टी एस टी यानी ताज़ा सुर ताल में आज हम हाज़िर हैं इस वर्ष की अंतिम बड़ी फिल्म “तीस मार खान” के संगीत का जिक्र लेकर. फराह खान ने नृत्य निर्देशिका के रूप में शुरूआत की थी और निर्देशिका बनने के बाद तो उन्होंने जैसे कमियाबी के झंडे ही गाढ़ दिए. “मैं हूँ न” और “ओम शांति ओम” जैसी सुपर डुपर हिट फिल्म देने वाली ये सुपर कामियाब निर्देशिका अब लेकर आयीं हैं – तीस मार खान. जाहिर है उम्मीदे बढ़ चढ़ कर होंगीं इस फिल्म से भी. पहली दो फिल्मों में शाहरुख खान के साथ काम करने वाली फराह ने इस बार चुना है अक्षय कुमार को और साथ में है कटरीना कैफ. संगीत है विशाल शेखर का और अतिथि संगीतकार की भूमिका में हैं शिरीष कुंदर जो फराह के पतिदेव भी हैं और अक्षय –सलमान को लेकर “जानेमन” जैसी फिल्मों का निर्देशन भी कर चुके हैं.
अल्बम की शुरूआत होती है शिशिर के ही गीत से जो कि फिल्म का शीर्षक गीत भी है. इस गीत में यदि आप लचर शब्दों को छोड़ दें तो तीन ऐसी बातें हैं जो इस गीत को तुरंत ही एक हिट बना सकता है. पहला है सोनू की बहुआयामी आवाज़ का जलवा. पता नहीं कितनी तरह की आवाजों में उन्होनें इस गीत गाया है और क्या जबरदस्त अंजाम दिया है ये आप सुनकर ही समझ पायेंगें. दूसरी खासियत है इसका सिग्नेचर गिटार पीस, एक एकदम ही आपका ध्यान अपनी तरफ़ खींच लेता है और तीसरी प्रमुख बात है गीत का अंतिम हिस्सा जो डांस फ्लोर में आग लगा सकता है. कुल मिलकार ये शीर्षक गीत आपका इस अल्बम और फिल्म के प्रति उत्साह जगाने में सफल हुआ है ऐसा कहा जा सकता है.
तीस मार खान
अब बात आइटम गीत “शीला की जवानी” की करें. एक बार फिर सुनिधि चौहान ने यहाँ बता दिया कि जब बात आइटम गीत की हो तो उनसे बेहतर कोई नहीं. अजीब मगर दिलचस्प बोल है विशाल के और अंतरे में हल्की कव्वाली का पुट शानदार है. बीट्स कदम थिरका ही देते है. कोई कितना भी इसे बेस्वदा कहे पर फराह के नृत्य निर्देशन और कटरीना के जलवों की बदौलत ये गीत “मुन्नी बदनाम” की ही तरह श्रोताओं के दिलों-दिमाग पर अपना जादू करने वाला है ये बात पक्की है.
शीला की जवानी
हम आपको बता दें कि फिल्म में सलमान खान एक गीत में अतिथि भूमिका में दिखेंगें. सलमान इन दिनों इंडस्ट्री में सबसे “हॉट” माने जा रहे हैं ऐसे में उनकी उपस्तिथि अगले गीत “वल्लाह रे वल्लाह” को लोगों की जुबान पर चढा दे तो भला आश्चर्य कैसा. परंपरा अनुसार फराह ने इस फिल्म में भी कव्वाली रखी है, यहाँ बोल अच्छे है अन्विता दत्त गुप्तन के विशाल शेखर ने भी रोशन साहब के पसंदीदा जेनर को पूरी शिद्दत से निभाया है.
वल्लाह रे वल्लाह
अगले दो गीत साधारण ही हैं “बड़े दिल वाला” में सुखविंदर अपने चिर परिचित अंदाज़ में है तो दिलचस्प से बोलों को श्रेया ने भी बहुत खूब निभाया है. “हैप्पी एंडिंग” गीत खास फराह ने रियलिटी शोस में दिए अपने वादों को निभाने के लिए ही बनाया है ऐसा लगता है. इंडियन आइडल से अभिजीत सावंत, प्राजक्ता शुक्रे, और हर्शित सक्सेना ने मिलकर गाया है इस गीत को जो संभवता फिल्म के अंतिम क्रेडिट में दिखाया जायेगा. वैसे पहले ३ गीत काफी हैं इस अल्बम को एक बड़ा हिट बनाने को. त्योहारों, शादियों के इस रंगीन मौसम में सोच विचार को कुछ समय के लिए दरकिनार कर बस कुछ गीत मस्ती से भरे सुनने का मन करे तो “तीस मार खान” को एक मौका देकर देखिएगा.
बड़े दिल वाला
हैप्पी एंडिंग



नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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