रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Monday, June 14, 2010

"मोहन प्यारे अब और साज़ पर गा रे" - सी. एच. आत्मा की आवाज़, पर सहगल साहब का अंदाज़



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 417/2010/117

कुंदन लाल सहगल साहब की गायकी के नक्ष-ए-क़दम पर चलने वाले गायकों में एक नाम सी. एच. आत्मा का भी है। सी. एच. आत्मा बहुत ज़्यादा कामयाब तो नहीं हो सके, लेकिन उनके गाए बहुत से गीत और भजन उस ज़माने में बेहद मशहूर हुए थे। उनके गाए हुए ग़ैर फ़िल्मी गीतों और भजनों की संख्या भी कम नहीं है। आज हम आपको 'दुर्लभ दस' शृंखला के तहत सुनवा रहे हैं सी. एच. आत्मा की आवाज़ में १९५४ की फ़िल्म 'बिलवामंगल' की एक भजन "मोहन प्यारे, अब और साज़ पर गा रे"। डी. एन. मधोक निर्देशित इस फ़िल्म के मुख्य कलाकार थे सी. एच. आत्मा और सुरैय्या। संगीत बुलो. सी. रानी का था और फ़िल्म के गानें लिखे मधोक साहब ने ही। सन्‍ १९७० में सी. एच. आत्मा तशरीफ़ लाए थे विविध भारती के स्टुडिओज़ में, जहाँ उन्होने फ़ौजी भाइयों के लिए 'जयमाला' कार्यक्रम प्रस्तुत किया था। उस कार्यक्रम में इस भजन को पेश करते हुए कहा था - "दोस्तों, अफ़्रीका की एक पार्टी में मैंने फ़िल्म 'बिलवामंगल' का एक भजन गाया था। वह सुनकर एक देवी ने कहा था कि काश ये कलाकार मुझे मिल जाता! ख़ैर, मुलाक़ात तो हुई ही बिछड़ने के लिए। मगर यह भजन मेरा जीवन साथी रहा है।"

दोस्तों, आज जब मौका लगा है डी. एन. मधोक साहब का लिखा हुआ गीत बजाने का, तो क्यों ना लगे हाथ उनके जीवन के बारे में कुछ बातें भी आप को बताई जाए! लेकिन उनके जीवन के जिस पहलु का हम ज़िक्र करेंगे वह संगीत से जुड़ा हुआ नहीं है। जी हाँ, बात दरअसल ऐसी है कि अमीन सायानी साहब ने एक बार 'संगीत के सितारों की महफ़िल' सीरीज़ में मधोक साहब पर कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए उनके बेटे डॊ. पृथ्वी मधोक से मुलाक़ात की थी। उस मुलाक़ात में मधोक साहब के बेटे ने बताया था कि उनके पिता एक फ़िल्मकार और गीतकार होने के साथ साथ एक अच्छे ज्योतिषी भी रहे। तो चलिए दीना नाथ मधोक जी के इस प्रतिभा पर ज़रा और प्रकाश डालें ख़ुद उन्ही के बेटे की ज़बान से। "बाद में इन्होने (मधोक साहब ने) 'ऐस्ट्रोलोजी' अपनी हॊबी बना ली और वहाँ से इनको यह पता लगा कि वही सितारे जो मुझे उपर ले गए थे, वही सितारे अब मुझे नीचे ला रहे हैं। तो इन्होने कहा कि अभी हमको ये काम (फ़िल्म निर्माण) नहीं करने का है। तो फिर ये रीटायर हो गए, तकरीबन '५६/५७ में। और वैसे भी इन्होने किसी के आगे हाथ नहीं फैलाए, ना किसी को फँसाया है, मदद बहुत लोगों की की है। अंतिम दस सालों में, उनकी ज़िंदगी के आख़िर के जो दस साल थे, उन्होने 'ऐस्ट्रोलोजी' में बहुत इन्ट्रेस्ट लिया। 'ऐस्ट्रोलोजी' का मतलब काफ़ी गहराई से समझते थे। पर इन्होने उसको ज़्यादा हवा नहीं लगने दी, क्योंकि लोग पहुँच जाते थे इनके पास कि महुरत कब करें! शादी कब करें लड़की की! तो इसलिए इन्होने इसको ज़रा 'लोवर लेवल' पे रखा। पर जानकारी इनकी बहुत अच्छी थी, और काफ़ी 'ईवेंट्स', जैसे बाढ़ बिहार में आए, किसी का विलायत जाना, किसी का आना, काफ़ी इन्होने सही सही अनुमान लगाया था। जगदीश सेठी के बारे में कहा था कि ये इस दिन के बाद नहीं मिलेगा। पृथ्वीराज जी जब बीमार हुए, उनको ख़ून का कैन्सर हुआ, ये अक्सर इनको मिला करते थे, तो अवॊयड ही करते थे क्योंकि उनका जीना मुश्किल था और वो पूछते थे कि भाई दीना नाथ, मैं कब तक हूँ? तो ये आ जाते थे वहाँ से कुछ ना कुछ बहाना लगाके। इनको अपने बारे में पता था कि मेरी उमर कब तक है। पर इन्होने कभी कोई कहानी या लम्बी डायलॊग नहीं बनाई कि देखो बेटा, मेरे बाद ऐसा करना, वैसा करना, कुछ नहीं कहा।" तो दोस्तों, ये था डी. एन. मधोक साहब के जीवन का एक रूप जो बयान कर रहे थे उन्ही के बेटे डॊ. पृथ्वी मधोक। और आइए अब सी. एच. आत्मा की गाई हुई यह मधुर भजन सुनते हैं फ़िल्म 'बिलवामंगल' से।



क्या आप जानते हैं...
कि डी. एन. मधोक साहब अक्सर कहा करते थे कि तीन लोग जो उन्हे बहुत ज़्यादा पसंद थे, वो हैं नौशाद, ख़ुरशीद अनवर, और मास्टर ग़ुलाम हैदर।

पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)

१. इस गीत की गायिका का १४ जून २००६ को अमेरिका में निधन हो गया था। गायिका का नाम बताएँ। ३ अंक।

२. इस फ़िल्म में मोहम्मद रफ़ी ने संगीतकार सुधीर फड़के की पत्नी के साथ मिलकर फ़िल्म का शीर्षक गीत गाया था। फ़िल्म का नाम बताएँ। २ अंक।

३. इस फ़िल्म के नायक नायिका इसी साल इस फ़िल्म के अलावा एक और फ़िल्म में नज़र आए जिसमें मास्टर ग़ुलाम हैदर का संगीत था और जिस फ़िल्म में मोहम्मद रफ़ी और ख़ान मस्ताना का गाया हुआ एक बेहद मशहूर देश भक्ति गीत मौजूद है। बताइए नायक-नायिका के नाम। २ अंक।

४. इस गीत के मुखड़े के शुरुआती दो शब्दों से एक और गीत शुरु होता है जो आई थी सन् १९४४ में और जिसमे नौशाद साहब का पहला पहला ब्लॊकबस्टर संगीत था। बताइए गीत के बोल। २ अंक।

विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

पिछली पहेली का परिणाम -

इंदु जी कल आपने सही दिमाग लगाया और ३ अंक कमाए, वहीँ शरद जी ने सेफ गेम खेला और २ अंक चुरा ले गए...बहुत बधाई, और बहुत अच्छे अवध जी, एकदम सही जवाब, इस बार आप बहुत बढ़िया जा रहे हैं. अनाम टिप्पणीकार से अनुरोध है कि अपना नाम भी लिखें ताकि बाकी श्रोता भी उनसे परिचित हो सकें

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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6 श्रोताओं का कहना है :

शरद तैलंग का कहना है कि -

गायिका : सुरिन्दर कौर

indu puri goswami का कहना है कि -

RAFI & LALITA DEULKAR.
FILM - NADIYA KE PAAR (1948) ...
LALITA DEULKAR WAS SUDHI PHADKE'S WIFE.

निर्मला कपिला का कहना है कि -

baDiyaa prastutee dhanyavaad

AVADH का कहना है कि -

फिल्म शहीद में खान मस्ताना का साथ मोहम्मद रफ़ी ने दिया था : वतन की राह में वतन के नौजवान शहीद हो. नायक और नायिका थे दिलीप कुमार और कामिनी कौशल
अवध लाल

mahendra verma का कहना है कि -

c.h.atma ki mohak aawaj me gaya geet "mohan pyare ab aur saaj par ga re " 5 baar suni, beshak unki gayki me jaadu hai.

mahendra verma का कहना है कि -

19553006c.h.atma ki manmohak aawaj me unka gaya geet "mohan pyare, ab aur saaj par ga re" 5 baar suni, behad surila geet hai, main ise baar baar sununga.

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