दोस्तों आज टी एस टी मैं आप मुझे देखकर हैरान हो रहे होंगें, दरअसल सुजॉय छुट्टी पर हैं, और मैंने वी डी को पटा कर ये मौका ढूंढ लिया कि मैं आपको उस अल्बम के संगीत के बारे में बता सकूँ जिसने मेरे दिलो जेहन पर इन दिनों जादू सा कर दिया है.

बरसते पानी की आवाज़ और पार्श्व से आ रहे कुछ संवादों से अल्बम की शुरूआत होती है. ये है फिल्म का शीर्षक गीत, के के की डूबी और डुबो देने वाली आवाज़ में “इसमें तेरी बाहों में मर जाऊं...” सुनकर वाकई मर जाने का जी करता है....सचमुच किसी गीत में इतनी मासूम गुज़ारिश, शब्द जैसे भेद जाते हैं गहरे तक...और के के .....मेरे ख्याल से वो इस कालजयी गीत के लिए एक अदद राष्ट्रीय सम्मान का हक तो रखते ही हैं. वोइलिन के स्वरों में इतना दर्द बहुत अरसे बाद सुनाई दिया है.....ऐ एम् तुराज़ की बतौर गीतकार ये शायद पहली फिल्म होगी, मगर उनका आगाज़ बहुत ही शानदार है. इस पहले गीत से ही संजय अपने साथ सुनने वालों को जोड़ लेते हैं.
गीत - गुज़ारिश
“सौ ग्राम जिंदगी” जब शुरू होता है तो “यादें” (सुभाष घई कृत) का शीर्षक गीत याद आता है जो हरिहरन ने गाया था...नगमें हैं किस्से हैं....पर अंतरे तक आते आते कुणाल गांजावाला इस गीत को अपने नायाब गायन से एक अलग ही मुकाम पर ले जाते हैं....शब्द सुनिए – देर तक उबाली है, प्याली में डाली है, कड़वी है नसीब सी, ये कॉफी गाढ़ी काली है...चमच्च भर चीनी हो बस इतनी सी मर्जी है.....वाह....यहाँ गीतकार हैं विभु पूरी, एक और नयी खोज जो निश्चित ही बधाई के हकदार हैं. संगीत संयोजन यहाँ भी जबरदस्त है. कम से कम वाध्य हैं पर जो हैं उनको संजय ने बहुत ही “संभाल के खर्चा” है. LIFE IS GOOD....सुनिए...
गीत - सौ ग्राम ज़िंदगी
तीसरा गीत “तेरा जिक्र” तो जैसे पूरी तरह से एक कविता (गीतकार तरुज़) है, जिसमें हल्का सा सूफी अंदाज़ भी पिरोया गया है, शैल के साथ राकेश पंडित ने दिया है सूफी स्टाईल में. “तेरा जिक्र है या इत्र है, जब जब करता हूँ महकता हूँ....”. अलग अंदाज़ का गीत है और एक दो बार सुनते ही नशे की तरह सर चढ जाता है. चौथा गीत “सायबा” गोवा के किसी क्लब में ले चलेगा आपको, वैभवी जोशी ने गहरे भाव से इसे गाया है, संगीत संयोजन और शब्द यहाँ भी उत्कृष्ट है (तारुज़). फ्रांसिस कास्तिलेनो और शैल ने कोरस की भूमिका निभायी है यहाँ, जो गीत को और रंग भरा बनाता है. अल्बम के अधिकतर गीतों की तरह ये गीत भी एक अंतरे का है, संजय ने इस तरह के छोटे छोटे गीतों का प्रयोग ख़ामोशी, HDDCS, और देवदास में भी किये हैं.
गीत - तेरा ज़िक्र
गीत - सायबा
“जागती आँखों में भी अब कोई सोता है....जब कोई नहीं होता, तब कोई होता है...” के के की आवाज़ में इतनी गहराई है कि ऑंखें बंद करके सुनो तो मन उड़ने लगता है, ये भी एक छोटा सा मगर सुंदर सा गीत है. छटा गीत “उडी” एक अलग ही कलेवर का है, और अल्बम के बहतरीन गीतों में से एक है, सुनिधि चौहान की मदमस्त आवाज़ और गोवा के लोक रंग का तडका, यक़ीनन “उडी” आपको लंबे समय तक याद रहेगा...
गीत - जाने किसके ख्वाब
गीत - उड़ी
“कह न सकूँ मैं इतना प्यार” में शैल एक बार फिर सुनाई देते हैं. पियानो की स्वरलहरियों में प्रेम की बेबसी कहीं कहीं देवदास के “वो चाँद जैसी लड़की” की याद दिला जाती है. अच्छा गाया है. दिल से गाया है मन को छूता है. अगला गीत हर्षदीप कौर की आवाज़ में हैं, रियल्टी शोस से निकली इस लड़की की आवाज़ में गहराई है, यहाँ भी शब्द बहुत खूबसूरत है, कहीं कहीं गुलज़ार साहब याद आ जाते हैं – चाँद की कटोरी है, रात ये चटोरी है....वाह...”रिश्ते झीने मलमल के”, “मोहब्बत का स्वटर”, “हाथ का छाता” जैसे शब्द युग्म वाकई सिहरन सी उठा जाते है. गीतकार विभु पूरी को बधाई. सेक्सोफोन का एक पीस है इंटरल्यूड में, सुनिए क्या खूब है. एक और शानदार गीत.
गीत - कह न सकूँ
गीत - चाँद की कटोरी
“दायें बाएं” में एक बार फिर के के को सुनकर सकून मिलता है, यहाँ गीटार है पार्श्व में, मधुर रोमांस की तरंगें, जहाँ दर्द भी सोया सोया है, उभरता है मगर जैसे चाहत उसे फिर सुला देती हो....प्यार के सुरीले अहसास को मधुरता से सहलाता है ये गीत. “धुंधुली धुंधली शाम” अंतिम गीत है....पंछियों के स्वर, झील का किनारा....डूबती शाम, एक पूरा चित्र आँखों के सामने उभर आता है.....”तुम्हारे बाद हमारा हाल कुछ ऐसा है..कि जैसे साज़ के सारे तार टूट जाते हैं....” मुझे न जाने क्यों रबिन्द्र नाथ टैगोर याद आ गए. शंकर महादेवन ने संभाला है यहाँ माईक.....बहरहाल...
गीत - दाएँ बाएँ
गीत - धुंधली धुंधली
"गुज़ारिश" मेरी राय में इस वर्ष की सबसे बढ़िया अल्बम है....शायद “ओमकारा” के बाद ये पहली अल्बम है जिसने मुझे वो “सम्पूर्ण संतुष्टी” दी है. (“मैं” शब्द इसलिए इस्तेमाल कर रहा हूँ क्योंकि मैं नहीं जानता कि आप मेरी इस राय से सहमत होंगे या नहीं) वैसे तो टी एस टी के वाहक तन्हा जी और सुजॉय जी ने रेटिंग बंद करवा दी है है पर फिर भी मैं इस अल्बम को ५/५ की रेटिंग देना चाहूँगा.....आप सब भी सुनिए और बताईये कि आपको कैसे लगे “गुज़ारिश” के गीत.
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
5 श्रोताओं का कहना है :
सजीव बेटा
आशीर्वाद
नए गीत पुराने गीतों से बहुत निराले है
आज के युवा पीड़ी पसंद बहुत करेगी
धन्यवाद
मुझे तो यह एलबम बिलकुल पसंद नहीं आया. सारे के सारे गीत एक खास मूड के उदासी भरे लगते हैं, और एकरसता से भरे हुए हैं. किसी भी गीत को दोबारा सुनने की इच्छा ही नहीं हुई. ये किसी खास एलबम के लिए तो ठीक हो सकते हैं, मगर किसी हिन्दी फ़िल्म के लिहाज से ठीक नहीं जहाँ एक एलबम में 1-2 सेड सांग, 3-4 मस्ती और धूमधड़ाके वाले सांग, और 1-2 आइटम सांग जरूरी हैं. ये सारे गाने गुजारिश फ़िल्म के थीम के लिहाज से लिखे गए हैं, इसलिए, ये गाने अलग से चल पाएंगे इसमें संदेह है. सिनेमा के गीत-संगीत को पॉपुलर भी होना चाहिए. विशिष्ट बोल अथवा संगीत के बल पर सिनेमाई संगीत नहीं चलता. - पर मेरा ये व्यक्तिगत आकलन है जो पूरा फेल भी हो सकता है!
रवि जी सही है ये गीत आपको एक बार में कभी अच्छे नहीं लगेंगें, पर थोडा समय दीजिए, एक बार ये आपके दिल में बस गए तो फिर कभी नहीं निकलेंगें, ये मेरा दावा है.
अरे इन सबको बाद में सुनूंगी.सुजॉय! तुम्हारे चरण कहाँ है? नही...नही..बता ही दो. बड़ी भारी भूल हो गई बाबु! माफ कर दो.कान पकड़ रखे हैं मैंने.देख लो सच्ची.एक हाथ से टाइप कर रही हूँ. १५ अक्टूबर को तुम्हारा जन्मदिन था. पाबला भैया के ब्लॉग पर जस्ट देखा है.सो.....माफ कर दो और देर से ही सही मेरी ओर से जन्मदिन की शुभकामनाये स्वीकार कर लो प्लीज़.यूँ भी पांच दिन का बच्चा ज्यादा चुन चुन नही कर सकता तो आओ तुम्हे गले लगा कर प्यार करू एक प्यारी सी पप्पी तुम्हारे माथे पर.
लम्बी उम्र हो और जीवन में खूब उन्नति करो.अच्छे बेटे बनो,पति भी ,पिता भी और संगीत प्रेमी तो हो ही इस अलख को जगाये रखना.
प्यार
ऐसिच है तुम्हारी इंदु दी ...सॉरी सॉरी....सॉरी
Thanks for the wonderful music review. Liked all the songs in the album a lot !
- Kuhoo
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)