ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 775/2011/215
नमस्कार! 'जहाँ तुम चले गए', इन दिनों 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर जारी है गायक और संगीतकार जगजीत सिंह को श्रद्धांजली स्वरूप यह लघु शृंखला में जिसमें हम उनके गाये और स्वरबद्ध गीत सुन रहे हैं। अब तक हमने इस शृंखला में चार गीत सुनें जगजीत जी द्वारा स्वरबद्ध किए हुए, जिनमें से दो उन्हीं के गाये हुए थे, तथा एक एक गीत लता जी और आशा जी की आवाज़ में थे। आज जो गीत हम लेकर आये हैं, उसे भी जगजीत जी नें ही कम्पोज़ किया है, पर गाया है उनकी पत्नी और गायिका चित्रा सिंह नें। यह गीत है फ़िल्म 'आज' का "रिश्ता ये कैसा है, नाता ये कैसा है"। यह १९९० की फ़िल्म थी महेश भट्ट द्वारा निर्देशित। फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे राज किरण, कुमार गौरव, अनामिका पाल, स्मिता पाटिल और मार्क ज़ुबेर। फ़िल्म के तमाम गीत जगजीत और चित्रा सिंह नें गाये। फ़िल्म का शीर्षक गीत जगजीत जी का गाया हुआ था। फ़िल्म 'राही' के उसी गीत की तरह यह भी एक आशावादी दार्शनिक गीत था "फिर आज मुझे रुमको बस इतना बताना है, हँसना ही जीवन है, हँसते ही जाना है"। आज का प्रस्तुत गीत भी बड़ा ख़ूबसूरत गीत है, बोलों के लिहाज़ से भी और संगीत के लिहाज़ से भी। इस गीत को लिखा है मदन पाल नें। मदन पाल का नाम फ़िल्मी गीतकार के रूप में ज़्यादा चर्चित नहीं हुआ पर इस गीत के बोलों पर ग़ौर करें तो अनुमान लगाया जा सकता है कि वो किस स्तर के गीतकार थे...
"रिश्ता ये कैसा है, नाता ये कैसा है।
पहचान जिससे नहीं थी कभी
अपना बना है वही अजनबी,
रिश्ता ये कैसा है, नाता ये कैसा है।
तुम्हे देखते ही रहूँ मैं हमेशा
मेरे सामने यूं ही बैठे रहो तुम,
करूँ दिल की बातें मैं ख़ामोशियों से,
और अपने लबों से न कुछ भी कहो तुम,
ये रिश्ता है कैसा, ये नाता है कैसा।
तेरे तन की ख़ुशबू भी लगती है अपनी
ये कैसी लगन है ये कैसा मिलन है
तेरे दिल की धड़कन भी लगती है अपनी
तुम्हे पाके महसूस होता है ऐसे
के जैसे कभी हम जुदा ही नहीं थे
ये माना के जिस्मों के घर तो नए हैं
मगन है पुराने ये बंधन दिलों के।"
दोस्तों, पिछली चार कड़ियों में हमनें कई कलाकारों के शोक संदेश पेश किए, आइए आज भी कुछ और शोक संदेश पढ़ें। गायिका उषा उथुप कहती हैं - "I can’t believe it. It was because of him that ordinary men could enjoy good Ghazal. We worked together in a jingle when I was just staring my career. "He is the person who introduced the 12-string guitar and the bass guitar in ghazal singing, in a way no one could. I spoke to him recently. What a human being. It is a great loss." समकालीन ग़ज़ल गायक पंकज उधास नें जगजीत सिंह को वर्सेटाइल सिंगर कहते हुए बताया कि "I am devastated after hearing the tragic news." दोस्तों, आज दीपावली है, आप सभी को शुभकामनाएँ देते हुए जगजीत सिंह के संगीत का दिया जलाते हैं और सुनते हैं चित्रा जी की मनमोहक आवाज़ में यह ख़ूबसूरत गीत।
चलिए अब खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
आवाज़ है दिलराज कौर की, और मुखड़े में शब्द है "देवी"
पिछले अंक में
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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श्रोता का कहना है :
आज तो आपने अच्छी खासी कसरत करा दी.दिलराज कौर ने जगजीत सिंह के संगीत निर्देशन में केवल २ फिल्मो में गाया था. 'लॉन्ग दा लिश्कारा' जो कि एक पंजाबी फिल्म थी. और दूसरी थी हिंदी फिल्म 'बिल्लू बादशाह'. उसमे एक गाना था ' ये जो घर आँगन है'. इसी में 'देवी' शब्द आता है.
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