हूँ रास ना आया जिसे सुबह", इसे विजयलक्ष्मी के लिए गाया था।" लेकिन जिस गीत के लिए वो जानी गईं, वह गीत है "घबरा के जो सर को टकराएँ तो अच्छा हो"। यह गीत इतना ज़्यादा हिट हुआ कि उसके बाद राजकुमारी जिस किसी भी पार्टी या जलसे में जातीं, उन्हे इस गीत के लिए फ़रमाइशें ज़रूर आतीं। हक़ीक़त भी यही है कि यह गीत उनके आख़िर के दिनों में उनका आर्थिक सहारा भी बना। राजकुमारी ने सब से ज़्यादा गानें ४० के दशक में गाए, और ५० के दशक के शुरुआती सालों में भी उनके गानें रिकार्ड हुए। जिन फ़िल्मों में उनके हिट गानें रहे, उनके नाम हैं - बाबला, भक्त सूरदास, बाज़ार, नर्स, पन्ना, अनहोनी, महल, बावरे नैन, आसमान, और नौबहार। दोस्तों, अमीन सायानी के उसी इंटरव्यू में जब अमीन भाई ने उनसे पूछा कि उन्होने फ़िल्मों के लिए गाना क्यों छोड़ दिया, तो उसके जवाब में राजकुमारी जी ने अफ़सोस व्यक्त हुए कहा कि "मैनें फ़िल्मों के लिए गाना कब छोड़ा, मैने छोड़ा नहीं, मैने कुछ छोड़ा नहीं, वैसे लोगों ने बुलाना बंद कर दिया। अब यह तो मैं नहीं बता पाउँगी कि क्यों बुलाना बंद कर दिया"। बहुत ही तक़लीफ़ होती है किसी अच्छे कलाकार के मुख से ऐसे शब्द सुनते हुए। ऐसे बहुत से कलाकार हैं जिन्हे बदलते वक़्त ने अपने चपेट में ले लिया और लोगों ने भी उन्हे धीरे धीरे भुला दिया। राजकुमारी एक ऐसी ही गायिका हैं जिन्होने बहुत से सुरीले और कर्णप्रिय गानें गाए हैं, और आज का यह अंक हम उन्ही को समर्पित कर रहे हैं। सुनते हैं फ़िल्म 'महल' का गीत और शुक्रिया पराग जी का इस गीत को चुनने के लिए। सुनिए...
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाइये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. याद रहे सबसे पहले सही जवाब देने वाले विजेता को मिलेंगें 2 अंक और 25 सही जवाबों के बाद आपको मिलेगा मौका अपनी पसंद के 5 गीतों को पेश करने का ओल्ड इस गोल्ड पर सुजॉय के साथ. देखते हैं कौन बनेगा हमारा अगला (अब तक के चार गेस्ट होस्ट बने हैं शरद तैलंग जी (दो बार), स्वप्न मंजूषा जी, पूर्वी एस जी और पराग सांकला जी)"गेस्ट होस्ट".अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं-
१. इस गीत को गाया है हेमंत कुमार ने.
२. ओ पी दत्ता निर्देशित इस फिल्म में नलनी जयवंत भी थी.
३. मुखड़े में शब्द है "आंसू".
पिछली पहेली का परिणाम -
इंदु जी अब आप मात्र ७ जवाब दूर हैं ५० के आंकडे से....पर आपके पास एपिसोड भी केवल ८ हैं इस लक्ष्य को पाने के लिए, यदि आप ऐसा कर पायीं तो ये ओल्ड इस गोल्ड के इतिहास में एक रिकॉर्ड होगा, सबसे तेज़ अर्धशतक ज़माने का.....हमारी तरफ से अग्रिम बधाई स्वीकार करें, अनुराग जी आपको इस महफ़िल में देख अच्छा लगा
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
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5 श्रोताओं का कहना है :
''bahaaye chandani aansu''
film --lagaan(1955)
singer hemant kumar
सुजोय !
८ प्रश्न दूर हूँ मैं, जवाब देना भी चाहती हूँ .
ख़ुशी होती अगर कोई रिकॉर्ड कायम होता
पर एक दो दिन में ही मुझे उदयपुर,अजमेर निकलना है
इसलिए मैं अनुपस्थित रहूंगी ,अफ़सोस
पर इस ब्लॉग और इसके आर्टिकल्स की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ है.
हम एक परिवार के मेम्बर्स -से लगने लगे है ना ?
maine to ye geet pahalee baar sunaa hai bahut sundar prastuti dhanyavaad
राजकुमारी जी की आवाज़ बाकी अद्वितीय है.
उत्तर है "बहाए चांदनी आंसू..." मगर इंदु जी ने पहले ही बता दिया.
मेरा पसंदीदा गीत. "बहाए चाँद ने आंसू ज़माना चांदनी समझा , किसी के दिल में हूक उठी तो कोई रागिनी समझा".
इन्दुजी तो जवाब दे ही चुकी हैं. बधाई.
आभार.
अवध लाल
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