रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Thursday, July 1, 2010

सडकें छोटी थीं, दिल बड़े थे, उस शहर के जहाँ इत्तेफ़ाकन मिले थे नितिन, उन्नी और कुहू



Season 3 of new Music, Song # 12

आज बेहद गर्व के साथ हम युग्म के इस मंच पर पेश कर रहे हैं, दो नए फनकारों को, संगीतकार नितिन दुबे संगीत रचेता होने के साथ-साथ एक संवेदनशील गीतकार भी हैं, जिन्होंने अपने जीवन के अनुभवों को शब्दों और सुरों में पिरो कर एक गीत बनाया, जिसे स्वर देने के लिए उतरे आज के दूसरे नए फनकार उन्नीकृष्णन के बी, जिनका साथ दिया है। इस गीत में महिला स्वरों के लिए सब संगीतकारों की पहली पसंद बन चुकी गायिका कुहू गुप्ता। कुहू और उन्नी के स्वरों में ये गीत यक़ीनन आपको संगीत के उस पुराने सुहाने दौर की याद दिला देगा, जब अच्छे शब्द और मधुर संगीत से सजे युगल गीत हर जुबाँ पर चढ़े होते थे. सुनिए और आनंद लीजिए.

गीत के बोल -

एक शहर था जिसके सीने में
सडकें छोटी थीं, दिल बड़े थे
उस शहर से, भरी दोपहर में
मैं अकेला चला था
इस अकेले सफ़र पे

मैं अकेला चला था
इस अकेले सफ़र पे
क्या हसीं इत्तफाक था
बन गए हमसफ़र तुम

मेरे दिल के, एक कोने में
गहरे कोहरे थे, मुद्दतों से
फिर मौसम खुला, तुम दिखे थे
पास आकर रुके थे
साथ मिलकर चले थे

तन्हा ये काफिला था
लम्बे ये फासले थे
क्या हसीं इत्तफाक था
बन गए हमसफ़र तुम

तुमसे पहले मेरी ज़िन्दगी
एक धुंधला सा इतिहास है
मैं जिसके किस्से खुद ही लिख कर
खुद ही भूल चूका हूँ

याद आता नहीं जितना भी सोचूं
क्या वो किस्से थे
क्यों लिखे थे

फिर मौसम खुला, तुम दिखे थे
पास आकर रुके थे
साथ मिलकर चले थे

मैं अकेला चला था
इस अकेले सफ़र पे
क्या हसीं इत्तफाक था
बन गए हमसफ़र तुम

तन्हा ये काफिला था
लम्बे ये फासले थे
क्या हसीं इत्तफाक था
बन गए हमसफ़र तुम



मेकिंग ऑफ़ "क्या हसीन इत्तेफ़ाक" - गीत की टीम द्वारा

नितिन दुबे: जब मैंने इस गाने पर काम करना शुरू किया था तो इसका रूप थोड़ा अलग था। एक पूरा बीच का भाग पहले नहीं था और इसका अन्त भी अलग था। उन्नी और मैं अच्छे दोस्त हैं और कई कवर वर्ज़न्स पर हमने साथ काम किया है। धीरे धीरे हमें लगा कि एक मूल गाना भी हमें एक साथ करना चाहिये। मैं वैसे भी कुछ समय से इस गाने पर धीरे धीरे काम कर ही रहा था। सोचा क्यों न यही गाना साथ करें। मुझे खुशी है जिस तरह उन्नी ने इस गाने को निभाया है। कुहू इस गाने के लिये मेरी पहली और अकेली पसंद थीं। और उन्होंने इसे मेरी आशाओं से बढ़ कर ही गाया है। यह आज के युग में इन्टरनेट का ही कमाल है कि मैं कभी कुहू से मिला भी नहीं हूं मगर इस गाने में एक साथ काम किया है और यह मैं कुहू की प्रतिभा का कमाल कहूंगा कि बिना मेरे साथ सिटिंग किये और बिना मार्गदर्शन के ही उन्होंने गाने का मूड बहुत अच्छी तरह पकड़ा और पेश किया।

उन्नीकृष्णन के बी: “क्या हसीं इत्तेफाक था” एक ऐसा गाना है जो मेरे दिल के बेहद करीब है। जिन दिनों नितिन यह गाना बना रहे थे‚ उन दिनों उन का और मेरा मिलना काफी होता था और इसीलिये मैंने इस गाने को काफी करीब से रूप लेते देखा है। मेरे लिये यह गाना ज़रा कठिन था क्योंकि इस में थोड़ी ग़ज़ल की तरह की गायकी की ज़रूरत है और मेरी मातृभाषा दक्षिण भारतीय है तथा मैंने ग़ज़ल कभी ज़्यादा सुनी भी नहीं। लेकिन मैनें बहुत रियाज़ किया इस गाने के लिये जिसके लिये मुझे नितिन का बहुत मार्गदर्शन भी मिला। और इसके नतीजे से मैं खुश हूं। मुझे लगता है कि मैं इस गाने के मूड को ठीक से पकड़ पाया हूं और इसके लिये मैं नितिन व कुहू का विशेष रूप से शुक्रग़ुज़ार हूं। मैं आशा करता हूं कि भविष्य में भी हम और भी गानों पर साथ काम कर पायेंगे।

कुहू गुप्ता: नितिन की रचनाएं यूं भी मेरी बहुत पसंदीदा थी, मैं खुद उनके साथ कोई गीत करने को उत्सुक थी कि उनका एक मेल आया करीब ४ महीने पहले, वो चाहते थे कि मैं उनके लिए एक रोमांटिक युगल गीत गाऊं. मैंने तो ख़ुशी में गीत बिना सुने ही उन्हें हां कह दिया. क्योंकि मैं जानती थी की ये भी निश्चित ही एक बेमिसाल गीत होगा, और मेरा अंदाजा बिलकुल भी गलत नहीं हुआ यहाँ. गाना बहुत ही सूथिंग था, जिस पर खुद उन्होंने बहुत प्यारे शब्द लिखे थे, ये गीत चूँकि उनके व्यक्तिगत जीवन से प्रेरित था, तो उनके लिए बेहद महत्वपूर्ण भी था, मैं उम्मीद करती हूँ कि मैंने अपने गायन में उनके जज़्बात ठीक तरह निभाए हैं. मेरे पहले टेक में कुछ कमियां थी जो नितिन ने दूर की. हम दोनों को इंतज़ार था कि पुरुष स्वर पूरे हों और गीत जल्दी से जल्दी मुक्कमल हो, पर तभी दुभाग्यवश बगलोर कार्टलोन दुर्घटना हुई और प्रोजेक्ट में रुकावट आ गयी....हम सब की प्रार्थना थी कि नितिन इन सब से उबर कर गीत को पूरा करें और देखिये किस तरह उन्होंने इस गीत को मिक्स करके वापसी की है. उन्नी ने अपना भाग बहुत खूबी से निभाया है, मैं हमेशा से उनकी आवाज़ की प्रशंसक रही हूँ. और मुझे ख़ुशी है कि इस गीत में हमें एक दूसरे के साथ सुर से सुर मिलाने का मौका मिला।
नितिन दुबे
नितिन संगीतकार भी हैं और एक शायर व गीतकार भी। अपने संगीतबद्ध किये गीतों को वह खुद ही लिखते हैं और उनका यह मानना हैं कि गाने के बोल उतना ही महत्व रखते हैं जितना कि उसकी धुन व संगीत। आर्किटेक्चर और सम्पत्ति विकास के क्षेत्र में विदेश से विशिष्ट शिक्षा प्राप्त करने के बाद नितिन कई वर्षों से व्यवसाय और संगीत के बीच वक्त बांट रहे हैं। अपने गीतों की अलबम ‘उड़ता धुआँ ’ तैयार करने के बाद नितिन अब इस कोशिश में हैं कि इस अलबम को व्यापक रूप से रिलीज़ करें और इसी लिये एक प्रोड्यूसर की खोज में हैं। “उड़ता धुआँ” रिलीज़ होने में चाहे जितना भी वक्त लगे‚ नितिन का कहना है कि वह गाने बनाते रहेंगे क्योंकि संगीत के बिना उन्हें काफी अधूरेपन का अहसास होता है।

उन्नीकृष्णन के बी
उन्नीकृष्णन पेशे से कम्प्यूटर इन्जीनियर हैं लेकिन संगीत का शौक बचपन से ही रखते हैं। कर्नाटक शास्त्रीय संगीत में इन्होंने विधिवत शिक्षा प्राप्त की है तथा स्कूल व कालिज में भी स्टेज पर गाते आये हैं। नौकरी शुरू करने के बाद कुछ समय तक उन्नी संगीत को अपनी दिनचर्या में शामिल नहीं कर पाये मगर पिछले काफी वक्त से वो फिर से नियमित रूप से रियाज़ कर रहे हैं‚ हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हैं‚ गाने रिकार्ड कर रहे हैं और आशा करते हैं कि अपनी आवाज़ के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचें।

कुहू गुप्ता
पुणे में रहने वाली कुहू गुप्ता पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। गायकी इनका जज्बा है। ये पिछले 6 वर्षों से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रही हैं। इन्होंने राष्ट्रीय स्तर की कई गायन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लिया है और इनाम जीते हैं। इन्होंने ज़ी टीवी के प्रचलित कार्यक्रम 'सारेगामा' में भी 2 बार भाग लिया है। जहाँ तक गायकी का सवाल है तो इन्होंने कुछ व्यवसायिक प्रोजेक्ट भी किये हैं। वैसे ये अपनी संतुष्टि के लिए गाना ही अधिक पसंद करती हैं। इंटरनेट पर नये संगीत में रुचि रखने वाले श्रोताओं के बीच कुहू काफी चर्चित हैं। कुहू ने हिन्द-युग्म ताजातरीन एल्बम 'काव्यनाद' में महादेवी वर्मा की कविता 'जो तुम आ जाते एक बार' को गाया है, जो इस एल्बम का सबसे अधिक सराहा गया गीत है। इस संगीत के सत्र में भी यह इनका चौथा गीत है।

Song - Kya Haseen Itteffaq Tha
Voices - Unnikrishnan K B , Kuhoo Gupta
Music - Nitin Dubey
Lyrics - Nitin Dubey
Graphics - Prashen's media


Song # 12, Season # 03, All rights reserved with the artists and Hind Yugm

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4 श्रोताओं का कहना है :

सजीव सारथी का कहना है कि -

नितिन जी, शब्द और सुरों को बेहद अच्छे से पिरोया है आपने, पहली बार में ही ये गीत मेरे मन को भा गया था, कुहू तो अच्छा गाती ही है, उन्नी ने भी उनका बहुत अच्छे से साथ निभाया है, खासकर जो आपने अलाप लिया है वो बहुत शानदार है, आपकी आवाज़ दमदार है.....कुहू...आपने जिस दुर्घटना का जिक्र किया है....वो कुछ समझ नहीं आया....क्योंकि नितिन जी ने ऐसा कोई जिक्र नहीं किया ....

Avanish Gautam का कहना है कि -

बहुत बढिया!! बहुत पसंद आया!! टीम को बहुत बहुत बधाईयां, शुभकामनायें और आभार!!

Biswajit का कहना है कि -

Ye gaana bahut bahut achha laga mujhe. Love your singing guys.God bless.Nitin aapki music bahut soothing hai. Best wishes.Biswajit

उज्ज्वल कुमार का कहना है कि -

बहुत हीं प्यारा कम्पोजिसन है .गीत संगीत और पार्श्वगायन सभी बहुत हीं उम्दा है .ढेरो शुभकामनाये.

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