सुधा अरोड़ा की कहानी अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी
'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ।
पिछले सप्ताह आपने कविता वर्मा की आवाज़ में कन्नड साहियत्यकार रामचन्द्र भावे की कहानी 'वारिस' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं सुधा अरोड़ा की कहानी "अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी", जिसको स्वर दिया है प्रीति सागर ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: 14 मिनट 24 सेकंड।
इस कहानी का टेक्स्ट हिन्दीनेस्ट पर उपलब्ध है।
यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।
आत्माएं कभी नहीं मरतीं। इस विराट व्योम में, शून्य में, वे तैरती रहती हैं - परम शान्त होकर। ~ सुधा अरोड़ा हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए एक नयी कहानी कहीं मेरे पति घर में घुसते ही इन सब पर चप्पलों की चटाख-चटाख बौछार न कर दें या मेरी सास इन पर केतली का खौलता हुआ पानी न डाल दें। (सुधा अरोड़ा की "अन्नपूर्णा मंडल की आखिरी चिट्ठी" से एक अंश) |
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#Eighty Sixth Story, annpoorna mandal ki akhiri chitthi: Sudha Arora/Hindi Audio Book/2010/30. Voice: Preeti Sagar



नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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5 श्रोताओं का कहना है :
बेहद भावपूर्ण प्रस्तुति।
ये दर्दनाक अंजाम वाले गीत, कहानियां ही मन को इतना क्यूं छूती हैं?
प्रीतिजी की आवाज कहानी की आत्मा के साथ एकाकार हुई जा रही थी।
ऐसी रचना को सुनकर यह भी नहीं कहा जायेगा कि ’बहुत अच्छी लगी।’
पिछली टिप्पणी से पूर्ण सहमति। सुधा जी की कहानियों का दर्द पाठक (यहाँ श्रोता) के अंतस को बीन्ध जाता है। प्रीति जी की वाणी ने भी कहानी के साथ पूरा न्याय किया है। यदि श्रोताओं को इन दोनों का परिचय भी मिल सके तो अच्छा हो
बेहद मार्मिक कहानी . जी भर आया . सच्चाई कितनी जानलेवा होती है कभी कभी .
कहानी यह सन्देश भी देती है कि बेटियों को भी आसमान छूने का मौका दिया जाये .
अच्छा रिश्ता आते ही उसकी पढाई छुडवाकर उसके हाथ पैर न काट डाले जाएँ वरना वही हाल होगा जो अन्नपूर्ण मंडल का हुआ .
रेखा
आपने यह जानकारी नही दी कि क्या यह प्रीति सागर महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की अध्यापिका प्रीति सागर ही हैं जिनके बारे में किसी अनाम व्यक्ति ने यह टिप्पणी पोस्ट की थी कि महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की अध्यापिका प्रीति सागर के विरुद्ध केंद्रीय सतर्कता आयोग के निर्देश पर महाराष्ट्र सरकार महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के किसी फ़र्ज़ी पहचानपत्र घोटाले में जाँच कर रही है ...आपने टिप्पणी भी हटा दी ..यदि आपको टिप्पणी हटानी ही है तो फिर आप श्रोताओं का कॉमेंट बॉक्स भी हटा दें....मैने अपनी टिप्पणी प्रीति सागर के बारे में गूगल पर सर्च कर के दी थी......कृपया वाचिका के बारे में तथ्य हमें उपलब्ध करवाएँ ...यह एक श्रोता के रूप में हमारा अधिकार है .....मैने नेट पर प्रीति सागर के बारे में पूरी सामग्री देखी .यह हिन्दी का दुर्भाग्य ही है कि इसमें धोखेबाज ,बेईमान और बेशर्म लोग भरे पड़े हैं . इन्ही लोगों के कारण आज हिन्दी अपने देश में ही पराई हो चुकी है . यह लोग हिन्दी की रोटी खा कर भी हिंदी की अस्मिता लूटने पर लगे हैं...दुखद और शर्मनाक !!!!!
जी !! आवाज़ की इस कहानी की वाचिका वही प्रीति सागर हैं , जो महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय की अध्यापिका हैं ...इन्होने महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के काल्पनिक कर्मचारी सुनीता के नाम से फ़र्ज़ी पहचानपत्र बनवा कर उसी पहचानपत्र पर रिलाइयेन्स का 8055290238 नं का सिम 2 जनवरी 2010 को लिया ..बाद में कुछ पत्रकारों के द्वारा मामले का भंडाफोड़ किए जाने पर 10 अगस्त 2010 को प्रीति सागर ने यह सिम अपनी असली आइ डी दे कर अपने नाम ट्रांसफर करवा लिया . रिलाइयेन्स के सर्किल ऑफिस में प्रीति सागर के असली और नकली दोनो पहचानपत्र और दोनो कस्ट्मर आप्लिकेशन फॉर्म मौज़ूद हैं . मामले में शिकायत होने के बाद भी विश्वविद्यालय ने शिकायत को फाइल करने का आदेश दे दिया ... बाद में केंद्रीय सतर्कता आयोग के आदेश पर राष्ट्रीय सुरक्षा के इस बेहद संवेदनशील मामले में महाराष्ट्र सरकार जाँच कर रही है उधर राष्ट्रपति भवन सचिवालय की सूचना के अनुसार राष्ट्रपति भवन ने भी प्रीति सागर के इस फ़र्ज़ी पहचानपत्र घोटाले और इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति की भी जाँच का ज़िम्मा मानव संसाधन विकास मंत्रालय के मुख्य सतर्कता अधिकारी अमित खरे को सौंप दिया है..उधर प्रीति सागर के ही एक और मामले में केंद्रीय सूचना आयोग नें महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय , वर्धा के कुलपति के खिलाफ एक और मामला दर्ज़ कर लिया है और जल्दी ही केंद्रीय सूचना आयोग इस मामले में भी सुनवाई करने जा रहा है.....संभव है की जल्दी ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी उठे और वहाँ से इस मामले की जाँच सुप्रीम कोर्ट की देख रेख में का निर्देश लेने का प्रयास लिया जाए ...
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