जैसे जीवन के कुछ क्षेत्रों मे हमेशा असंतोष बना रहता है वैसे ही संगीत की दुनिया में कुछ लोग इस तरह की चर्चा करते हैं कि संगीत में तो अब वह बात नहीं रही. हक़ीक़त यह है कि समय,काल,परिवेश के अनुसार संगीत बदला है. चूँकि उसका सीधा ताल्लुक मनुष्य से है जिसका स्वभाव ही परिवर्तन को स्वीकारना है तो संगीत का दौर और कलेवर कैसे स्थायी रह सकता है वह भी बदलेगा ही और हमें उसे बदले रंगरूप में भी स्वीकार करने का जज़्बा पैदा करना पड़ेगा.
आवाज़ एक सुरीला ब्लॉग है जहा नयेपन की बयार बहती रहती है.नई आवाज़ें,नये शब्द और नयापन लिये संगीत.इस बार भी पाँच प्रविष्टियाँ मेरे कानों पर आईं और तरबतर कर गईं. मुश्किल था इनमें से किसे कम कहूँ या ज़्यादा. लेकिन जो भी समझ पाया हूँ आपके सामने है.
१)नदी हूँ मैं पवन हूँ,मैं धरा या गगन:
शब्द अप्रतिम,गायकी अच्छी है शब्द की सफ़ाई पर ध्यान दिया जाने से ये आवाज़ एक बड़ी संभावना बन सकती है,उन्हें गायकी का अहसास है.कम्पोज़िशन मौके के अनुकूल है और मन पर असर करती है.
गीत:4.5/5
संगीत:4/5
आवाज़:3/5
कुल प्रभाव 3.5/5
15/20
7.5/10
कुल अंक अब तक 13.5 / 20
२)बेइंतहा प्यार
रचना सुन्दर बन पड़ी है.आवाज़ भी प्रभावी है लेकिन सुर में ठहराव नहीं है. वह बहुत ज़रूरी है.धुन अच्छी लगी है , मेहनत नज़र आती है.
गीत:2.5/5
संगीत:3.5/5
आवाज़:2.5/5
कुल प्रभाव 2.5/5
11/20
5.5/10
कुल अंक अब तक 10.5 / 20
३)बहते बहते धारे,कहते तुमसे सारे
ये इस बार की सबसे प्रभावी रचना है.गायकी,संगीत और शब्द मन को छू जाते हैं.सभी प्रतिभागियों से कहना चाहूँगा कि वह संगीत जो टेक्निकली परफ़ेक्ट है याद नहीं रखा जाएगा,जिसमें बहुत से साज़ बजे हैं वह याद नहीं रखा जाएगा,याद रखी जाती है धुन क्योंकि सबसे पहले वह मन को छूती है और गीत का रास्ता प्रशस्त करती है.धुन अच्छी होने के बाद ज़िम्मेदारी कविता पर आ जाती है और अंतिम प्रभाव छोड़ती है आवाज़ ,लेकिन वही सबसे ज़्यादा पुरस्कृत होती है.
गीत:3.5/5
संगीत:3.5/5
आवाज़:3.5/5
कुल प्रभाव 4.5/5
15/20
7.5/10
कुल अंक अब तक 16 / 20
४)चले जाना
संगीत अच्छा बन पड़ा है.गीत कमज़ोर है.गायक को सुर पर ठहराव की आवश्यकता है.पिच कैसा भी हो आवाज़ खूँटे सी गड जाना चाहिये.एक विशेष बात इस प्रस्तुति के फ़ेवर में जाती है और वह भारतीय साज़ों का इस्तेमाल.वॉयलिन सुन्दर बजा है इसमें.रिद्म का काम भी बेजोड़ है लेकिन गायकी अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाई है.
गीत:2/5
संगीत:3.5/5
आवाज़:2.5/5
कुल प्रभाव 2/5
9/20
4.5/10
कुल अंक अब तक 12.5 / 20
५)इस बार मेरे सरकार:
सामान्य प्रस्तुति है.मेहनत नहीं की गई है.शब्द के साथ संगीत ब्लैण्ड नहीं कर रहा.
गीत:1.5/5
संगीत:1.5/5
आवाज़:1.5/5
कुल प्रभाव 1.5/5
6/20
3/10
कुल अंक अब तक 11 / 20
सभी रचनाएं सुनकर दिल बाग बाग हो जाता है कि बेसुरेपन के इस दौर में युवा पीढ़ी के कलाकार इतनी मेहनत कर रहे हैं. आज युवाओं के सर पर कैरियर को लेकर चिंताएँ हैं उसे देखते हुए आवाज़ की यह पहल और उस पर मिला इन कलाकारों का प्रतिसाद प्रशंसनीय है.बधाईयाँ.
चलते चलते
इस समीक्षा के साथ साथ जबरदस्त उठा पटक हो गई है, "जीत के गीत" ने अपनी बढ़त बरक़रार रखी है, मगर "चले जाना" और "मेरे सरकार" पीछे चले गए और "मैं नदी" और "बेइंतेहा प्यार" आगे आ गए हैं. ये देखना दिलचस्प होगा की पहले चरण के अंतिम समीक्षक की समीक्षा के बाद क्या तस्वीर बनती है.
अपनी मूल्यवान समीक्षाओं से हमारे गीतकार / संगीतकार / गायकों का मार्गदर्शन करने के लिए अपना बहुमूल्य समय निकाल कर, आगे आए हमारे समीक्षकों के प्रति हिंद युग्म अपना आभार व्यक्त करता है.
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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4 श्रोताओं का कहना है :
अगस्त के महीने की गीतों की दूसरी समीक्षा का मैं स्वागत करती हूँ और सजीव जी और उनकी टीम को जीत के गीत की जीत की बधाई देती हूँ !दूसरे स्थान के लिए मैं नदी की टीम को मेरी ओर से शुभकामनायें !मेरे ख्याल से बेइंतहा के अंकों के जोड़ में कुछ गलती हो गयी है !अब तक के कुल अंक १०.५ बन रहे हैं !मेरे सरकार के इस बार के अंक देख कर आश्चर्य हुआ !समीक्षा के लिए धन्यवाद !
शिवानी जी आपने बिल्कुल सही पकड़ा, गलती सुधार दी गई है,
:) मेरे सरकार के अंक देख कर मुझे भी बेहद आश्चर्य हुआ, खैर समीक्षक हम से बेहतर समझ रखते हैं
The greatest winning is always the learning which the failure gives. मुझे अंक पसंद तो नहीं आए विशेष रूप से मेरे सरकार के लिए लकिन मुझे समीक्षक जी से बहुत कुछ सिखने को मिला. उनके अंक सर आखो पर. अगर संगीत की विशालता को दृष्टि में रखा जाए तो १० से ३ भी बहुत बड़ी बात होती है. :)
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