आवाज़ पर संगीत के दो कामियाब सत्र पूरे हो चुके हैं. तीसरे सत्र को हम एक विशाल आयोजन बनाना चाहते हैं. अतः कुछ रुक कर ही इसे शुरू करने का इरादा है. जैसा की हम बता चुके हैं कि दूसरे सत्र के विजेताओं को फरवरी 2010 में पुरस्कृत किया जायेगा और तभी हिंद युग्म अपना दूसरा संगीत एल्बम भी जारी करेगा. आवाज़ प्रतिदिन कम से कम 2 संगीतभरी/आवाज़भरी प्रस्तुतियाँ प्रसारित करता है। आवाज़ पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार से तथा निम्नलिखित प्रकार के आयोजन होते हैं।
संगीतबद्ध गीत- हिन्द-युग्म आवाज़ के माध्यम से इंटरनेट पर ही संगीत तैयार करता आया है। इसके अंतर्गत आवाज़ के नियंत्रक व संपादक सजीव सारथी गीतकार, संगीतकार और गायकों को जोड़ते रहे हैं। इस परम्परा की शुरूआत सर्वप्रथम हिन्द-युग्म के सजीव सारथी ने ही की। जब सजीव ने इस माध्यम से बना अपना पहला गीत 'सुबह की ताज़गी' को इंटरनेट पर रीलिज किया। इस गीत में हैदराबाद के इंजीनियर संगीतकार ऋषि एस॰ ने संगीत दिया था और गीत को गाया था नागपुर के सुंदर गायक सुबोध साठे ने। जल्द ही हिन्द-युग्म इस माध्यम से बना अपना पहला एल्बम 'पहला सुर' को विश्व पुस्तक मेला 2008 में रीलिज किया। इस एल्बम में 10 संगीतबद्ध गीतों के साथ-साथ 10 कविताओं को भी संकलित किया गया। पूरा एल्बम यहाँ सुनें
संगीतबद्ध गीतों के रीलिज करने के दूसरे सत्र की शुरूआत 4 जुलाई 2008 से हुई। तब से लेकर 31 दिसम्बर 2008 तक हिन्द-युग्म ने प्रत्येक शुक्रवार को एक नया संगीतबद्ध गीत ज़ारी किया। इस सत्र में कुल 27 गीतों को ज़ारी किया। जिसमें से 5 निर्णायकों के सहयोग से बेहतर 10 गीत चुनने का काम किया गया। सरताज़ गीत का चयन हुआ। श्रोताओं की पसंद से भी एक गीत का चुनाव हुआ। पूरा परिणाम यहाँ देखें।
सभी 27 संगीतबद्ध गीतों की सूची यहाँ है।
संगीतबद्ध गीतों की यह शृंखला यही नहीं खत्म होती। इसके अतिरिक्त आवाज़ समय-समय पर नये-नये संगीतकारों-कलाकारों को लॉन्च करता रहा है। इस कड़ी में कुछ और गीत यहाँ सुने जा सकते हैं-
अभी सिलसिला ज़ारी है।
ओल्ड इज़ गोल्ड- सुजोय चटर्जी द्वारा संचालित "ओल्ड इस गोल्ड" आवज़ का बहुत ही लोकप्रिय स्तम्भ है। प्रतिदिन शाम ६.३० पर प्रसारित होने वाले इस कार्यक्रम में हम रोज एक पुराने सदाबहार गीत को सुनते हैं और उसपर कुछ चर्चा भी करते हैं। गीत से जुड़ी दुर्लभ जानकारियाँ लेकर आते हैं सुजोय। इसकी शुरूआत 20 फरवरी 2009 को 'आपको प्यार छुपाने की बुरी आदत है' गीत की चर्चा से हुई। इस शृंखला में अब तक 60 गीतों की चर्चा हो चुकी है। पूरी सूची यहाँ देखें।
महफ़िल-ए-ग़ज़ल- ग़ज़लों, नग्मों, कव्वालियों और गैर फ़िल्मी गीतों का एक ऐसा विशाल खजाना है जो फ़िल्मी गीतों की चमक दमक में कहीं दबा दबा सा ही रहता है. "महफ़िल-ए-ग़ज़ल" श्रृंखला एक कोशिश है इसी छुपे खजाने से कुछ मोती चुन कर आपकी नज़र करने की. हम हाज़िर होंगे हर सोमवार और गुरूवार दो अनमोल रचनाओं के साथ, और इस महफिल में अपने मुक्तलिफ़ अंदाज़ में आपके मुखातिब होंगे कवि गीतकार और शायर विश्व दीपक "तन्हा". साथ ही हिस्सा लीजिये एक अनोखे खेल में और आप भी बन सकते हैं -'शान-ए-महफिल". हम उम्मीद करते हैं कि "महफ़िल-ए-ग़ज़ल" का ये आयोजन आपको अवश्य भायेगा.
बात एक एल्बम की - "बात एक एल्बम की" एक साप्ताहिक श्रृंखला है जहाँ हम पूरे महीने बात करेंगे किसी एक ख़ास एल्बम की, एक एक कर सुनेंगे उस एल्बम के सभी गीत और जिक्र करेंगे उस एल्बम से जुड़े फनकार/फनकारों की. इस स्तम्भ को आप तक ला रहे हैं युवा स्तंभकार उज्जवल कुमार, तो हर मंगलवार इस आयोजन का हिस्सा अवश्य बनें.
रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत- "रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत" एक शृंखला है कुछ बेहद दुर्लभ गीतों के संकलन की. कुछ ऐसे गीत जो अमूमन कहीं सुनने को नहीं मिलते, या फिर ऐसे गीत जिन्हें पर्याप्त प्रचार नहीं मिल पाया और अच्छे होने के बावजूद एक बड़े श्रोता वर्ग तक वो नहीं पहुँच पाया. ये गीत नए भी हो सकते हैं और पुराने भी. आवाज़ के बहुत से ऐसे नियमित श्रोता हैं जो न सिर्फ संगीत प्रेमी हैं बल्कि उनके पास अपने पसंदीदा संगीत का एक विशाल खजाना भी उपलब्ध है. इस स्तम्भ के माध्यम से हम उनका परिचय आप सब से करवाते रहेंगें. और सुनवाते रहेंगें उनके संकलन के वो अनूठे गीत. यदि आपके पास भी हैं कुछ ऐसे अनमोल गीत और उन्हें आप अपने जैसे अन्य संगीत प्रेमियों के साथ बाँटना चाहते हैं, तो हमें लिखिए. यदि कोई ख़ास गीत ऐसा है जिसे आप ढूंढ रहे हैं तो उनकी फरमाईश भी यहाँ रख सकते हैं. हो सकता है किसी रसिक के पास वो गीत हो जिसे आप खोज रहे हों.
इन नयी श्रृंखलाओं के अलावा अनुराग शर्मा द्वारा संचालित "सुनो कहानी" का प्रसारण हर शनिवार और माह के अंतिम रविवार को मृदुल कीर्ति द्वारा संचालित होने वाले "पॉडकास्ट कवि सम्मलेन" का प्रसारण तथावत जारी रहेगा. हम उम्मीद करेंगे कि श्रोताओं को आवाज़ का ये नया रूप पसंद आएगा. अपने विचारों से हमें अवगत कराते रहें.
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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3 श्रोताओं का कहना है :
आपको जानदार रूपरेख बनाने के लिए बधाई. हर सप्ताह 'सृजन सलिला' में पुस्तक समीक्षा का ध्वन्यांकन प्रसारित करें तो सहयोग कर सकूंगा. जब आपसे पुस्तक मिलेगी तो उस पर या जब नहीं मिलेगी तो जो मेरे पास होगी उस पर बात हो. एक गद्य...एक पद्य... एक विधा विशेष... एक पुरानी
(ओल्ड-गोल्ड), विचारें...बतायें...
great ideas...
just one suggestion. Mehfil-e-Ghazal should have a different name as you are going to put qawwalis as well, like Rang-e-Mehfil or something else.
नई रूपरेखा के लिए बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।
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