Season 3 of new Music, Song # 09
तीसरे सत्र के नौवें गीत के साथ हम हाज़िर हैं एक बार फिर. सजीव सारथी की कलम का एक नया रंग है इसमें, तो इसी गीत के माध्यम से आज युग्म परिवार से जुड रहे हैं दो नए फनकार. अमेरिका में बसे संगीतकार बालामुरली बालू और अपने गायन से दुनिया भर में नाम कमा चुकी ह्रिचा हैं ये दो मेहमान. वैश्विक इंटरनेटिया जुगलबंदी से बने इस गीत में जीवन के प्रति एक सकारात्मक रुख रखने की बात की गयी है, लेकिन एक अलग अंदाज़ में.
गीत के बोल -
रोको न दिल को,
उड़ने दो खुल के तुम,
जी लो इस पल को,
खुश होके आज तुम,
कोशिश है तेरे हाथों में मेरे यार,
हंसके अपना ले हो जीत या हार,
बुलबुला है बुलबुला / दो पल का है ये सिलसिला/
तू मुस्कुरा गम को भुला अब यार,
सिम सिम खुला / हर दर मिला, होता कहाँ ऐसा भला /
तो क्यों करे कोई गिला मेरे यार,
सपनें जो देखते हों तो,
सच होंगें ये यकीं रखो,
just keep on going on and on,
एक दिन जो था बुरा तो क्या,
आएगा कल भी दिन नया,
don't think that u r all alone,
कोई रहबर की तुझको है क्यों तलाश,
जब वो खुदा है हर पल को तेरे पास,
कुछ तो है तुझमें बात ख़ास,
बुलबुला है बुलबुला / दो पल का है ये सिलसिला/
तू मुस्कुरा गम को भुला अब यार,
सिम सिम खुला / हर दर मिला, होता कहाँ ऐसा भला /
तो क्यों करे कोई गिला मेरे यार,
रोको न दिल को,
उड़ने दो खुल के तुम,
जी लो इस पल को,
खुश होके आज तुम,
कोशिश है तेरे हाथों में मेरे यार,
हंसके अपना ले हो जीत या हार,
बुलबुला है बुलबुला / दो पल का है ये सिलसिला/
तू मुस्कुरा गम को भुला अब यार,
सिम सिम खुला / हर दर मिला, होता कहाँ ऐसा भला /
तो क्यों करे कोई गिला हम यार...
बुलबुला है मुजिबू पर भी, जहाँ श्रोताओं ने इसे खूब पसंद किया है
मेकिंग ऑफ़ "बुलबुला" - गीत की टीम द्वारा
बालामुरली बालू शुरू में मैंने सोचा था कि एक "निराश" गीत बनाऊं, उनके लिए जो जीवन से हार चुके है या किसी कारणवश बेहद दुखी हैं, फिर सोचा कि क्यों न इसी बात को दुखी अंदाज़ में कहने की बजाय जरा अपबीट अंदाज़ में कहा जाए. तो इस तरह ये धुन बनी, उसके बाद मैंने इसका डेमो सजीव को भेजा. मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब मैंने उनका लिखा गीत पढ़ा, उन्होंने मेरे एक एक नोट इतने सुन्दर शब्दों से सजा दिया था, पर मुझे लगा कि शब्दों के मूल धुन से अधिक उर्जा है, तो उसे समतुल्य करने के लिए मैंने एक बार फिर गीत के अरेंजमेंट का निरिक्षण किया और जरूरी बदलाव किये. उसके बाद ये गीत ह्रिचा के पास गया, अब ७ बार सा रे गा मा पा की विजेता से आप यही तो उम्मीद करेंगें न कि वो आपके गीत एक नयी ऊंचाई दे, और यही ह्रिचा ने किया भी...
ह्रिचा नील मुखर्जी: जब बाला ने पहली बार मुझसे इस गीत के लिए संपर्क किया तो जो चीज मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही थी वो था, उनका बहुआयामी व्यक्तित्त्व. मेरे अनुसार उन्होंने अपने अत्यधिक व्यस्त जीवनचर्या में भी जिस तरह संगीत की साधना की है वह बहुत प्रशंसनीय है. उनके इस गीत में मुझे दक्षिण भारतीय फिल संगीत शैली की झलक मिलती है जो सरल है और अत्यधिक सरस है. और इस गीत को जिस तरह लिखा गया है आज भी सार्थिक और भावप्रवल गीतों को तथाकथित अपबीट सुरों में कैसे पिरोया जा सकता है, इसकी एक मिसाल है, इसके लिए मैं सजीव को बधाई प्रेषित करती हूँ. उम्मीद है मेरा गायन भी आप सब को पसंद आएगा.
सजीव सारथी:"दिल यार यार" की मेकिंग के दौरान ही मेरी मुलाक़ात बाला से हुई, वो चाहते थे कि मैं उनके लिए एक युगल गीत लिखूं जिसका पूरा ट्रेक उनके पास तैयार था, और मैंने लिखा भी....पर जाने क्यों बाला उस गीत के संगीत संयोजन से संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे, तभी उन्होंने इस धुन पर काम करने की सोची, व्यक्तिगत तौर पे कहूँ तो मुझे ये धुन उनके युगल गीत से अधिक अच्छी लगी, बाला की धुनें बेहद सरल होती है, इस गीत में भी जरुरत बस एक कैच वर्ड की थी जो बुलबुला के रूप में जब मुझे मिला तो फिर गीत लिखने में जरा भी समय नहीं लगा. "सिम सिम खुला" मैं रखना चाहता था, हालाँकि ये मूल धुन पर एक नोट ज्यादा था, पर बाला ने मेरी भावनाओं का ख्याल रखते हुए उसे बहुत खूबसूरती से इन्कोपरेट किया है गाने में. "अलीबाबा चालीस चोर" वाले किस्से के लिया है ये सिम सिम खुला :), ह्रिचा के बारे में क्या कहूँ, उनकी आवाज़ में ये छोटा सा गाना मेरे लिए एक मिनी कैप्सूल है जिसे जब भी सुनता हूँ नयी उर्जा मिल जाती है
बालामुरली बालू शुरू में मैंने सोचा था कि एक "निराश" गीत बनाऊं, उनके लिए जो जीवन से हार चुके है या किसी कारणवश बेहद दुखी हैं, फिर सोचा कि क्यों न इसी बात को दुखी अंदाज़ में कहने की बजाय जरा अपबीट अंदाज़ में कहा जाए. तो इस तरह ये धुन बनी, उसके बाद मैंने इसका डेमो सजीव को भेजा. मेरे आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब मैंने उनका लिखा गीत पढ़ा, उन्होंने मेरे एक एक नोट इतने सुन्दर शब्दों से सजा दिया था, पर मुझे लगा कि शब्दों के मूल धुन से अधिक उर्जा है, तो उसे समतुल्य करने के लिए मैंने एक बार फिर गीत के अरेंजमेंट का निरिक्षण किया और जरूरी बदलाव किये. उसके बाद ये गीत ह्रिचा के पास गया, अब ७ बार सा रे गा मा पा की विजेता से आप यही तो उम्मीद करेंगें न कि वो आपके गीत एक नयी ऊंचाई दे, और यही ह्रिचा ने किया भी...
ह्रिचा नील मुखर्जी: जब बाला ने पहली बार मुझसे इस गीत के लिए संपर्क किया तो जो चीज मुझे सबसे ज्यादा आकर्षित कर रही थी वो था, उनका बहुआयामी व्यक्तित्त्व. मेरे अनुसार उन्होंने अपने अत्यधिक व्यस्त जीवनचर्या में भी जिस तरह संगीत की साधना की है वह बहुत प्रशंसनीय है. उनके इस गीत में मुझे दक्षिण भारतीय फिल संगीत शैली की झलक मिलती है जो सरल है और अत्यधिक सरस है. और इस गीत को जिस तरह लिखा गया है आज भी सार्थिक और भावप्रवल गीतों को तथाकथित अपबीट सुरों में कैसे पिरोया जा सकता है, इसकी एक मिसाल है, इसके लिए मैं सजीव को बधाई प्रेषित करती हूँ. उम्मीद है मेरा गायन भी आप सब को पसंद आएगा.
सजीव सारथी:"दिल यार यार" की मेकिंग के दौरान ही मेरी मुलाक़ात बाला से हुई, वो चाहते थे कि मैं उनके लिए एक युगल गीत लिखूं जिसका पूरा ट्रेक उनके पास तैयार था, और मैंने लिखा भी....पर जाने क्यों बाला उस गीत के संगीत संयोजन से संतुष्ट नहीं हो पा रहे थे, तभी उन्होंने इस धुन पर काम करने की सोची, व्यक्तिगत तौर पे कहूँ तो मुझे ये धुन उनके युगल गीत से अधिक अच्छी लगी, बाला की धुनें बेहद सरल होती है, इस गीत में भी जरुरत बस एक कैच वर्ड की थी जो बुलबुला के रूप में जब मुझे मिला तो फिर गीत लिखने में जरा भी समय नहीं लगा. "सिम सिम खुला" मैं रखना चाहता था, हालाँकि ये मूल धुन पर एक नोट ज्यादा था, पर बाला ने मेरी भावनाओं का ख्याल रखते हुए उसे बहुत खूबसूरती से इन्कोपरेट किया है गाने में. "अलीबाबा चालीस चोर" वाले किस्से के लिया है ये सिम सिम खुला :), ह्रिचा के बारे में क्या कहूँ, उनकी आवाज़ में ये छोटा सा गाना मेरे लिए एक मिनी कैप्सूल है जिसे जब भी सुनता हूँ नयी उर्जा मिल जाती है
ह्रिचा देबराज नील मुखर्जी
२००२ में ह्रिचा लगातार ७ बार जी के सारेगामापा कार्यक्रम में विजेता रही है, जो अब तक भी किसी भी महिला प्रतिभागी की तरफ़ से एक रिकॉर्ड है. स्वर्गीय मास्टर मदन की याद में संगम कला ग्रुप द्वारा आयोजित हीरो होंडा नेशनल टेलंट हंट में ह्रिचा विजेता रही. और भी ढेरों प्रतियोगिताओं में प्रथम रही ह्रिचा ने सहारा इंडिया के अन्तराष्ट्रीय आयोजन "भारती" में ३ सालों तक परफोर्म किया और देश विदेश में ढेरों शोस् किये. फ़्रांस, जर्मनी, पोलेंड, बेल्जियम, इस्राईल जैसे अनेक देशों में बहुत से अन्तराष्ट्रीय कलाकारों के साथ एक मंच पर कार्यक्रम देने का सौभाग्य इन्हें मिला और साथ ही बहुत से यूरोपियन टीवी कार्यक्रमों में भी शिरकत की. अनेकों रेडियो, टी वी धारावाहिकों, लोक अल्बम्स, और जिंगल्स में अपनी आवाज़ दे चुकी ह्रिचा, बौलीवुड की क्रोस ओवर फिल्म "भैरवी" और बहुत सी राजस्थानी फ़िल्में जैसे "दादोसा क्यों परणाई", "ताबीज", "मारी तीतरी" जैसी फिल्मों में पार्श्वगायन कर चुकी हैं.
बालमुरली बालू
दिन में रिसर्चर बालामुरली बालू रात में संगीतकार का चोला पहन लेते हैं. १५ साल की उम्र से बाला ने धुनों का श्रृंगार शुरू कर दिया था. एक ड्रमर और गायक की हैसियत से कवर बैंडों के लिए १० वर्षों तक काम करने के बाद उन्हें महसूस हुआ उनकी प्रतिभा का सही अर्थ मूल गीतों को रचने में है. बाला मानते हैं कि उनकी रचनात्मकता और कुछ नया ईजाद करने की उनकी क्षमता ही उन्हें भीड़ से अलग साबित करती है. ये महत्वकांक्षी संगीतकार इन दिनों एक पॉप अल्बम "मद्रासी जेनर" पर काम रहा है, जिसके इसी वर्ष बाजार में आने की सम्भावना है
सजीव सारथी
हिन्द-युग्म के 'आवाज़' मंच के प्रधान संपादक सजीव सारथी हिन्द-युग्म के वरिष्ठतम गीतकार हैं। हिन्द-युग्म पर इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीतबद्ध गीत निर्माण का बीज सजीव ने ही डाला है, जो इन्हीं के बागवानी में लगातार फल-फूल रहा है। कविहृदयी सजीव की कविताएँ हिन्द-युग्म के बहुचर्चित कविता-संग्रह 'सम्भावना डॉट कॉम' में संकलित है। सजीव के निर्देशन में ही हिन्द-युग्म ने 3 फरवरी 2008 को अपना पहला संगीतमय एल्बम 'पहला सुर' ज़ारी किया जिसमें 6 गीत सजीव सारथी द्वारा लिखित थे। पूरी प्रोफाइल यहाँ देखें।
२००२ में ह्रिचा लगातार ७ बार जी के सारेगामापा कार्यक्रम में विजेता रही है, जो अब तक भी किसी भी महिला प्रतिभागी की तरफ़ से एक रिकॉर्ड है. स्वर्गीय मास्टर मदन की याद में संगम कला ग्रुप द्वारा आयोजित हीरो होंडा नेशनल टेलंट हंट में ह्रिचा विजेता रही. और भी ढेरों प्रतियोगिताओं में प्रथम रही ह्रिचा ने सहारा इंडिया के अन्तराष्ट्रीय आयोजन "भारती" में ३ सालों तक परफोर्म किया और देश विदेश में ढेरों शोस् किये. फ़्रांस, जर्मनी, पोलेंड, बेल्जियम, इस्राईल जैसे अनेक देशों में बहुत से अन्तराष्ट्रीय कलाकारों के साथ एक मंच पर कार्यक्रम देने का सौभाग्य इन्हें मिला और साथ ही बहुत से यूरोपियन टीवी कार्यक्रमों में भी शिरकत की. अनेकों रेडियो, टी वी धारावाहिकों, लोक अल्बम्स, और जिंगल्स में अपनी आवाज़ दे चुकी ह्रिचा, बौलीवुड की क्रोस ओवर फिल्म "भैरवी" और बहुत सी राजस्थानी फ़िल्में जैसे "दादोसा क्यों परणाई", "ताबीज", "मारी तीतरी" जैसी फिल्मों में पार्श्वगायन कर चुकी हैं.
बालमुरली बालू
दिन में रिसर्चर बालामुरली बालू रात में संगीतकार का चोला पहन लेते हैं. १५ साल की उम्र से बाला ने धुनों का श्रृंगार शुरू कर दिया था. एक ड्रमर और गायक की हैसियत से कवर बैंडों के लिए १० वर्षों तक काम करने के बाद उन्हें महसूस हुआ उनकी प्रतिभा का सही अर्थ मूल गीतों को रचने में है. बाला मानते हैं कि उनकी रचनात्मकता और कुछ नया ईजाद करने की उनकी क्षमता ही उन्हें भीड़ से अलग साबित करती है. ये महत्वकांक्षी संगीतकार इन दिनों एक पॉप अल्बम "मद्रासी जेनर" पर काम रहा है, जिसके इसी वर्ष बाजार में आने की सम्भावना है
सजीव सारथी
हिन्द-युग्म के 'आवाज़' मंच के प्रधान संपादक सजीव सारथी हिन्द-युग्म के वरिष्ठतम गीतकार हैं। हिन्द-युग्म पर इंटरनेटीय जुगलबंदी से संगीतबद्ध गीत निर्माण का बीज सजीव ने ही डाला है, जो इन्हीं के बागवानी में लगातार फल-फूल रहा है। कविहृदयी सजीव की कविताएँ हिन्द-युग्म के बहुचर्चित कविता-संग्रह 'सम्भावना डॉट कॉम' में संकलित है। सजीव के निर्देशन में ही हिन्द-युग्म ने 3 फरवरी 2008 को अपना पहला संगीतमय एल्बम 'पहला सुर' ज़ारी किया जिसमें 6 गीत सजीव सारथी द्वारा लिखित थे। पूरी प्रोफाइल यहाँ देखें।
Song - Bulbula
Voice - Hricha Neel Mukherjee
Music - Balamurli Balu
Lyrics - Sajeev Sarathie
Graphics - puffwazz
Song # 09, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm
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9 श्रोताओं का कहना है :
अति सुन्दर।
महत्वपूर्ण पोस्ट, साधुवाद
kuch din pahle ye geet muziboo pe suna tha ... very fresh composition & singing and apt lyrics :)
Congrats to the team !
-Kuhoo
सजीव जी,
गीत के बोल, संगीत व आवाज तीनो ही मधुर कर्णप्रिय हैं...सार्थक प्रयास के लिये बधाई
रचना में नवीनता और ताज़गी है। उसमें ज़बरदस्त प्रवाह है। तुकों के प्रयोग ने उसके प्रभाव में वृद्धि की है। रचना का स्वरूप अत्याधुनिक है। गायिका के स्वर में आकर्षण है। श्रेष्ठ गीति-शिल्पी श्री. सजीव सारथी जी को हार्दिक बधाई!
— महेंद्रभटनागर
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
रचना में नवीनता और ताज़गी है। उसमें ज़बरदस्त प्रवाह है। तुकों के प्रयोग ने उसके प्रभाव में वृद्धि की है। रचना का स्वरूप अत्याधुनिक है। गायिका के स्वर में आकर्षण है। श्रेष्ठ गीति-शिल्पी श्री. सजीव सारथी जी को हार्दिक बधाई!
— महेंद्रभटनागर
E-Mail : drmahendra02@gmail.com
अति सुंदर पोस्ट और समर्पित कलाकारों को बधाई .
गर्मी के मौसम में शीतल हवा के झोंके जैसे मधुर बोल और स्वर मन को तरोताज़ा कर गए.. इसी कारण आज टिप्पणी देने के लिए रुक गए...वैसे तो यूँ ही आनन्द लेकर लौट जाते थे..
Bahut achha laga mujhe ye composition aur singing bhi... congrats to the team... Biswajit
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