ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 774/2011/214
ननमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक और कड़ी में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। दोस्तों, चारों तरफ़ दीवाली की धूम है, ख़ुशियों भरा आलम है, पर इस बार दीवाली मनाने को जी नहीं करता। ग़ज़लों के शहदाई ग़मगीन हैं ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह के आकस्मिक निधन से। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर इन दिनों जारी है स्वर्गीय जगजीत सिंह को श्रद्धांजली स्वरूप उन्हें समर्पित लघु शृंखला 'जहाँ तुम चले गए'। इसमें हम न केवल उनके गाये फ़िल्मी गीत सुनवा रहे हैं, बल्कि ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश यही है कि उनके द्वारा स्वरबद्ध फ़िल्मों के गीत शामिल किए जाएँ। आज हमनें जिस गीत को चुना है, उसे जगजीत सिंह नें स्वरबद्ध किया है और गाया है आशा भोसले नें। गीत के बारे में बताने से पहले ये रहा आशा जी का शोक संदेश - "जगजीत जी की ग़ज़लें मन को शान्ति देती है, उनकी ग़ज़लों को सुनना एक सूदिंग् एक्स्पीरियन्स होता है। अगर किसी को दैनन्दिन तनाव से बाहर निकलना चाहता है तो सबसे अच्छा साधन है जगजीत सिंह का कोई रेकॉर्ड बजाना। मुझे चित्रा के लिए बहुत अफ़सोस है। उन्होंने पहले अपने बेटे को खोया, और अब पति को। वो अब बहुत अकेली हो गई है"। और दोस्तों, लता जी की तरह आशा जी की फ़ेवरीट ग़ज़ल है "सरकती जाये है रुख़ से नकाब"।
आशा जी के गाये जिस गीत को हम आज सुनने जा रहे हैं वह है फ़िल्म 'प्रेम गीत' का, "तेरे गीतों की मैं दीवानी, ओ दिलबरजानी, तूने कही और मैंने मानी, ओ दिलबरजानी"। 'प्रेम गीत' १९८१ की फ़िल्म थी जिसका निर्माण पवन कुमार और लखन सिन्हा नें किया। सूदेश इसार निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे राज बब्बर और अनीता राज। फ़िल्म के गीत लिखे इन्दीवर नें और संगीत के लिए चुना गया जगजीत सिंह को। उत्तम सिंह इस फ़िल्म में जगजीत सिंह के सहायक के रूप में काम किया था। फ़िल्म की कहानी कुछ इस तरह की थी कि आकाश और शिखा साथ में एक डान्स ट्रूप में काम करते हैं और दोनों में प्यार हो जाता है। पर कहानी उस समय नाटकीय मोड़ लेती है जब शिखा को ब्रेन कैन्सर हो जाता है और वो गर्भवती भी है। फ़िल्म के सभी गीत बेहद सराहे गये थे, जैसे कि "होठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो" (जगजीत सिंह), "आओ मिल जायें हम सुगन्ध और सुमन की तरह" (अनुराधा, सुरेश), "देख लो आवाज़ देकर पास अपने पाओगे" (अनुराधा), "ख़्वाबों को सच न कर दूँ एक रात ऐसी दे दो" (सुरेश), "दुल्हे राजा आयेंगे सहेली को ले जायेंगे" (आशा, साथी), "तुमने क्या क्या किया है हमारे लिए" (आशा), और आज का प्रस्तुत गीत। तो आइए सुना जाये आज का गीत। इस गीत को सुन कर इस बात का अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि जगजीत सिंह को अगर मौका दिया जाये तो वो किसी भी व्यावसायिक सफल संगीतकार से किसी बात में कम नहीं है। यह गीत न तो कोई ग़ज़ल है न ही कोई संजीदा गाना, बल्कि एक हल्का-फुल्का स्टेज गीत। गीत में अरबी शैली की झलक मिलती है। आइए सुना जाये।
चलिए अब खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
मदन पाल रचित ये गीत है जिसके मुखड़े में शब्द है -"अजनबी"
पिछले अंक में
ये हुई न बात अमित जी
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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4 श्रोताओं का कहना है :
Dard Apna Likh Naa Paye
Hamsafar banke hum Lyric: Madanpal Music: Jagjit & Chitra Singh Film: Ashiana
Rishta yeh haisa hai Lyric: Madanpal Music: Jagjit & Chitra Singh Film: Aaj
Jawan hai raat saqiya sharab la sharab la Lyric: Madan Pal
Gudiya Tujh Par Ik Pal Hasana
केवल अमित जी ही टिप्पणी कर रहे हैं, बाकी लोग क्या पर्व की व्यवस्था में व्यस्त है? साथ-साथ जगजीत सिंह को भी सुनिए, पर्व का आनन्द द्विगुणित हो जाएगा।
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