रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, June 11, 2010

चैन मोरा लूटा मोरे राजा सुन....एस जानकी के स्वरों में सजा एक दुर्लभ मुजरा



ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 414/2010/114

कुछ दुर्लभ गीतों से इन दिनों हम सजा रहे हैं 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की महफ़िल को। आज इसमें प्रस्तुत है दक्षिण की सुप्रसिद्ध पार्श्व गायिका एस. जानकी की आवाज़ में एक भूला बिसरा गीत फ़िल्म 'दुर्गा माता' से। यह एक मुजरा गीत है जिसके बोल हैं "चैन मेरा लूटा मोरे राजा सुन ज़रा, है कितना बेवफ़ा तू सैंया साजना"। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है, 'दुर्गा माता' एक धार्मिक फ़िल्म थी जिसका निर्माण सन् १९५९ में किया गया था। यह दक्षिण की ही फ़िल्म थी जिसमें संगीत था जी. के. वेंकटेश का और गीत लिखे एस. आर. साज़ ने। भले ही वेंकटेश साहब दक्षिण से ताल्लुख़ रखते हों, उन्होने इस मुजरे को बहुत ही कमाल का अंजाम दिया है। यहाँ तक कि सारंगी का भी इस्तेमाल किया है कहीं कहीं जो हक़ीक़त में कोठों पर बजा करती थी। इस फ़िल्म में एस. जानकी ने और भी कुछ गीत गाए, तथा एक युगल गीत मन्ना डे और गीता दत्त की आवाज़ों में भी है जिसके बोल हैं "तुम मेरे मन में"। इसे भी बहुत कम ही लोगों ने सुना होगा।


आइए आज थोड़ी चर्चा की जाए गायिका एस. जानकी की। २३ अप्रैल १९३८ को गुंटुर आंध्र प्रदेश में जन्मीं एस. जानकी अपनी करीयर में ना केवल पूरे दक्षिण भारत में छाई रहीं, बल्कि हिंदी फ़िल्म संगीत में भी उल्लेखनीय योगदान दिया। गायन के साथ साथ उन्होने गीत भी लिखे और उन्हे स्वरबद्ध भी किया। दक्षिण में एस. जानकी और एस. पी. बालासुब्रह्मण्यम की जोड़ी को सब से लोकप्रिय जोड़ी मानी जाती है। उनका करीयर १९ वर्ष की आयु में सन् १९५७ में शुरु हुआ था। दोस्तों, हमने कोशिश तो बहुत की कि एस. जानकी की पूरी हिंदी फ़िल्मोग्राफ़ी से आपका परिचय करवाएँ, लेकिन कहीं से भी हम इसे प्राप्त नहीं कर पाए। हाँ, यहाँ वहाँ से तथ्य संग्रह कर हमने कुछ फ़िल्मों की एक लिस्ट ज़रूर तैयार करी है जिनमें एस. जानकी ने गीत गाए हैं। आज की हमारी फ़िल्म 'दुर्गा माता' के अलावा कुछ और हिंदी फ़िल्में जिनमें उन्होने गीत गाएँ, वो इस प्रकार हैं - जॊनी मेरा यार, हमें भी जीने दो, दिल का साथी दिल, कर्मवीर, झंडा ऊँचा रहे हमारा, जय बालाजी, मेरा सुहाग, सच्चे का बोलबाला, सत्यमेव जयते, मेरी बहन, प्रतिघात, पाताल भैरवी, दो हाथ सौ बंदूकें, साहेब, कहाँ है कानून, बलिदान, सती अनुसूया, दशावतार, तीन दोस्त, अलख निरंजन, हक़ीक़त, आख़िरी रास्ता, पाप की दुनिया, चक्र विक्रमादित्य, नाचे मयूरी, औलाद, झूटी, काली गंगा, आग का गोला, सुर संगम, शेरा शमशेरा, धर्माधिकारी, दूध का कर्ज़, दोस्ती दुश्मनी, मोहब्बत के दुश्मन, गुरु, अव्वल नंबर, मेरा पति सिर्फ़ मेरा है, मेरा धरम, आदि। ८० के दशक में बप्पी लाहिड़ी के संगीत में एस. जानकी के गाए बहुत से हिंदी गीत ख़ूब चले थे जैसे कि "यार बिना चैन कहाँ रे" (साहेब), "गोरी का साजन, साजन की गोरी" (आख़िरी रास्ता), "मैं तेरा तोता तू मेरी मैना" (पाप की दुनिया), "दिल में हो तुम आँख में तुम" (सत्यमेव जयते) आदि। इन गीतों में एस. जानकी की आवाज़ और अंदाज़ कुछ हद तक आशा भोसले से मिलती जुलती सुनाई देती है। दोस्तों, उपर फ़िल्मों के नामों को पढ़कर आपको यह आभास ज़रूर हुआ होगा कि एस. जानकी को हिंदी फ़िल्म जगत में ज़्यादातर धार्मिक और पौराणिक विषय वाली फ़िल्मों में गाने के अवसर मिले। बाद में बप्पी लाहिड़ी ने उनकी आवाज़ का व्यावसायिक हिट फ़िल्मों में सही रूप से इस्तेमाल किया। आज एस. जानकी ७२ वर्ष की हैं और चेन्नई में जीवन यापन कर रही हैं। 'आवाज़' परिवार की तरफ़ से हम उन्हे देते हैं ढेरों शुभकामनाएँ और सुनते हैं उनकी आवाज़ पहली बार 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर।



क्या आप जानते हैं...
कि एस. जानकी ने संगीतकार सलिल चौधरी के संगीत निर्देशन में फ़िल्म 'दिल का साथी दिल' में कई गीत गाए थे।

पहेली प्रतियोगिता- अंदाज़ा लगाइए कि कल 'ओल्ड इज़ गोल्ड' पर कौन सा गीत बजेगा निम्नलिखित चार सूत्रों के ज़रिए। लेकिन याद रहे एक आई डी से आप केवल एक ही प्रश्न का उत्तर दे सकते हैं। जिस श्रोता के सबसे पहले १०० अंक पूरे होंगें उस के लिए होगा एक खास तोहफा :)

१. इस गीत की गायिका दक्षिण की एक मशहूर गायिका रहीं हैं जिनके नाम में वह शब्द है जो शीर्षक एक ऐसी फ़िल्म का है जिसमें मुबारक़ बेग़म ने एक ख़ूबसूरत गीत गाया था। बताइए गायिका का नाम। ३ अंक।

२. गीत के मुखड़े में शब्द है "कान्हा"। गीत बताइए। ३ अंक।

३. फ़िल्म के शीर्षक में दो शब्द हैं जिनमे से एक शब्द शीर्षक है एक ऐसी फ़िल्म का जिसमें सुनिल दत्त और नूतन ने यादगार भूमिका निभाई थी और जिसमें लता और मुकेश का गाया एक बेहद मशहूर गीत है सावन पर। फ़िल्म का नाम बताएँ। २ अंक।

४. इस फ़िल्म की नायिका वो अदाकारा हैं जिनकी माँ वसुंधरा देवी तमिल की एक गायिका रही हैं। बताइए कौन हैं इस फ़िल्म की नायिका। २ अंक।

विशेष सूचना -'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला के बारे में आप अपने विचार, अपने सुझाव, अपनी फ़रमाइशें, अपनी शिकायतें, टिप्पणी के अलावा 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के नए ई-मेल पते oig@hindyugm.com पर ज़रूर लिख भेजें।

पिछली पहेली का परिणाम -

बहुत अच्छे पराग जी ३ अंक aapke aur 2 अंक avadh जी ke khate men surakshit

खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी


ओल्ड इस गोल्ड यानी जो पुराना है वो सोना है, ये कहावत किसी अन्य सन्दर्भ में सही हो या न हो, हिन्दी फ़िल्म संगीत के विषय में एकदम सटीक है. ये शृंखला एक कोशिश है उन अनमोल मोतियों को एक माला में पिरोने की. रोज शाम 6-7 के बीच आवाज़ पर हम आपको सुनवाते हैं, गुज़रे दिनों का एक चुनिंदा गीत और थोडी बहुत चर्चा भी करेंगे उस ख़ास गीत से जुड़ी हुई कुछ बातों की. यहाँ आपके होस्ट होंगे आवाज़ के बहुत पुराने साथी और संगीत सफर के हमसफ़र सुजॉय चटर्जी. तो रोज शाम अवश्य पधारें आवाज़ की इस महफिल में और सुनें कुछ बेमिसाल सदाबहार नग्में.

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4 श्रोताओं का कहना है :

Anonymous का कहना है कि -

मुझे लगता है कि दक्षिण भारतीय मूल की गायिका का नाम होना चाहिए पी. सुशीला.
मुबारक बेगम का 'सुशीला' का मधुर गीत- ' बेमुरव्वत बेवफा बेगान - ए- दिल आप हैं '
अवध लाल

AVADH का कहना है कि -

मुझे लगता है कि दक्षिण भारतीय मूल की गायिका का नाम होना चाहिए पी. सुशीला.
मुबारक बेगम का 'सुशीला' का मधुर गीत- ' बेमुरव्वत बेवफा बेगान - ए- दिल आप हैं '
अवध लाल

AVADH का कहना है कि -

एक शंका मेरे मन में बहुत दिनों से है और इसका मैं समाधान चाहता हूँ.
क्या गायिका एस. जानकी और सुप्रसिद्ध नायिका सौकार जानकी एक ही शख्सियत हैं या दो अलग अलग व्यक्तित्व हैं जिनमें केवल नाम की समानता है?
आभार सहित
अवध लाल

शरद तैलंग का कहना है कि -

गीत के बोल : क्या क्या कहूँ रे कान्हा

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