सप्ताह की संगीत सुर्खियाँ (13)
स्लम डॉग के बाल सितारों ने याद दिलाई शफीक सैयद की
पप्पू के पास होने के बाद अब चुनाव आयोग का नया नारा -"वोट ऑन"
"पप्पू" कामियाब हो गया. अब चुनाव आयोग ने इसी फार्मूले पर लोक सभा चुनावों के लिए फिल्म "रॉक ऑन" के गीत "सोचा है..." का इस्तेमाल करने जा रही है. ये प्रचार होगा युवाओं को वोट डालने के लिए प्रेरित करने का. फिलहाल इस गीत के बोलों पर काम जारी है. लगता है चुनाव आयोग ने युवाओं की नब्ज़ पकड ली है. फिल्म संगीत पर आधारित प्रचार भारत में हमेशा ही प्रभावशाली रहा है.
पहली बार इंडियन आइडल हुई एक लड़की
दिलवाले ने रचा इतिहास
DDLJ ने सफलता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. १९९५ में प्रर्दशित हुई शाहरुख़ खान- काजोल अभिनीत "दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगें" ने एक नया इतिहास रच डाला है. मुंबई के मराठा मंदिर सिनेमा में इस फिल्म ने पूरे किये लगातार ७०० सप्ताहों तक चलने का वर्ल्ड रिकॉर्ड. पिछले १४ सालों से इस फिल्म ने इस सिनेमा घर पर कब्जा कर रखा है और आज भी यहाँ आकर दर्शक बड़े चाव से इस फिल्म को देखते हैं. फिल्म की इस अतुलनीय सफलता में फिल्म के संगीत का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. आज का हमारा "साप्ताहिक गीत" भी हमने चुना है इसी महान फिल्म से. जतिन ललित और आनंद बक्षी की टीम द्वारा रचित ये गीत सुनिए - "घर आजा परदेसी तेरा देस बुलाये रे.... "
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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3 श्रोताओं का कहना है :
सुमधुर गीत सुनवाने के लिए ह्रदय से आभार
इला अरुण जी का गीत भी मन को भाया. उन्हें शत-शत बधाई.
सुंदर गीत के लिए आभार ... त्रिपुरा की सौरभी देबरामा को बधाई एवं शुभकामनाएं।
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