मानना है कथावाचक शन्नो अग्रवाल का
पिछली बार पूजा अनिल ने आपको आवाज़ के पॉडकास्ट कवि सम्मेलन की संचालिका डॉ॰ मृदुल कीर्ति से मिलवाया था। इस बार ये एक नई शख्सियत के साथ हाज़िर हैं, एक नये प्रयोग के साथ। मृदुल कीर्ति के साक्षात्कार को इन्होंने लिखित रूप से प्रस्तुत किया था, लेकिन इस बार बातचीत को आप सुन भी सकते हैं। इंटरव्यू है प्रेमचंद की कहानियों का वाचन कर श्रोताओं का मन जीत चुकी शन्नो अग्रवाल का। यह इंटरव्यू 'स्काइपी' की मदद से सीधी बातचीत की रिकॉर्डिंग है। सुनें और बतायें कि यह प्रयोग आपको कैसा लगा?
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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5 श्रोताओं का कहना है :
अनिल अनल भू नभ सलिल, पञ्च तत्वमय सृष्टि.
रहे समन्वित-संतुलित, निर्मल अपनी दृष्टि.
अनिल तरंगों को मिला जब से ध्वनि का साथ.
दूर हो गयीं दूरियाँ, वाक् मिले ज्यों हाथ.
पूजा जी ने लिया है, साक्षात् जीवंत.
शन्नो जी की सहजता, देती खुशी अनंत.
अग्र रहीं वे सीखकर, वाचन कला प्रवीण.
तनिक बतातीं-तीव्र कब?,कब रखतीं ध्वनि क्षीण.
भावों के अनुरूप जब, कहतीं हैं संवाद.
पड़ती हैं या कथ्य को, कर लेती हैं याद?
धन्यवाद है युग्म का, जोड़े मन के तार.
शब्दकार आये निकट, कहे-सुने उदगार.
-सलिल.संजीव@जीमेल.कॉम / संजिव्सलिल.ब्लागस्पाट.कॉम
बहुत सुंदर लगे शन्नो जी के विचार, उनके बचपन की यादें बेहद दिल के करीब लगी. पूजा जी की भी आवाज़ पहली बार सुनने को मिली, बहुत ही शानदार प्रयास. पूजा जी मृदुल जी और हिंद युग्म को एक और कामियाब कोशिश के लिए बधाई. sound क्वालिटी भी बहुत बधाई है. जारी रहे यह सिलसिला
सलिल जी,सजीव जी,
सराहना के लिए बहुत धन्यबाद.
शन्नो जी ने पूरे मन से जवाब दिया है। जब वे अपने बचपन के बारे में बताती हैं तो लगता है कि सच में बच्ची बन जाती हैं।
पूजा जी आपका यह प्रयोग बहुत अच्छा है। इसे ज़ारी रखिए।
शन्नो जी का साक्षात्कार करने और हिंद-युग्म के श्रोताओं तक पहुंचाने के लिए बहुत धन्यवाद. शन्नो जी के बारे में बहुत सी जानकारी मिली. आगे भी इस तरह के प्रयासों का इंतज़ार रहेगा.
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