रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Tuesday, November 4, 2008

एक मुलाकात कवयित्री, गायिका और चित्रकार सुनीता यादव से



हिंद युग्म ने जिस उद्देश्य से बाल-उद्यान मंच की शुरूआत की थी, वो था बच्चों को सीधे तौर पर इस हिन्दी इंटरनेटिया आयाम से जोड़ने की। आज हम अगर इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल हो पाये हैं तो उसका एक बड़ा श्रेय जाता है हमारे सबसे सक्रिय और समर्पित कार्यकर्ताओं में से एक सुनीता यादव को। महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा, पुणे द्वारा आदर्श शिक्षक पुरस्कार (२००४) और जॉर्ज फेर्नादिज़ पुरस्कार (२००६) से सम्मानित सुनीता ने और भी बहुत सी उपलब्धियाँ हासिल की है जैसे केंद्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा आयोजित हिन्दी नव लेखक शिविरों में कविता पाठ, आकाशवाणी औरंगाबाद से भी कविताओं का प्रसारण, परिचर्चायों में भागीदारी, गायन में अनेक पुरस्कारों से पुरस्कृत, २००५ में कत्थक नृत्यांगना कु.पार्वती दत्ता द्वारा आयोजित विश्व नृत्य दिवस कार्यक्रम का संचालन आदि। अभी पिछले महीने की आकाशवाणी औरंगाबाद के हिन्दी कार्यक्रम में सुनीता यादव का काव्य-पाठ प्रसारित हुआ, जिसे सुनीता ने बहुत ही अलग ढंग से पेश किया। हमें इस कार्यक्रम की रिकॉर्डिंग प्राप्त हुई है, आपको भी सुनवाते हैं-



उर्जा से भरपूर सुनीता यादव हैं - हमारी सप्ताह की फीचर्ड आर्टिस्ट, जिनसे हमने की एक खास मुलाकात। पेश है उसी बातचीत के कुछ अंश -


हिंद युग्म - लेखन, गायन, संगीत कला, चित्र कला, तैराकी, आपके तो इतने सारे रचनात्मक रूप हैं, कैसे समय निकाल पाती है सबके लिए ?

सुनीता यादव - जीवन के सभी क्षेत्रों में विचारों, भावनाओं तथा कर्मों की रचना से जुडी आदतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छोटे-बड़े सभी कार्य एकाग्रता तथा व्यवस्थित रूप से किए जाने पर ही मनुष्य में निपुणता और सहज भाव से सब कुछ करने की क्षमता आती है। जिस तरह एक साइकिल चलानेवाला साइकिल चलाते-चलाते मित्रों से बातें कर सकता है, अपने चारों तरफ़ की सुरम्य दृश्यावली का आनंद उठा सकता है और बिना भय, उलझन या चिंता के अन्य वाहनों तथा पैदल चलनेवालों को बचाते हुए निकल जाता है :-) रुकने की जरूरत हो तो स्वत: ही ब्रेक लग जाते हैं ..

हिंद युग्म- ओडिसा, हैदराबाद,असम और अब औरंगाबाद इन सब मुक्तलिफ़ भाषा व संस्कारों वाले क्षेत्रों में रहने का अनुभव कैसा रहा और इस यायावरी ने आपकी रचनात्मकता को कितना समृद्ध किया ?

सुनीता यादव - ये मेरा सौभाग्य है कि भारत के विभिन्न राज्यों में रहने का आनंद मिला। इन प्रदेशों की भाषा, सामाजिक जीवन तथा संस्कृति से परिचित होने का सुअवसर मिला। मुसाफिरी व यायावरी ने मुझे बहुभाषी बना दिया। रही बात रचनात्मकता की मैं बहुत ही साधारण हूँ। जी हाँ मेरी उपलब्धियां सामान्य हैं, ये बड़ी बात है कि हिंद युग्म ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।

हिंद युग्म - एक अध्यापिका होने का कितना फायदा मिलता है ?

सुनीता यादव - बहुत फायदा होता है ...मेरी बुद्धि बहुत सामान्य है. मुझे तो विद्यार्थियों से ही बहुत सारी बातें सीखने को मिलती है :-) मेरी इच्छा है कि जिस प्रकार पदार्थों को ऊर्जा में बदलने के लिए विशेष विधिओं की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मैं उनमें आत्म विश्वास, साहस व बौद्धिक जिज्ञासा भर दूँ ...ताकि वे जीवन में किसी भी क्षण में अपने आप को छोटा न समझें।

बाल-उद्यान के लिए कुछ आयोजन
  1. ऐ शहीदे मुल्को-बाल-कवि सम्मेलन

  2. स्मृति-लेखन तथा चित्रकला प्रदर्शनी

  3. कोचिंग संस्थान में स्मृति प्रतियोगिता

  4. अनाथालय में चित्रकला प्रतियोगिता


हिंद युग्म -हिंद युग्म परिवार में आपके लिए मशहूर है कि आप एक multi dimensional artist हैं, जो कला की हर विधा में निपुण हैं, कैसा रहा युग्म में अब तक का आपका सफर ?

सुनीता यादव - बहुत ही बढिया सफर रहा है। शुरू से विद्यालयीन स्तर पर इन गतिविधिओं से जुडी तो थी पर हिंद युग्म से जुड़ने के बाद यह समझ में आया कि अपने को उन्नत करनेवाले गुणों का विकास सम्भव है :-) प्रथम प्रयास की सफलता ही बाद के प्रयासों के लिए टॉनिक का कार्य करती है, है न ? चाहे जो भी हो हिंद-युग्म से जुड़ने के बाद उसकी रचनात्मक और कला क्षेत्र की सीमा विस्तृत हो जाती है। 'पहला सुर' महज एक प्रयास ही नहीं सारे भारत के संगीत प्रेमियों के लिए एक दिग्दर्शन भी है।

हिंद युग्म - इतना सब कुछ करने के बाद भी आप एक पत्नी हैं, माँ हैं. परिवार का सहयोग किस हद तक मिलता है, क्या कभी आपकी व्यस्तता को लेकर आपके पति या बिटिया ने असहजता जताई है ?

तेरे कितने रूप!
सुनीता यादव - पति और बेटी की तो बात बाद में आती है ...मैं पहले अपनी मम्मी जी की बात कह दूँ ? कोई अपनी बहू का साथ इतना नहीं देती होगी जितनी वे देती हैं। स्कूल की शिक्षिकाएँ हों, राष्ट्रभाषा के सदस्य हों या मेरे मित्र हों सभी के साथ उनका व्यवहार बहुत ही आत्मीय है। मेरे पति के बारे में क्या कहूँ सहृदय को धन्यवाद की आवश्यकता या प्रशंसा के शब्दों का प्रयोजन नहीं होता .. अंधेरे में फूलों का सुगंध भी प्रकाश का कार्य कर सकती है वे तो मुझे...शिला पर स्थिर बैठ कर जलधारा के वेग का सामना करते हुए बहते हुओं को बचाने की प्रेरणा देते हैं ... और मेरी बिटिया ने हिंद-युग्म के सारे गतिविधियों में मेरा साथ दिया...हम दोनों ही थे जब गरमी की छुट्टियों में भिन्न-भिन्न संस्थाओं में जाकर २५० विद्यार्थियों के लिए प्रतियोगिताओं का आयोजन किए थे. मुझे इस बात का गर्व भी है कि वह self-made है...बाल दिवस के अवसर पर आप उसकी प्रतिभा से परिचित होंगे .

हिंद युग्म - आप युग्म पर बहुतों के लिए प्रेरणा हैं, आपकी प्रेरणा कौन है ?

सुनीता यादव - मेरे लिए मेरे प्रेरणा स्रोत रहे मेरे माता-पिता. महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के मेरे गुरुजन। वे सारे प्रिय जन जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने में दिशा प्रदान की। पिताजी की कर्मठता मुझमें रच-बस जाए तो अपने-आप को धन्य समझूंगी। अपने जीवन में सबसे महीयसी महिला मैं श्रीमती अनीता सिद्धये को मानती हूँ जिनकी प्रेरणा ही मेरे एक मात्र संबल हैं। आतंरिक गुणों का विकास कैसे किया जाय ये कोई उनसे सीखे.

हिंद युग्म - बच्चों के लिए बाल-उद्यान के माध्यम से आपका योगदान अमूल्य रहा है, आने वाले बाल-दिवस के लिए क्या योजनायें हैं?

सुनीता यादव - बाल- दिवस आने तो दीजिए :-)

हिंद युग्म - बहुत से पुरस्कार और सम्मान आपने पाये....पर वो कौन सा सम्मान है जो सुनीता यादव को सबसे अधिक प्रिय है, या जिसे पाने की तमन्ना है ?

सुनीता यादव - महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ने जिन पुरस्कारों से सम्मानित किया उसके लिए मैं अत्यन्त आभारी हूँ. सभी के कल्याणार्थ साधारण-सा कार्य भी कर सकूँ यही मेरा लक्ष्य है ..बाकी.. सेवा, प्रसिद्धि या प्रशंसा नहीं चाहती .

सुनीता जी आप इसी उर्जा और लगन से काम करती रहें और जीवन के हर मुकाम पर सफलता आपके कदम चूमें, हम सब की यही कामना है.


सुनीता यादव ने हिन्द-युग्म के पहले इंटरनेटीय एल्बम 'पहला सुर' के एक गीत 'तू है दिल के पास' को स्वरबद्ध भी किया था (साथ में गीत के बोल भी सुनीता ही ने लिखे थे और गाया भी इन्होंने ही था)। साथ-साथ यह गीत दुबारा सुन लें-


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7 श्रोताओं का कहना है :

सजीव सारथी का कहना है कि -

sunita is one of the most wonderful women i know, very talented and exremely gifted....keep it up

neelam का कहना है कि -

सुनीता जी ,
आप ने हमे उत्साहित और प्रोत्स्साहित भी किया है ,अद्भुत हैं आप और क्या कहें ,जो उन मासूमों की आँखों के सपनों को जो हमारे सामने प्रस्तुत किया है ,भाव बिभोर करता है |
अनाथालय के बच्चों के लिए कुछ कहना चाहूंगी
फूल ,फूल का फर्क होता है ,
एक माली निगराँ होता है
एक निगाहों को तरसता है
ईश्वर आपको ऐसी ही उर्जावान बनाए रखे ,आप से सभी प्रेरणा ले ,इसी दुआ के साथ

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

मैंने तो हमेशा से आपसे काम करने की प्रेरणा ली है। आप हैं तो सारा काम आसान हो जायेगा। फक्र है आपपर

rachana का कहना है कि -

सुनीता जी
आप के बारे में जान के मन आनन्द से भर गया आप को नमन .एक बात और आप की फोटो में आप की मुस्कान आप के व्यक्तित्व का आइना है मासूम और मजबूत आप आज और भी आपनी लगी
सादर
रचना

Anonymous का कहना है कि -

Sunita Is Emotionally Intelligent, I have obsereved her spark in 2002 while she was Student of Music. keep it up good to know ur progress.

Aaditya Patait

musafir का कहना है कि -

Surprising n happy to see her on the net after a very long time. She was n she is like a river that flows with force, washes away whatever comes on the way. Best of luck....
adultmoney04@gmail.com

सुरेश यादव का कहना है कि -

सुनीता जी ,आप बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहीं हैं .आप को मेरी हार्दिक बधाई..हिंद युग्म को बहुत बहुत बधाई.

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