बहुत दिनों से हमने आवाज़ पृष्ठ को किसी आवाज़ से नहीं नावाज़ा। या यूँ कहलें कि सामूहिक आवाज़ 'पहला सुर' में इतनी आवाज़ें थी कि महीनों से इसकी ज़रूरत नहीं पड़ी। आज हम मनुज़ मेहता की आवाज़ लेकर उपस्थित हैं।
स्वर- मनुज मेहता
बोल- मेरा कमरा
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4 श्रोताओं का कहना है :
बेहतर प्रयास,पुरी टीम को मेरी तरफ़ से शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"
मनुज जी
कविता तो सुनदार है ही आपने उसको अपनी आवाज़ देकर और भी सुन्दर बना दिया है । काफी भावपूर्ण बन गई है।
बधाई स्वीकार करें ।
Dhanyawad HindYugm
Meri is koshish ko sabke saamney prastut karne ke liye tahe dil se dhanyawad.
Sahil ji aur Shobha ji ko meri yeh Koshish pasand aayi aur mujhey unhone ek minute ke liye jhela (haha haha) uske liye bahut bahut dhanyawad. Waise to mujhe sabhi HindYugm ke bandhu bahut priy hain, par ek Shqus hai jiska main aabhari hun, jo hamesha mujhe protsahit karta hai uska bhi tahe dil se dhanyawad, main Sajeev Sarthi ji ki baat kar raha hun.
Agar yeh koshish aap sab ke gale se utarti hai to main ek aur aisi hi koshish karna chaunga.
aap sabhi ka pyaar paa sakoon, aise aagrah ke saath,
namaskar
Manuj Mehta
मनुज जी आप का यह प्रयास सफल रहा.
जी हाँ जरुर... आगे भी प्रयास जारी रखिये ,श्रोता मौजूद हैं.
कहानी भी अच्छी है.प्रस्तुति भी.
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