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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, July 23, 2010

सुनो कहानी: जयशंकर प्रसाद की पुरस्कार



जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध कहानी पुरस्कार

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में कृश्न चन्दर की रचना 'एक गधे की वापसी - भाग 2/3' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं जयशंकर प्रसाद की अमर कहानी "पुरस्कार", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 7 मिनट 17 सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।



झुक जाती है मन की डाली, अपनी फलभरता के डर में।
~ जयशंकर प्रसाद (30-1-1889 - 14-1-1937)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी

पेड़ के नीचे, हाथ पर सर रखकर मधुलिका सो रही थी।
(जयशंकर प्रसाद की "पुरस्कार" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)


यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें।
VBR MP3

#Eighty Fourth Story, Puraskar: Jaishankar Prasad/Hindi Audio Book/2010/28. Voice: Archana Chaoji

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3 श्रोताओं का कहना है :

सजीव सारथी का कहना है कि -

its a claasic....thanks for recreating it for us

रोमेंद्र सागर का कहना है कि -

आपके इस प्रयास की जितनी भी तारीफ की जाए , कम है ! आज के माहौल में जब हम अपनी सभ्यता एवं संस्कृति के मूल भूत आधारों को , मूल्यों को और अपने विरसे को भूलते जा रहे हैं , साहित्य के अनमोल खजाने को जग-ज़ाहिर करने की आपकी यह कोशिश उल्लेखनीय तथा सराहनीय है ...मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें !

शेष , जयशंकर प्रसाद की यह कहानी 'पुरस्कार' हमारी साहित्यिंक विरसे की की एक अनमोल निधि है ...अरसे बाद सुना , अच्छा लगा ....बस यदि भाव अभिव्यक्ति और शब्दों के उच्चारण की शुद्धता पर कुछ और ध्यान दिया जता तो मज़ा बढ़ जाता !

और भी अच्छी रचनाओं की प्रतीक्षा रहेगी !
(कभी हुआ तो मैं स्वयं भी कुछ प्रेषित करने का प्रयास करूंगा ) .....
पुन : बधाई स्वीकार करें ....!

Archana का कहना है कि -

@ संजीव जी धन्यवाद ,
@ रोमेंद्र जी,आपने ध्यान से सुना आभार! अशुद्ध उच्चारण वाले शब्द विशेष का उल्लेख कर दें तो सुधार करने में आसानी होगी.....
जल्दी ही आपकी आवाज सुनने मिलेगी इसी आशा के साथ एक बार फ़िर आपका धन्यवाद...

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