रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, April 11, 2010

राजेश रोशन के सुरों की डोर पर संगीत का आसमां छूती "काईट्स"



ताज़ा सुर ताल १५/२०१०

सुजॊय- सजीव, कुछ निर्देशक और अभिनेता ऐसे हैं जिनकी फ़िल्मों का लोग बेसबरी से इंतज़ार करते हैं। ये कलाकार ना केवल बहुत कम फ़िल्में बनाते हैं, बल्कि हर फ़िल्म में कुछ नया इस फ़िल्म जगत को देते हैं। राकेश रोशन और उनके सुपुत्र हृतिक रोशन के फ़िल्मों का जो कारवाँ 'कहो ना प्यार है' की ज़बरदस्त कामयाबी से शुरु हुआ था, वह कारवाँ उसी कामयाबी की राह पर आगे बढ़ता हुआ, 'कोई मिल गया' और 'क्रिश' जैसी ब्लॊकबस्टर फ़िल्मों के पड़ाव से गुज़र कर अब एक और महत्वपूर्ण पड़ाव की ओर अग्रसर हो रहा है, जिस पड़ाव का नाम है 'काइट्स'।

सजीव - 'काइट्स' की चर्चा काफ़ी समय से हो रही है और इस फ़िल्म से लोगों को बहुत सी उम्मीदें हैं। लेकिन इस फ़िल्म को राकेश रोशन ने ज़रूर प्रोड्युस किया है, लेकिन इस बार निर्देशन की बगडोर उन्होने अपने हाथ में नहीं लिया, बल्कि यह भार सौंपा गया 'लाइफ़ इन अ मेट्रो' और 'गैंगस्टर' जैसी सफल फ़िल्मों के निर्देशक अनुराग बासु को।

सुजॊय - संगीत की बात करें तो अनुराग बासु की फ़िल्मों में अक्सर प्रीतम का ही संगीत होता है। लेकिन क्योंकि यह रोशन परिवार की फ़िल्म है तो फिर राजेश रोशन के अलावा और कौन हो सकता है फ़िल्म के संगीतकार। और वैसे भी जितनी भी बार राकेश, राजेश और ऋतिक की तिकड़ी एक जुट हुई है, हमें अच्छा संगीत सुनने को मिला है।

सजीव - भले ही राजेश रोशन अपने करीयर में कई संगीत संबंधित विवादों से घिरे रहे हैं, यह बात भी सच है कि वो उन बहुत ही गिने चुने संगीतकारों में से हैं जिन्होने बदलते वक़्त, रुचि और चलन के साथ अपने आप को ढाला है और जिसका नतीजा यह है कि ७० के दशक में उनका सगीत जितना हिट था, आज २०१० के दशक में भी युवाओं के दिलों पर उतने ही हावी हैं।

सुजॊय - तो सजीव, हृतिक रोशन और बारबरा मोरी अभिनीत 'काइट्स' के गीत संगीत की चर्चा आज 'ताज़ा सुर ताल' में हो रही है, आइए इस फ़िल्म का पहला गीत सुनते हैं के.के की आवाज़ में, जिसे लिखा है नासिर फ़राज़ ने। पहले गीत सुन लेते हैं, फिर अपनी चर्चा आगे बढ़ाएँगे।

गीत: ज़िंदगी दो पल की


सजीव - वाह! बहुत ही अच्छी धुन जो एक ताज़ा हवा के झोंके की तरह आई। जैसा कि मैंने कहा था कि राजेश रोशन हर दौर के टेस्ट के अनुरूप अपने संगीत को हाला है। के.के की आवाज़ की मिठास और पैशन, दोनों ही साफ़ झलकता है इस गीत में। भारतीय और पाश्चात्य साज़ों का जो तालमेल रोशन साहब ने बनाया है, गीत को बड़ा ही मेलडियस बनाता है। और जहाँ पर के.के "इंतेज़ार कब तलक" गाते हैं, उसमें राजेश रोशन का अंदाज़ आप नोटिस कर सकते हैं।

सुजॊय - कुल मिलाकर यह गीत इन दिनों ख़ूब लोकप्रिय हो रहा है और इसी गीत के ज़रिए टीवी के परदे पर फ़िल्म को प्रोमोट भी किया जा रहा है। के.के. ने इस फ़िल्म में एक और गीत गाया है "दिल क्यों ये मेरा शोर करे"। बड़ा ही सॊफ़्ट नंबर है। एक जालस्थल पर किसी ने इस गीत के बारे में यह लिखा है कि आप किसी लॊंग् ड्राइव पे निकल पड़े हो, चारों तरफ़ प्रकृति की शोभा पूरे शबाब पे हो, और एक कभी ना ख़त्म होनेवाली सड़क, ऐसे में इस गीत को बार बार सुनने का मज़ा कुछ और ही होगा।

सजीव - नासिर फ़राज़ के नर्मोनाज़ुक और काव्यात्मक शब्द और के.के. की नर्म आवाज़ ने इस गीत को बेहद कर्णप्रिय बनाता है। के.के. की खासियत है कि वो दमदार और नर्म, दोनों ही तरह के गीत वो बख़ूबी गा लेते हैं। वैसे इस गीत में आगे चलकर उनकी आवाज़ की वही दमदार और पैशन वाली अंदाज़ सुनाई देती है। वैसे इस गीत में कुछ कुछ अनुराग बासु - प्रीतम - के.के वाले गीतों की झलक भी मिलती है।

सुजॊय - और शायद बैण्ड म्युज़िक के इस्तेमाल की वजह से भी कुछ हद तक ऐसा लगा हो। जो भी है, के.के के गाए ये दोनों ही गीत लोग पसंद करेंगे ऐसी उम्मीद की जा सकती है। तो आइए अब इस गीत को सुना जाए।

गीत: दिल क्यों ये मेरा शोर करे


सजीव - 'काइट्स' फ़िल्म का अगला गीत है विशाल दादलानी और सूरज जगन की आवाज़ों में। ये दो नाम सुनते ही आप समझ ही चुके होंगे कि गाना किस अंदाज़ का होगा! जी हाँ, रॊक शैली में बना यह गीत गीटार की धुन से शुरु हो कर विशाल की आवाज़ टेक-ओवर कर लेती है। बाद में सूरज जगन अपनी उसी गायकी का परिचय देते हैं जिसे अंग्रेज़ी में 'फ़ुल थ्रोटेड रेंडिशन' कहते हैं।

सुजॊय - इससे पहले 'क्रेज़ी-४' फ़िल्म में विशाल दादलानी को राजेश रोशन ने गवाया था। आजकल बहुत से संगीतकार विशाल से गानें गवा रहे हैं।

सजीव - इस गीत को भी नासिर फ़राज़ ने ही लिखा है, लेकिन पिछले दो गीतों की तरह शायद यह गीत आपके दिल में बहुत ज़्यादा जगह ना बना सके। पर हो सकता है कि फ़िल्म में कहानी के अनुरूप यह गीत होगा और उसे परदे पर देखते हुए इसका अलग ही मज़ा आएगा।

सुजॊय - वैसे सजीव, कई बार अगर इस गीत को सुनें तो अच्छा ज़रूर लगने लगता है। आइए इस गीत को सुनते हैं और इस गीत के बारे में राय हम श्रोताओं पर ही छोड़ते हैं।

गीत: तुम भी हो वही


सजीव - फ़िल्म 'जुली' में प्रीति सागर ने गाया था "माइ हार्ट इज़ बीटिंग्", जो कि एक पूर्णत: अंग्रेज़ी गीत था। राजेश रोशन द्वारा स्वरबद्ध यह गीत कालजयी हो गया है। अब फ़िल्म 'काइट्स' के लिए भी उन्होने एक अंग्रेज़ी गीत कॊम्पोज़ किया है, जो कि इस फ़िल्म का शीर्षक गीत भी है - "काइट्स इन द स्काई"। इस गीत में एक अंतर्राष्ट्रीय अपील है और संगीत संयोजन भी बिल्कुल उसी अंदाज़ का है जो अंदाज़ आजकल विदेशी ऐल्बम्स के गीतों में सुनाई देता है।

सुजॊय - और उससे भी बड़ी बात यह कि इस गीत को और कोई नहीं बल्कि ऋतिक रोशन ने गाया है और यह उनका पहला गीत है। और मानना पड़ेगा कि उन्होने बहुत ही अच्छे गायन का परिचय दिया है। और क्यों ना दें, वो हैं ही परफ़ेक्शनिस्ट। जो भी काम वो करते हैं, पूरे परफ़ेक्शन के साथ करते हैं।

सजीव - इस गीत में ऋतिक का साथ दिया है सुज़ेन डी'मेलो ने। इस गीत को लिखा है आसिफ़ अली बेग ने। सुनते हैं।

गीत: काइट्स इन द स्काई


सुजॊय - ऋतिक रोशन की फ़िल्म हो और उसमें उनकी ज़बरदस्त नृत्यकला का परिचय ना मिले यह कैसे हो सकता है! फ़िल्म 'कोई मिल गया' में "इट्स मैजिक" की तरह 'काइट्स' में भी राजेश रोशन ने अपने भतीजे साहब के लिए एक ऐसा ज़बरदस्त गीत रचा है जिसका शीर्षक है "फ़ायर"। यानी कि अंग्रेज़ी में कहें तो Hrithik is gonna set the stage on fire!!!

सजीव - और इस गीत को राजेश रोशन ने ख़ुद गाया भी है और उनका साथ दिया है विशाल दादलानी, अनुश्का मनचंदा और अनिरुद्ध भोला ने। गीत में बोल बहुत ही कम है, डान्स म्युज़िक ही हावी है और पूरी तरह से टेक्नो म्युज़िक है।

सुजॉय- इसे फिल्म का थीम संगीत भी कहा जा सकता है, "दिल तो पागल है" फिल्म में जिस तरह संगीत से और नृत्य से "जलन" की भावना को परदे पर साकार किया गया था, इस ट्रैक में "फायर" को परिभाषित किया गया है. संगीत आपके जेहन को रचनात्मक बनाता है, वेल डन राजेश रोशन साहब

गीत: फ़ायर


"काईट्स" के संगीत को आवाज़ रेटिंग ****
बहुत ही अगल किस्म का संगीत है जिसे सफर में या फिर रात अँधेरे कमरे में अकेले बैठ कर सुना जा सकता है. रोमांटिक गीतों में जैसे के के ने जाँ फूंक दी है. ऋतिक की आवाज़ में एक गीत है जो खूब भाता है. राजेश रोशन ने आज के दौर के संगीत में मेलोडी का सुन्दर मिश्रण किया है. एक अच्छी एल्बम.

और अब आज के ३ सवाल

TST ट्रिविया # ४३- जोश', 'हेल्लो ब्रदर' और 'काइट्स' फ़िल्म को आप किस तरह से आपस में जोड़ सकते हैं?

TST ट्रिविया # ४४-राजेश रोशन ने 'काइट्स' के एक गीत में अपनी आवाज़ दी है। उनकी आवाज़ में क्या आपको कोई और गीत भी याद आता है? बताइए फ़िल्म का नाम और गीत के बोल।

TST ट्रिविया # ४५- बताइए उस फ़िल्म का नाम जिसमें हृतिक रोशन ने पहली बार काम किया था बतौर बाल कलाकार।


TST ट्रिविया में अब तक -
सीमा जी सभी जवाब सही हैं, बधाई

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