ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 605/2010/305
ऒस्ट्रेलिया, इंगलैण्ड, वेस्ट इंडीज़, पाकिस्तान, भारत, न्युज़ीलैण्ड, श्रीलंका और ईस्ट-अफ़्रीका; इन आठ देशों को लेकर १९७५ में पहला विश्वकप क्रिकेट आयोजित हुआ था। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार, और फिर एक बार विश्वकप क्रिकेट की कुछ बातें लेकर हम हाज़िर हैं इन दिनों चल रही लघु शृंखला 'खेल खेल में' में। पहले के तीन विश्वकप इंगलैण्ड में आयोजित की गई थी। १९८३ में भारत के विश्वकप जीतने के बाद १९८७ का विश्वकप आयोजित करने का अधिकार भारत ने प्राप्त कर लिया। इस बारे में विस्तार से भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के उस वक़्त के प्रेसिडेण्ट एन.के.पी. साल्वे ने अपनी किताब 'The Story of the Reliance Cup' में लिखा है। साल्वे साहब ने उस किताब में लिखा है कि १९८३ में लॊर्ड्स के उस ऐतिहासिक विश्वकप फ़ाइनल के लिए उन्हें दो टिकट दिए गये थे। और जब भारत ने फ़ाइनल के लिए क्वालिफ़ाइ कर लिया तो उन्होंने MCC से दो और टिकटों के लिए आग्रह किया भारत से आये उनके दो दोस्तों के लिए। MCC ने उनकी माँग ठुकरा दी। यह बात साल्वे साहब को चुभ गई और वो जी जान से जुट गये अगला विश्वकप भारत में आयोजित करवाने के लिए। उनकी मेहनत रंग लायी और १९८७ मे भारत और पाकिस्तान ने युग्म रूप से इस प्रतियोगिता को आयोजित किया और इस तरह से विश्वकप क्रिकेट आयोजित करने वाले इंगलैण्ड के आधिपत्य को ख़त्म किया। और इसके बाद दूसरे देशों को भी मौका मिला मेज़बानी का। क्रिकेट विश्वकप अपने आप में एक बहुत बड़ा एवेण्ट है, ख़ुद ICC के वेबसाइट पर प्रकाशित शब्दों में "the Cricket World Cup is the showpiece event of the cricket calendar."
और अब आज के गीत की बारी। कल के गीत में ज़रा सा ओवर-कॊन्फ़िडेन्स था, और आज के गीत में तो ओवर-कॊन्फ़िडेन्स की सारी हदें ही पार कर दी हैं नायिका ने। "हम से मुक़ाबला करोगे हाये, हम से मुक़ाबला करोगे तो, तुम हार जाओगे, हम जीत जाएँगे..."। लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर की युगल आवाज़ों में यह है फ़िल्म 'बद और बदनाम' का गीत। यह सन् १९८४ में निर्मित फ़िल्म है जिसमें संजीव कुमार, शत्रुघ्न सिंहा, अनीता राज, परवीन बाबी ने मुख्य भूमिकाएँ निभाई। फ़ीरोज़ शिनोय निर्देशित इस फ़िल्म का निर्माण किया था के. शोरे ने; फ़िल्म में संगीत दिया लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने और गीत लिखे आनंद बक्शी नें। आज का यह गीत फ़िल्माया गया है परवीन बाबी और संजीव कुमार पर एक पार्टी में। ८० के दशक के मध्य भाग तक आते आते फ़िल्म संगीत एक बुरे वक़्त में प्रवेश कर चुका था। फ़िल्मों की कहानियाँ कुछ ऐसी करवट ले चुकी थी कि गीतकार और संगीतकारों के लिए अच्छा स्तरीय काम दिखा पाना ज़रा मुश्किल सा हो रहा था। इसके बावजूद समय समय पर कुछ यादगार गानें भी आते गये। और जब फ़िल्मकार ने चाहा कि लता जी से गीत गवाया जाये, तो फिर कहानी या सिचुएशन जैसा भी हो, गाना उन्हीं को ध्यान में रखकर बनाया जाता था क्योंकि इंडस्ट्री में सब को यह बात मालूम थी कि लता जी ऐसा वैसा गीत कभी नहीं गातीं। इसलिए उस दौर की फ़िल्मों के बाक़ी गीत चाहे जैसा भी बनें, लता जी वाले गानें सुनने लायक ज़रूर होते थे, और आज का प्रस्तुत गीत भी कोई व्यतिक्रम नहीं है। और उस पर सुर साधक सुरेश वाडकर की आवाज़। पता नहीं क्यों, मुझे व्यक्तिगत रूप से हमेशा ऐसा लगता है कि सुरेश वाडकर ग़लत समय पर इंडस्ट्री में आये। फ़िल्मी गीतों का स्तर इतना गिर चुका था कि उनके स्तर के गानें ही बनने बंद हो गये, और वो एक बहुत ही अंडर-रेटेड गायक बन कर रह गये। तो आइए लता जी और सुरेश जी की आवाज़ों में सुनते हैं फ़िल्म 'बद और बदनाम' का यह गीत, और २०११ क्रिकेट विश्वकप के खिलाड़ियों से ओवर-कॊन्फ़िडेण्ट ना होने की सलाह देते हैं :-)
क्या आप जानते हैं...
कि ८० के दशक में लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर की जोड़ी से सब से ज़्यादा युगल गीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने गवाये, जिनमें 'क्रोधी', 'प्रेम रोग', 'प्यासा सावन', 'बद और बदनाम', 'सिंदूर', 'नाचे मयूरी', 'सुर संगम', 'कभी अजनबी थे' जैसी फ़िल्में शामिल हैं।
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 06/शृंखला 11
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र - आसान है.
सवाल १ - किस अभिनेता निर्माता निर्देशक की आवाज़ है इस क्लिप्पिंग में - १ अंक
सवाल २ - गीत में उदित नारायण ने किस नवोदित अभिनेता (उन दिनों के) का प्लेबैक किया था - ३ अंक
सवाल ३ - गीतकार बताएं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
ये मुकाबला तो अवध जी सही कहते हैं एक दम आखिरी दौर तक जाएगा....
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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6 श्रोताओं का कहना है :
गीतकार-अमित खन्ना
Aamir Khan
आमिर खान
Dev anand
मैं जानता था कि इस श्रंखला में क्रिकेट पर बनी नवकेतन बैनर की 'अव्वल नंबर' का ज़िक्र होना लाजिमी है.
अवध लाल
मेरा एक पूर्वानुमान है श्रृंखला में कल आनेवाली पहेली के गीत के बारे में.
अब देखना यह है कि क्या वह सच निकलेगा.
अवध लाल
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