ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 36
लता मंगेशकर और आशा भोंसले, फिल्म संगीत के आकाश में चमकते सूरज और चाँद. यूँ तो यह दोनो बहनें अपने अपने तरीके से नंबर-1 हैं, लेकिन गुलज़ार साहब के शब्दों में, आर्मस्ट्रॉंग और एडविन, दोनो ने ही चाँद पर कदम रखा था लेकिन क्योंकि आर्मस्ट्रॉंग ने पहले कदम रखा, उन्ही का नाम पहले लिया जाता है. ठीक इसी तरह से लताजी को पहला और आशाजी को दूसरा स्थान दिया जाता है पार्श्वगायिकाओं में. सुनहरे दौर में एक प्रथा जैसी बन गयी थी कि जिस फिल्म में लताजी और आशाजी दोनो के गाए गीत होते थे, उसमें लताजी 'नायिका' का पार्श्वगायन करती थी और आशाजी दूसरी नायिका, या नायिका की सहेली, या फिर खलनायिका के लिए गाती थी. ऐसी ही फिल्म थी "अनुपमा" जो आज अमर हो गयी है अपने गीत संगीत की वजह से. हेमंत कुमार के संगीत से संवारे हुए जितनी भी फिल्में हैं, उनमें अनुपमा का एक ख़ास मुकाम है. आज 'ओल्ड इस 'गोल्ड' में फिल्म अनुपमा से एक गीत पेश है.
1966 में बनी थी अनुपमा जिसके मुख्य कलाकार थे शर्मिला टैगोर और धर्मेन्द्र. और शर्मिला की सहेली और धर्मेन्द्र की बहन बनी शशिकला. लता मंगेशकर ने शर्मिला के लिए अगर दो खूबसूरत गीत गाए तो आशा भोंसले ने भी शशिकला के लिए दो बेहद 'हिट' गीत गाए. फिल्म की कहानी के मुताबिक लताजी के गाए यह गाने ज़रा संजीदे किस्म के थे और दूसरी तरफ आशाजी के गाने बेहद खुशमिजाज़ और खुशरंग. इनमें से एक गीत था "क्यूँ मुझे इतनी खुशी दे दी कि घबराता है दिल", और दूसरा गीत जो आज 'ओल्ड इस गोल्ड' की शान बना है, वो था "भीगी भीगी फजा सुन सुन सुन के जिया". फिल्म में यह गीत शशिकला अपने सहेलियों के साथ 'पिकनिक' मनाते हुए गाती हैं. गीतकार कैफ़ी आज़मी के बोल और हेमंत कुमार का संगीत आज 'ओल्ड इस गोल्ड' में पहली बार पेश हो रहा है दोस्तों.
और अब बूझिये ये पहेली. अंदाजा लगाईये कि हमारा अगला "ओल्ड इस गोल्ड" गीत कौन सा है. हम आपको देंगे तीन सूत्र उस गीत से जुड़े. ये परीक्षा है आपके फ़िल्म संगीत ज्ञान की. अगले गीत के लिए आपके तीन सूत्र ये हैं -
१. सलिल चौधरी का संगीत, राजेंदर कृष्ण के बोल.
२. सुनील दत्त थे हृषिकेश मुख़र्जी निर्देशित इस फिल्म की प्रमुख भूमिका में.
३. तलत साहब के गाये इस गीत में मुखड़े में शब्द आता है - "मोती".
कुछ याद आया...?
सूचना - ओल्ड इस गोल्ड का अगला अंक सोमवार शाम को प्रसारित होगा.
पिछली पहेली का परिणाम -
लीजिये वहाँ न्यूजीलैंड में भारतीय बल्लेबाज़ फ्लॉप हुए यहाँ हमारे धुरंधर भी मुंह के बल गिरे. ह्म्म्म क्या किया जाए....गीत का आनंद लीजिये.
खोज और आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम ६-७ के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवायेंगे, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.
नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.



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2 श्रोताओं का कहना है :
फ़िल्म: छाया
आंसू समझ के क्यों मुझे आंख से तुमने गिरा दिया,
मोती किसी के प्यार का मिट्टी में क्यों मिला दिया।
पिछली क्विज में हम सीधे क्लीन बोल्ड हो गये थे, बहुत याद किया लेकिन ये गीत याद नहीं आया। ये गीत पहले सुना हुआ था लेकिन काफ़ी अरसा पहले, आज इस चिट्ठे पर इस गीत को बहुत समय के बाद सुना है।
बहुत धन्यवाद,
raat do baje bijli aayee hai,,,,,jhay pat uthaa hoo pahle dekhne,,,,kal sunoongaa,,,,parr mujhdaaa padh ke yaad aa gayaa,,,
ye waalaa jawaab waakai assaan hai,,,,,
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