सूखी रोटी खायेगा जब कृषक खेत में धरकर हल,
तब दूँगी मैं तृप्ति उसे बनकर लोटे का गंगाजल।
उसके तन का दिव्य स्वेदकण बनकर गिरती जाऊँगी,
और खेत में उन्हीं कणों से मैं मोती उपजाऊँगी।
फूलों की क्या बात? बाँस की हरियाली पर मरता हूँ।
अरी दूब, तेरे चलते, जगती का आदर करता हूँ।
इच्छा है, मैं बार-बार कवि का जीवन लेकर आऊँ,
अपनी प्रतिभा के प्रदी से जग की अमा मिटा जाऊँ।-विश्चछवि ('रेणुका' काव्य-संग्रह से)
कभी इसी कवि ने कहा था-
प्यारे स्वदेश के हित अंगार माँगता हूँ।
चढ़ती जवानियों के शृंगार माँगता हूँ। -- 'आग की भीख' ('सामधेनी' से)
इसी सप्ताह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन अग्रयुवक शहीद भगत सिंह की भी जयंती है। क्या संयोग है कि एक ही सप्ताह में राष्ट्रकवि और राष्ट्रपुत्र का जन्मदिवस है! शायद राष्ट्रकवि ने भगत सिंह के सम्मान में और उनके जैसे वीरों में देशप्रेम की आग भरने के लिए ही कहा होगा-
यह झंडा, जिसको मुर्दे की मुट्ठी जकड़ रही है,
छिन न जाय, इस भय से अब भी कसकर पकड़ रही है,
थामो इसे, शपथ लो, बलि का कोई क्रम न रुकेगा,
चाहे जो हो जाय, मगर यह झण्डा नहीं झुकेगा।
इस झण्डे में शान चमकती है मरनेवालों की,
भीमकाय पर्वत से मुट्ठी भर लड़नेवालों की। --- 'सरहद के पार' से ('सामधेनी' से)
इस राष्ट्रकवि ने कविता को परिभाषित करते हुए कहा था-
बड़ी कविता कि जो इस भूमि को सुंदर बनाती है,
बड़ा वह ज्ञान जिससे व्यर्थ की चिन्ता नहीं होती।
बड़ा वह आदमी जो जिन्दगी भर काम करता है,
बड़ी वह रूह जो रोये बिना तन से निकलती है।---- 'स्वप्न और सत्य' ('नील कुसुम' से)
"दिनकर" के कुछ काव्य संकलन :
१ रश्मिरथी
२ कुरुक्षेत्र
३ चक्रवाल
४ रसवंती
५ नीम के पत्ते
६ संचयिता
७ आत्मा की आँखें
८ उर्वशी
९ दिनकर की सूक्तियां
१० मुक्ति - तिलक
११ सीपी और शंख
१२ दिनकर के गीत
१३ हारे को हरिनाम
१४ राष्मिलोक
१५ धुप और धुंआ
१६ कोयला और कवित्व ..... इत्यादि ..
हम रामधारी जी के साहित्य की मीमांसा करें तो छोटी मुँह बड़ी बात होगी। हमने सोचा कि आवाज़ के माध्यम से इस महाकवि को कैसे श्रद्धासुमन अर्पित करें। जिन खोजा, तिन पाइयाँ, अमिताभ मीत मिले, जो साहित्यकारों में सबसे अधिक दिनकर से प्रभावित हैं। मीत का परिवार भी साहित्य का रसज्ञ था। मीत को बचपन में इस राष्ट्रकवि का सानिध्य भी मिला। मीत का सपना ही है कि दिनकर की 'रश्मिरथी' को इस मंच से दुनिया के समक्ष 'आवाज़' के रूप में लाया जाय।
मीत ने दिनकर की दो प्रसिद्ध कविताओं 'हाहाकार' ('हुंकार' कविता-संग्रह से) और 'बालिका से वधू' ('रसवन्ती' कविता-संग्रह से) अपनी आवाज़ दी है। सुनें और राष्ट्रकवि को अपनी श्रद्धाँजलि दें।
हाहाकार
बालिका से वधू

प्रस्तुति- अमिताभ 'मीत'
कविता पृष्ठ पर पढ़ें वरिष्ठ साहित्यकार जगदीश रावतानी की कलम से 'दिनकर-चंद स्मृतियाँ'
कलम आज उनकी जय बोल- शोभा महेन्द्रू की प्रस्तुति
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 श्रोताओं का कहना है :
bahut sunder shabdon ki rachna hain, aor inko gaya bhi bahut acha hai.
Randhari ji ke bhare mein padhkar bahut acha laga.
दिनकर जी के ऊपर इतनी सुंदर प्रस्तुति के लिए अमिताभ जी और हिंद-युग्म को बधाई. लेख और कविता पाठ दोनों ही पसन्द आए. वर्तनी में एकाध जगह मामूली सुधार की आवश्यकता है मगर कुल मिलाकर यह प्रस्तुति बहुत खूब रही. महान कवियों पर ऐसी प्रस्तुतियों का भविष्य में भी स्वागत है.
मीत भाई ,
दिनकर चाचाजी पर आपकी ये प्रस्तुति बेहद अच्छी रही -
आभार व बधाई
- लावण्या
मीत भाई बेहद सुंदर, आपका सौभाग्य है की आपको राष्टकवि का सानिध्य मिला, आपकी आवाज़ बहुत बढ़िया लगी, आगे भी यह क्रम जारी रखियेगा, राष्ट्रकवि को मेरा शत शत नमन
मीत जी,
आपकी आवाज़ बहुत फील के साथ आती है। कविता प्रेमियों को आपके ग़ज़ब का उपहार दिया है। मुझे तक अब 'रश्मिरथी' का इंतज़ार सा हो गया है। आपका मैं हृदय से आभारी हूँ।
दिनकर जी की कवितायें सदा ही उर्जा प्रदान करती हैं. कविता सुनकर अच्छा लगा. युग्म की इस प्रयास के लिए बधाई.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)