'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने नीरज बसलियाल की कहानी "फेरी वाला" का पॉडकास्ट अनुराग शर्मा की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं अनुराग शर्मा की एक सामयिक कहानी "जाके कभी न परी बिवाई", जिसको स्वर दिया है अर्चना चावजी ने। कहानी "जाके कभी न परी बिवाई" का कुल प्रसारण समय 7 मिनट 43 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।
इस कथा का टेक्स्ट बर्ग वार्ता ब्लॉग पर उपलब्ध है।
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| कहानी कहानी होती है, उसमें लेखक की आत्मकथा ढूँढना ज्यादती है। ~ अनुराग शर्मा हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी "घातक हृदयाघात हुआ था पापा को ... और ... उन दुकानदारों ने जो कहा उस पर आज भी यकीन नहीं आता है" (अनुराग शर्मा की "जाके कभी न परी बिवाई" से एक अंश) |
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#121st Story, jake kabhi na pari bivai: Anurag Sharma/Hindi Audio Book/2011/4. Voice: Anurag Sharma


नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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3 श्रोताओं का कहना है :
सुजोय जी ,
आपने शिखा विश्वास के माध्यम से फिल्म जगत के दो व्यक्तित्व- आशालता और अनिल विश्वास, दोनों के कुछ अनूठे कृतित्व से परिचित कराया |
प्रस्तुतियों में भैरवी ठुमरी- 'बाजूबन्द खुल खुल जाय---' सुन कर मैं हतप्रभ रह गया | लगभग 40-45 वर्ष पहले रेडिओ पर लता मंगेशकर की आवाज़ में सुनी इस ठुमरी के स्थाई के बोल परम्परागत ठुमरी भैरवी के अनुरूप होने से स्मृतियों में यह सुरक्षित रहा | बहुत-बहुत धन्यवाद, इस दुर्लभ ठुमरी सुनवाने के लिए |
इसी कड़ी में आपने अनिल विश्वास द्वारा स्वरबद्ध 'रागमालिका' गीत 'ऋतु आए ऋतु जाए.....' भी लाजवाब है | मन्ना डे और लता मंगेशकर के स्वरों में फिल्म 'हमदर्द' के इस गीत में राग- गौड़ सारंग, गौड़ मल्हार, जोगिया और बहार का परिवेश एक सुन्दर पेंटिंग कि तरह साकार हो जाता है | ऐसे ही दुर्लभ और अनमोल खजाने से समृद्ध है भारतीय फिल्म संगीत जगत | एक बार फिर आपकी टीम को धन्यवाद |
उपरोक्त प्रतिक्रिया 'old is gold शनिवार विशेष पर पोस्ट करना था, गलती से यहाँ हो गया, क्षमा करें
यब वर्णनात्मक कहानी बहुत अच्छी लगी!
अर्चना चावजी का स्वर तो बहुत कमाल का है!
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