रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


ComScore
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां
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फिर किसी शाख ने फेंकी छाँव....और "बहुत देर तक" महकती रही तनहाईयाँ - Amit

कतरा कतरा मिलती है.....खुशी और दर्द के तमाम फूलों को समेट लेता है "वो" आकर - Amit

क्या जानूँ सजन होती है क्या गम की शाम....जब जल उठे हों मजरूह के गीतों के दिए तो गम कैसा - Amit

क्या गजब करते हो जी, प्यार से डरते हो जी....मगर जनाब हँसना कभी नहीं छोडना रोने के डर से - Amit

बोलिए सुरीली बोलियाँ...और पिरोते रहिये हँसी की लड़ियाँ हर पल - Amit

एक बात कहूँ गर मानो तुम.....हमेशा हँसते हंसाते रहिये इसी तरह - Amit

कायदा कायदा आखिर फायदा.....कभी कभी कायदों को हटाकर भी जीने का मज़ा है समझा रहीं हैं रेखा - Amit

एक बात सुनी है चाचा जी बतलाने वाली है....और सुनिए कि चाचा शत्रुघ्न ने इस बार "खामोश" नहीं कहा - Amit

चलो हसीन गीत एक बनायें.....सुनिए कैसे 'शौक़ीन' दादामुनि अशोक कुमार ने स्वर दिया इस मजेदार गीत को - Amit

आ देखे जरा, किस में कितना है दम....अब जब मैदान में आ ही गए हैं तो हो जाए मुकाबला - Amit

जिंदगी है खेल कोई पास कोई फेल....भई कोई जीतेगा तो किसी की हार भी निश्चित है, जीवन दर्शन ही तो है ये खेल भी - Amit

जीवन के दिन छोटे सही, हम भी बड़े दिलवाले....किशोर दा समझा रहे हैं जीने का ढंग... - Amit

"सातों बार बोले बंसी" और "जाने दो मुझे जाने दो" जैसे नगीनों से सजी है आज की "गुलज़ार-आशा-पंचम"-मयी महफ़िल - Amit

अपने पडो़सी दिल से भीनी-भीनी भोर की माँग कर बैठे गोटेदार गुलज़ार साहब, आशा जी एवं राग तोड़ी वाले पंचम दा - Amit

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