ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 776/2011/216
नमस्कार! 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के इस नए सप्ताह में आप सभी का एक बार फिर से मैं, सुजॉय चटर्जी, साथी सजीव सारथी के साथ स्वागत करता हूँ। इन दिनों इस स्तंभ में जारी है ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह पर केन्द्रित लघु शृंखला 'जहाँ तुम चले गए'। इस शृंखला में हमारी कोशिश यही है कि जगजीत जी की आवाज़ के साथ साथ ज़्यादातर उन फ़िल्मों के गीत शामिल किए जाएँ जिनका संगीत भी उन्होंने ही तैयार किया है। पाँच गीत आपनें सुनें जो लिए गए थे 'अर्थ', 'कानून की आवाज़', 'राही', 'प्रेम गीत' और 'आज' फ़िल्मों से। आज के अंक के लिए हमने जिस गीत को चुना है, वह है फ़िल्म 'बिल्लू बादशाह' का। यह १९८९ की फ़िल्म थी जिसका निर्माण सुरेश सिंहा नें किया था और निर्देशक थे शिशिर मिश्र। शीर्षक चरित्र में थे गोविंदा, और साथ में थे शत्रुघ्न सिंहा, अनीता राज, नीलम और कादर ख़ान। जगजीत सिंह फ़िल्म के संगीतकार थे और गीत लिखे निदा फ़ाज़ली और मनोज दर्पण नें। इस फ़िल्म में गोविंदा का ही गाया "जवाँ जवाँ" गीत ख़ूब मशहूर हुआ था जो हसन जहांगीर के ग़ैर फ़िल्मी गीत "हवा हवा" की धुन पर ही बना था। पर जो गीत हम आज सुनने जा रहे हैं उसे गाया है दिलराज कौर नें और फ़िल्म में यह गीत फ़िल्माया गया है उस बालकलाकार पर जिन्होंने फ़िल्म में गोविंदा के बचपन की भूमिका निभाई थी। दृश्य में माँ बनी रोहिणी हत्तंगड़ी भी नज़र आती हैं। इसी गीत को सैड वर्ज़न के रूप में जगजीत सिंह नें ख़ुद गाया था और क्या गाया था! इसे उन्होंने अपनी ऐल्बम 'जज़्बा' में भी शामिल किया था।
दोस्तों, क्योंकि आज हम एक ऐसा गीत सुन रहे हैं जिसमें बातें हैं घर-आंगन की, माँ की, छोटे-छोटे भाई-बहनों की, इसलिए आज आपको जगजीत जी के शुरुआती दिनों के बारे में कुछ बताया जाये! जगजीत सिंह का जन्म राजस्थान के श्रीगंगानगर में अमर सिंह धीमान और बचन कौर के घर हुआ। धर्म से सिख और मूलत: पंजाब के रहने वाले अमर सिंह धीमान एक सरकारी कर्मचारी थे। चार बहनों और तीन भाइयों वाले परिवार में जगजीत को घर में जीत कह कर बुलाते थे। जगजीत को पढ़ाई के लिए श्रीगंगानगर के खालसा हाइ स्कूल में भेजा गया और मैट्रिक के बाद वहीं पर 'गवर्णमेण्ट कॉलेज' में साइन्स स्ट्रीम में पढ़ाई की। उसके बाद उन्होंने आर्ट्स में बी.ए. किया जलंधर के डी.ए.वी. कॉलेज से। और उसके बाद हरियाणा के कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से इतिहास में एम.ए. किया। इस तरह से जगजीत सिंह नें अपनी पढ़ाई पूरी की। आपको पता है जगजीत का नाम शुरु शुरु में जगमोहन सिंह रखा गया था। फिर एक दिन वो अपनी बहन से मिलने चुरू ज़िले के सहवा में गए थे जहाँ नामधारी सम्प्रदाय के एक संत नें उनके गाये श्लोकों को सुन कर उनके बहनोई रतन सिंह को यह सुझाव दिया कि इस लड़के का नाम जगजीत कर दिया जाए क्योंकि इसमें क्षमता है अपनी सुनहरी आवाज़ से पूरे जग को जीतने की। बस फिर क्या था, जगमोहन सिंह बन गए जगजीत सिंह, और उन्होंने वाक़ई इस नाम का नाम रखा और उस संत की भविष्यवाणी सच हुई। दोस्तों, जगजीत जी से जुड़ी कुछ और बातें कल की कड़ी में, फिलहाल सुनते हैं दिलराज कौर की आवाज़ में "ये जो घर आंगन है, ऐसा और कहाँ है, फूलों जैसे भाई-बहन हैं, देवी जैसी माँ है"।
चलिए अब खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
विनोद सहगल की आवाज़ में ये गीत है जिसकी शुरुआत "इश्क" शब्द से होता है
पिछले अंक में
अमित जी ये क्या कम है कि आपने गीत पहचान तो लिया
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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श्रोता का कहना है :
film Ravan year 1984 lirics Sudarshan Fakir singer Vinod Sahgal music by Jagjit Singh and the song is Ishq se gehra koi na....
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