सभी साहित्यप्रेमियों को जन्माष्टमी की बधाइयाँ!
आज हम इस अवसर पर हिन्द-युग्म प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक 'अर्पिता' का ऑनलाइन विमोचन कर रहे हैं। यह पुस्तक युवा कवयित्री सीमा सिंघल का प्रथम काव्य-संग्रह है। चूँकि हिन्द-युग्म का यह मंच ज्यादा बोलने-सुनने और कम लिखने का है। इसलिए हम पुस्तक पर अधिक कलम न चलाकर, सर्वप्रथम तो आपको विमोचन का अवसर प्रदान करते हैं। उसके पश्चात अर्चना चावजी की आवाज़ में पुस्तक पर उनके विचार जानते हैं और उनकी आवाज़ में चुनिंदा कविताएँ सुनते हैं।
पहले यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें।
अब नीचे के प्लेयर से अर्चना जी की आवाज़ में पुस्तक-चर्चा सुनें।


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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8 श्रोताओं का कहना है :
सीमा जी को बधाई
बहुत ही बधाई सीमाजी,
और ऑन-लाईन विमोचन का यह प्रयोग भी शानदार है।
मंगल-कामनाएं!!
बहुत बहुत बधाई सीमा जी
बहुत बहुत बधाई सीमा जी !
अर्चना चाव जी की आवाज़ में सुन्दर प्रस्तुति ने पुस्तक पढ़ने हेतु आकर्षित किया है,अर्पिता को एक नया आयाम मिले,इन्हीं शुभकामनाओं के साथ -
सीमा जी को बधाई "अर्पिता" के विमोचन पर ...
सीमा सिंघल जी को बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं...
इस नए प्रयोग के लिए बधाई। सीमा जी को भी बधाई।
सीमा जी बहुत बहुत बधाई
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