रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, April 11, 2008

रंजना भाटिया, निखिल आनंद गिरि, सुनीता 'शानू', मनीष वंदेमातरम्, शैलेश भारतवासी की बातें और काव्य-पाठ



हिन्द-युग्म की टीम विश्व पुस्तक मेला २००८ से मधुरतम समय निकाले तो शायद अभिनव शुक्ल से जुड़ी बातें उनमें से एक होंगी। मेले के पहले ही दिन से उनका स्टैंड पर आना, हिन्द-युग्म के वाहकों से इनके हाल-चाल लेना, नाश्ते-पानी का प्रबंध करके जाना आदि भावविभोर कर देते थे। कई कार्यकर्ता तो इसलिए हैरान थे कि उन्हें यह ही नहीं पता चल पाता था कि भला ये महानुभाव कौन हैं? अभिनव शुक्ल जी इतनी आत्मीयता से मिलते थे कि किसी की भी यह पूछने की हिम्मत नहीं होती थी कि भाईसाहब आपका नाम क्या है? अभिनव जी बहुत कम ही समय के लिए हिन्द-युग्म के स्टैंड पर आते थे मगर पूरे माहौल को खुशनुमा कर जाते थे।

मेले के समापन से एक दिन पहले स्टैंड को बंद करने के वक़्त इन्होंने वहाँ उपस्थित सभी साथियों का इंटरव्यू लिया और काव्य-पाठ रिकार्ड किया ताकि रेडियो सलाम नमस्ते के श्रोताओं को सुनवाया जा सके।

आप भी सुनिए रंजना भाटिया 'रंजू', निखिल आनंद गिरि, सुनीता 'शानू' और मनीष वंदेमातरम् की बातें और काव्यपाठ-

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अभिनव जी ने शैलेश भारतवासी के भी विचार जानें। पूरी बातचीत सुनें। यह मेरेकविमित्र से हिन्द-युग्म होने की कहानी है।

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(Interview of Ranjana Bhatia 'Ranju', Nikhil Anand Giri, Sunita Chotia 'Shanoo', Manish Vandemataram and Shailesh Bharatwasi for Radio Salaam Namaste)

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5 श्रोताओं का कहना है :

mamta का कहना है कि -

आवाज साफ नही है। कुछ खड़-खड़ा रही है।

अल्पना वर्मा का कहना है कि -

सभी साक्षात्कार सुने .बहुत आनंद आया.
सच कहूँ तो मुझे ख़ुद नहीं पता था कि मुख्य रूप से हिंद युग्म की आधार शिला रखने वाला कौन है.आज इस interview के जरिये यह मुझे और औरों को भी पता चल गया होगा.
हिंद युग्म का सफर यहाँ तक आसान नहीं था यह तो मालूम चल ही गया.साडी बात सुन कर यह समझ में आता है कि शैलेश जी की दूरदर्शिता और अच्छी managing abilities का ही कमाल है कि आज हिंद युग्म का नाम है.
हिंद युग्म के सभी वाहकों को भी बहुत बहुत बधाई कि उनकी सफलता की कहानी आज सीमाओं में बंधी नहीं है.
हिंद युग्म को शुभकामनाएं और इस प्रस्तुति को सुनाने के लिए धन्यवाद.
अभिनव शुक्ल जी को भी बहुत धन्यवाद.

POOJA ANIL का कहना है कि -

सभी कवि मित्रों की कविताएँ भी सुनी और शैलेश जी से की गई बात चीत भी , सभी की कविताएँ सुनकर अच्छा लगा . शैलेश जी की कहानी बहुत प्रोत्साहित करने वाली है ,"जहाँ चाह ,वहाँ राह ", को सच साबित करती हुई और यह जो राह चुनी गयी है वो किसी एक के लिए नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश और भाषा को सम्मान दिलाने के लिए है , ऐसे विशाल उद्देश्य के लिए ढेरों शुभकामनाएँ

^^पूजा अनिल

seema sachdeva का कहना है कि -

Hindyugm par itane saare kavi-mitro ki baatcheet sun kar bahut achcha laga ....seema sachdev

शोभा का कहना है कि -

पूरा ही विवरण अच्छा लगा किन्तु सबसे अच्छी कविता लगी निखिल की। हिन्द युग्म को इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई।

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