ताज़ा सुर ताल 05/ 2010
सजीव - सुजॊय, वेल्कम बैक! उम्मीद है छुट्टियों का तुमने भरपूर आनंद उठाया होगा!
सुजॊय - बिल्कुल! और सब से पहले तो मैं विश्व दीपक तन्हा जी का शुक्रिया अदा करता हूँ जिन्होने मेरी अनुपस्थिति में 'ताज़ा सुर ताल' की परंपरा को बरक़रार रखने में हमारा सहयोग किया।
सजीव - निस्सन्देह! अच्छा सुजॊय, आज फरवरी का दूसरा दिन है, यानी कि साल २०१० का एक महीना पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक एक भी फ़िल्म इस साल की बॊक्स ऒफ़िस पर अपना सिक्का नहीं जमा पाया है। पिछले हफ़्ते 'वीर' रिलीज़ हुई थी, और इस शुक्रवार को 'रण' और 'इश्क़िया' एक साथ प्रदर्शित हुई हैं। 'वीर' ने अभी तक रफ़्तार नहीं पकड़ी है, देखते हैं 'रण' और 'इश्क़िया' का क्या हश्र होता है। 'चांस पे डांस', 'प्यार इम्पॊसिबल', और 'दुल्हा मिल गया' भी पिट चुकी है।
सुजॊय - मैंने सुना है कि 'इश्क़िया' के संवदों में बहुत ज़्यादा अश्लीलता है। विशाल भारद्वाज ने 'ओम्कारा' की तरह इस फ़िल्म के संवादों में भी काफ़ी गाली गलोच और अश्लील शब्द डाले हैं। ऐसे में मुझे नहीं लगता कि फ़ैमिली ऒडियन्स को यह फ़िल्म थियटरों में खींच पाएगी। देखते हैं! और आपने ठीक ही कहा है कि इस साल अभी तक कोई फ़िल्म हिट नहीं हुई है। और '३ इडियट्स' अब भी सिनेमाघरों में हाउसफ़ुल चल रही है।
सजीव - लेकिन लगता है बहुत जल्द ही आमिर ख़ान को टक्कर देनेवाले हैं शाहरुख़ ख़ान, क्योंकि अगले हफ़्ते रिलीज़ हो रही है 'माइ नेम इज़ ख़ान', जिसका लोग बहुत दिनों से बड़े ही बेसबरी से इंतज़ार कर रहे हैं। अब देखना यह है कि क्या 'माइ नेम...' '३ इडियट्स' को बॊक्स ऒफ़िस पर मात दे सकेगी या नहीं।
सुजॊय - जहाँ तक गीत संगीत का सवाल है, जहाँ एक तरफ़ अब भी "ऒल इज़ वेल" काउण्ट डाउन शोज़ में नंबर-१ पर चल रही है, वहीं यह भी देखना है कि 'माइ नेम...' का "सजदा" कामयाबी के कितने पायदान चढ़ता है। चलिए आज हम समीक्षा करें 'माइ नेम इस ख़ान' के गीत संगीत का।
सजीव - जब तुमने "सजदा" का ज़िक्र छेड़ ही दिया है तो चलो जल्दी से यह गीत सुन लेते हैं, उसके बाद इस फ़िल्म की बातों को आगे बढ़ाएँगे।
गीत - सजदा....sajda (MNIK)
सुजॊय - राहत फ़तेह अली ख़ान, शंकर महादेवन और रीचा शर्मा के गाए इस गीत को फ़िल्म का सर्वश्रेष्ठ गीत माना जा रहा है। इस फ़िल्म के लगभग सभी गानें सुफ़ीयाना अंदाज़ के हैं।
सजीव - आजकल एक ट्रेंड सी जैसे चल पड़ी है सुफ़ी संगीत को फ़िल्मों में इस्तेमाल करने की। और क्योंकि यह फ़िल्म का पार्श्व अमेरीका में बसे एक मुस्लिम परिवार से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस तरह का संगीत इस फ़िल्म में सार्थक बन पड़ा है। कुछ कुछ क़व्वाली के अंदाज़ में यह गीत सुनने के बाद देर तक ज़हन में बसा रहता है। तबला और ढोलक के ठेकों का बहुत ही ख़ूबसूरत इस्तेमाल इस गीत में सुनने को मिलता है।
सुजॊय - और राहत फ़तेह अली ख़ान और रीचा शर्मा के सुफ़ीयाना अंदाज़ से तो श्रोता बहुत दिनों से ही परिचित हैं, इस गीत में भी इन दोनों ने अपना बेस्ट दिया है। और संगीतकार तिकड़ी शंकर अहसान लॊय ने फिर एक बार साबित किया कि उन्हे सिर्फ़ रॊक में नहीं बल्कि हर प्रकार के संगीत में महारथ हासिल है।
सजीव - तो कुल मिलाकर हम यह कहें कि हमें इस गीत का सजदा करना चाहिए?
सुजॊय - बेशक़!
सजीव - अच्छा, अब जो दूसरा गाना हम सुनेंगे उसे भी तीन गायकों ने गाया है। ये हैं अदनान सामी, शंकर महादेवन और श्रेया घोषाल, और गीत है "नूर-ए-ख़ुदा"। यह एक नर्मोनाजुक गीत है, जिसमें अदनान और शंकर की आवाज़ें ही ज़्यादा सुनाई देती है। श्रेया की एन्ट्री अंत के तरफ़ होती है, लेकिन उतनी ही मिठास के साथ।
सुजॊय - गीत के ऒर्केस्ट्रेशन में गीटार का सुंदर प्रयोग सुनने को मिलता है। चलिए शोर्ताओं को भी इस गीत को सुनने का मौका देते हैं।
गीत - नूर-ए-ख़ुदा...NOOR-E-KHUDA (MNIK)
सजीव - आप सभी को मालूम ही होगा कि 'माइ नेम इज़ ख़ान' करण जोहर की फ़िल्म है, जिसमें शाहरुख़ ख़ान के अलावा काजोल, शीतल मेनन, जिम्मी शेरगिल, ज़रीना वहाब हैं, और ढेर सारे अमरीकी कलाकार भी आपको इस फ़िल्म में नज़र आएँगे। करण ने ही फ़िल्म का निर्देशन भी किया है। कहानी लिखी है शिवानी बथिजा ने। संवाद शिवानी के साथ साथ नीरंजन अय्यंगर ने लिखे हैं।
सुजॊय - अच्छा, नीरंजन अय्यंगर ने इस फ़िल्म के गानें भी लिखे हैं ना?
सजीव - हाँ, वैसे तो नीरंजन एक संवाद लेखक ही हैं, जिन्होने 'जिस्म', 'कल हो ना हो', 'पाप', 'रोग', 'कभी अल्विदा ना कहना', 'आइ सी यू', 'क्या लव स्टोरी है', 'फ़ैशन', 'वेक अप सिड' और 'कुरबान' जैसी फ़िल्मों में संवाद लिख चुके हैं।
सुजॊय - और कुछ फ़िल्मों में गानें भी लिखे हैं। अभी हाल ही में फ़िल्म 'क़ुर्बान' का हिट गीत "शुक्रान अल्लाह" भी तो उन्ही का लिखा हुया है।
सजीव - हाँ, और 'माइ नेम...' में तो सभी गानें उन्ही के लिखे हुए हैं। लगता है इस फ़िल्म से वो फ़िल्मी गीतकारों की मुख्य धारा में शामिल हो जाएँगे। जिस तरह से जावेद अख़्तर एक संवाद लेखक से गीतकार बन गए थे, हो सकता है कि नीरंजन भी वही रास्ता इख़्तियार करे।
सुजॊय - और उस राह पर नीरंजन ने मज़बूत क़दम रख ही दिया है 'माइ नेम...' के गीतों के ज़रिए।
सजीव - बिल्कुल! तो अब कौन सा गीत सुनवाओगे?
सुजॊय - तीसरा गाना है शफ़ाक़त अमानत अली का गाया हुआ, "तेरे नैना"। शंकर अहसान लॊय ने जिनसे 'कभी अल्विदा ना कहना' में सुपरहिट गीत "मितवा" गवाया था। इस गीत में भी वही सुफ़ीयाना अंदाज़ इस तिक़ई ने बरक़रार रखा है, लेकिन "मितवा" जैसा असर शायद नहीं कर सका है यह गीत। लेकिन अपने आप में गीत बहुत अच्छा है।
सजीव - गीत का मुख्य आकर्षण यह है कि गीत के बीचों बीच इस गीत में क़व्वाली का रंग आ जाता है। नीरंजन अय्यंगर के बोल स्तरीय हैं।
गीत - तेरे नैना...TERE NAINA (MNIK)
सुजॊय - 'माइ नेम इज़ ख़ान' में कुल ६ ऒरिजिनल गीत हैं, जिनमें से ५ गानें हम यहाँ पर आपको सुनवा रहे हैं। तीन गानें आप सुन चुके हैं, इससे पहले कि हम चौथा गाना बजाएँ, सजीव, क्या आप इस फ़िल्म की थोड़ी सी भूमिका अपने पाठकों को बताना चाहेंगे?
सजीव - ज़रूर! वैसे यह फ़िल्म इतनी चर्चा में है कि लगभग सभी को फ़िल्म के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो ज़रूर होगी, फिर भी हम बता रहे हैं। रिज़्वान ख़ान (शाहरुख़ ख़ान) मुंबई के बोरीवली का रहनेवाला एक मुस्लिम लड़का जो पीड़ित है Asperger syndrome नामक बिमारी से, जिसके चलते लोगों के साथ बातचीत करने में, यानी कि सोशियलाइज़ करने में उसे दिक्कत आती है। युवा रिज़्वान अमेरीका के सैन फ़्रान्सिस्को में एक हिंदु तलाक़शुदा महीला मंदिरा (काजोल) शादी करता है। ९/११ के आतंकी हमलों के बाद रिज़्वान को अमरीकी पुलिस अपने गिरफ़्त में ले लेती है और उसके विकलांगता को वो संदेह की नज़र से देखते हैं। रिज़्वान के गिरफ़्तारी के बाद उसकी मुलाक़ात राधा (शीतल मेनन) से होती है जो एक थेरपिस्ट हैं, जो उसकी मदद करती है। उसके बाद रिज़्वान अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा से मिलने की यात्रा शुरु करता है उसके नाम पर लगे धब्बे को मिटाने के लिए। फ़िल्म में ओबामा का किरदार निभाया है क्रिस्टोफ़र बी. डंकन ने।
सुजॊय - सजीव, अभी कुछ महीने पहले शाहरुख़ ख़ान को अमरीका के एयरपोर्ट में कई घंटों तक सिर्फ़ इसलिए रोका गया था क्योंकि उनकी पदवी ख़ान है, और एक ऐसी हवा पश्चिम में चल रही है कि जिसके चलते हर मुसलमान को शक़ की निगाह से देखा जा रहा है। तो हो ना हो इस फ़िल्म की प्रेरणा शाहरुख़ और करण को उसी हादसे से मिली होगी!
सजीव - हो सकता है! अच्छा बातें तो बहुत हो गई, अब एक और गीत की बारी। अगला गीत भी सूफ़ी अंदाज़ का, लेकिन अब की बार एक धार्मिक रचना, एक प्रार्थना, "अल्लाह ही रहम"। राशिद अली और साथियों की आवाज़ों में इस गीत को सुनते हुए आप आध्यात्मिक जगत में पहुँच जाएँगे। इस गीत के बारे में ज़्यादा कहने की आवश्यक्ता नहीं है, बस सुनिए और महसूस कीजिए एक पाक़ शक्ति को!
गीत - अल्लाह ही रहम...ALLAH HI RAHAM (MNIK)
सुजॊय - सजीव, शंकर अहसान लॊय ने इस फ़िल्म में कम से कम एक गीत तो रॊक शैली में ज़रूर बनाया है। इन सूफ़ी गीतों के बाद अब एक रॊक अंदाज़ का गाना जिसे शंकर महादेवन और सूरज जगन ने गाया है। "रंग दे" एक ऐसा गीत है जिसमें संदेश है अमन का, ख़ुशी का, जोश का।
सजीव - हाँ, एक रिफ़्रेशिंग् गीत जिसे हम कह सकते हैं। सुनते हैं यह गीत, लेकिन सुजॊय एक बात बताओ, तुमने अभी थोड़ी देर पहले कहा था कि इस फ़िल्म में ६ गानें हैं, छ्ठा गीत कौन सा है?
सुजॊय - नहीं, दरअसल छठा गीत एक इन्स्ट्रुमेन्टल पीस है जिसे 'स्ट्रिंग्स' बैण्ड ने बजाया है, और जिसका शीर्षक रखा गया है 'ख़ान थीम'।
सजीव - अच्छा, तो चलो अब अमन और शांति का संदेश हम भी फैलाएँ और सुनें आज के 'ताज़ा सुर ताल' का अंतिम गीत। श्रोताओ और पाठकों से हमारा सविनय निवेदन है कि इस फ़िल्म के गीत संगीत की समीक्षा यहाँ टिप्पणी पर ज़रूर करें। कौन सा गीत आपको सब से ज़्यादा अच्छा लगा, किस चीज़ की कमी लगी, आप के नज़र में इस फ़िल्म के संगीत की क्या जगह है आप के दिल में। ज़रूर बताएँ।
गीत - रंग दे...RANG DE (MNIK)
"माई नेम इस खान" के संगीत को आवाज़ रेटिंग ****
शंकर एहसान लॉय तिकड़ी से हमेशा ही अच्छे संगीत की उम्मीद की जाती है, और अमूमन ये निराश भी नहीं करते, और ये भी मानना पड़ेगा कि करण जौहर के पास संगीत की ऐसी श्रोतामई समझ है जो एक सफल फिल्मकार में होनी चाहिए. सजदा और तेरे नैना फिल्म के बहतरीन गीत हैं...नूरे खुदा फिल्म रीलिस होने के बाद बेहद मशहूर होने वाला है, और रंग दे जो फिल्म के थीम को सही तरह से सामने लाता है वो भी खूब गुनगुनाया जायेगा ऐसी उम्मीद है...कुल मिलाकर एल्बम एक अच्छी खरीदारी साबित होगी संगीत प्रेमियों के लिए...हाँ संगीत में "क्लासी" टच ज्यादा है, जिस कारण आम लोगों में ये गीत उतने कामियाब शायद नहीं होंगें पर ये कहना गलत नहीं होगा कि इस संगीतकार तिकड़ी इस साल एक बेहतर शुरूआत की है इस अल्बम से
अब पेश है आज के तीन सवाल-
TST ट्रिविया # १३ एक बेहद मशहूर गीत के अंतरे के बोल हैं "पल्कों पे झिलमिल तारे हैं, आना भरी बरसातों में"। इस गीत की 'माइ नेम इज़ ख़ान' के किसी गीत के साथ समानता बताइए।
TST ट्रिविया # १४ बतौर संगीतकार शंकर अहसान लॊय की पहली फ़िल्म जो थी वो फ़िल्म रिलीज़ नहीं हुई थी, लेकिन उसका संगीत ज़रूर रिलीज़ हुआ था। बताइए उस फ़िल्म का नाम।
TST ट्रिविया # १५ करण जोहर की किस फ़िल्म में अभिषेक बच्चन एक नर्स की भूमिका में नज़र आए थे?
TST ट्रिविया में अब तक -
पिछली पहेली में पहला सवाल अनुत्तरित रह गया था, रामू ने नाना पाटेकर से इंस्पेक्टर कुरैशी का किरदार करवाया था फिल्म भूत में, बहरहाल अन्य दो जवाब तो सीमा जी सही दिए हैं बधाई
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5 श्रोताओं का कहना है :
सच कह रहे हैं इस तरह के संवाद में किसी को रुचि नहीं हे ..... दूसरों की बकवास में कोई काहे रुचि ले ....,,,,
कुछ अच्छी जानकारी हो तो पढ़े ..,,,, इसा लेख कोई भी लिखा सकता हे,,,......,,,,,साधारण बकवास वाले कह से
अपने नाम पर लेख लिख क्यों वक्त बर्बाद करते हो,,,,, दूकान पर जाकर बैद्हों ...........,,,,,,,,,,,
~~~~~~~~~~~~ अनाम ~~~~~~~~~~~~
3)Dostana
regards
2)Mukul Anand's, Sanjay Dutt-Salman Khan starrer, "Dus".
regards
1)allah hi rhem
Singer: Ustad Rashid Khan
regards
priya 'anaam' ji,
bahut shukriya aapke udgaar ke liye. aapke liye bhi mera ek sujhaav hai. aap agar apni bhasha ko thodaa sa shaaleen banaayenge to jeevan mein unnati karenge. yakeen maaniye.
aur rahi baat "aisa lekh koi bhi likh sakta hai" ki, to aapka bahut bahut swaagat hai is manch pe. aap jaise lekhakon ki bahut zaroorat hai is manch ko.
Sujoy
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