उर्जा से भरपूर सुनीता यादव हैं - हमारी सप्ताह की फीचर्ड आर्टिस्ट, जिनसे हमने की एक खास मुलाकात। पेश है उसी बातचीत के कुछ अंश -
हिंद युग्म - लेखन, गायन, संगीत कला, चित्र कला, तैराकी, आपके तो इतने सारे रचनात्मक रूप हैं, कैसे समय निकाल पाती है सबके लिए ?
सुनीता यादव - जीवन के सभी क्षेत्रों में विचारों, भावनाओं तथा कर्मों की रचना से जुडी आदतों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। छोटे-बड़े सभी कार्य एकाग्रता तथा व्यवस्थित रूप से किए जाने पर ही मनुष्य में निपुणता और सहज भाव से सब कुछ करने की क्षमता आती है। जिस तरह एक साइकिल चलानेवाला साइकिल चलाते-चलाते मित्रों से बातें कर सकता है, अपने चारों तरफ़ की सुरम्य दृश्यावली का आनंद उठा सकता है और बिना भय, उलझन या चिंता के अन्य वाहनों तथा पैदल चलनेवालों को बचाते हुए निकल जाता है :-) रुकने की जरूरत हो तो स्वत: ही ब्रेक लग जाते हैं ..
हिंद युग्म- ओडिसा, हैदराबाद,असम और अब औरंगाबाद इन सब मुक्तलिफ़ भाषा व संस्कारों वाले क्षेत्रों में रहने का अनुभव कैसा रहा और इस यायावरी ने आपकी रचनात्मकता को कितना समृद्ध किया ?
सुनीता यादव - ये मेरा सौभाग्य है कि भारत के विभिन्न राज्यों में रहने का आनंद मिला। इन प्रदेशों की भाषा, सामाजिक जीवन तथा संस्कृति से परिचित होने का सुअवसर मिला। मुसाफिरी व यायावरी ने मुझे बहुभाषी बना दिया। रही बात रचनात्मकता की मैं बहुत ही साधारण हूँ। जी हाँ मेरी उपलब्धियां सामान्य हैं, ये बड़ी बात है कि हिंद युग्म ने मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
हिंद युग्म - एक अध्यापिका होने का कितना फायदा मिलता है ?
सुनीता यादव - बहुत फायदा होता है ...मेरी बुद्धि बहुत सामान्य है. मुझे तो विद्यार्थियों से ही बहुत सारी बातें सीखने को मिलती है :-) मेरी इच्छा है कि जिस प्रकार पदार्थों को ऊर्जा में बदलने के लिए विशेष विधिओं की आवश्यकता होती है उसी प्रकार मैं उनमें आत्म विश्वास, साहस व बौद्धिक जिज्ञासा भर दूँ ...ताकि वे जीवन में किसी भी क्षण में अपने आप को छोटा न समझें।
बाल-उद्यान के लिए कुछ आयोजन
हिंद युग्म -हिंद युग्म परिवार में आपके लिए मशहूर है कि आप एक multi dimensional artist हैं, जो कला की हर विधा में निपुण हैं, कैसा रहा युग्म में अब तक का आपका सफर ?
सुनीता यादव - बहुत ही बढिया सफर रहा है। शुरू से विद्यालयीन स्तर पर इन गतिविधिओं से जुडी तो थी पर हिंद युग्म से जुड़ने के बाद यह समझ में आया कि अपने को उन्नत करनेवाले गुणों का विकास सम्भव है :-) प्रथम प्रयास की सफलता ही बाद के प्रयासों के लिए टॉनिक का कार्य करती है, है न ? चाहे जो भी हो हिंद-युग्म से जुड़ने के बाद उसकी रचनात्मक और कला क्षेत्र की सीमा विस्तृत हो जाती है। 'पहला सुर' महज एक प्रयास ही नहीं सारे भारत के संगीत प्रेमियों के लिए एक दिग्दर्शन भी है।
हिंद युग्म - इतना सब कुछ करने के बाद भी आप एक पत्नी हैं, माँ हैं. परिवार का सहयोग किस हद तक मिलता है, क्या कभी आपकी व्यस्तता को लेकर आपके पति या बिटिया ने असहजता जताई है ?
तेरे कितने रूप! |
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हिंद युग्म - आप युग्म पर बहुतों के लिए प्रेरणा हैं, आपकी प्रेरणा कौन है ?
सुनीता यादव - मेरे लिए मेरे प्रेरणा स्रोत रहे मेरे माता-पिता. महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा के मेरे गुरुजन। वे सारे प्रिय जन जिन्होंने मुझे आगे बढ़ने में दिशा प्रदान की। पिताजी की कर्मठता मुझमें रच-बस जाए तो अपने-आप को धन्य समझूंगी। अपने जीवन में सबसे महीयसी महिला मैं श्रीमती अनीता सिद्धये को मानती हूँ जिनकी प्रेरणा ही मेरे एक मात्र संबल हैं। आतंरिक गुणों का विकास कैसे किया जाय ये कोई उनसे सीखे.
हिंद युग्म - बच्चों के लिए बाल-उद्यान के माध्यम से आपका योगदान अमूल्य रहा है, आने वाले बाल-दिवस के लिए क्या योजनायें हैं?
सुनीता यादव - बाल- दिवस आने तो दीजिए :-)
हिंद युग्म - बहुत से पुरस्कार और सम्मान आपने पाये....पर वो कौन सा सम्मान है जो सुनीता यादव को सबसे अधिक प्रिय है, या जिसे पाने की तमन्ना है ?
सुनीता यादव - महाराष्ट्र राष्ट्रभाषा सभा ने जिन पुरस्कारों से सम्मानित किया उसके लिए मैं अत्यन्त आभारी हूँ. सभी के कल्याणार्थ साधारण-सा कार्य भी कर सकूँ यही मेरा लक्ष्य है ..बाकी.. सेवा, प्रसिद्धि या प्रशंसा नहीं चाहती .
सुनीता जी आप इसी उर्जा और लगन से काम करती रहें और जीवन के हर मुकाम पर सफलता आपके कदम चूमें, हम सब की यही कामना है.
सुनीता यादव ने हिन्द-युग्म के पहले इंटरनेटीय एल्बम 'पहला सुर' के एक गीत 'तू है दिल के पास' को स्वरबद्ध भी किया था (साथ में गीत के बोल भी सुनीता ही ने लिखे थे और गाया भी इन्होंने ही था)। साथ-साथ यह गीत दुबारा सुन लें-
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7 श्रोताओं का कहना है :
sunita is one of the most wonderful women i know, very talented and exremely gifted....keep it up
सुनीता जी ,
आप ने हमे उत्साहित और प्रोत्स्साहित भी किया है ,अद्भुत हैं आप और क्या कहें ,जो उन मासूमों की आँखों के सपनों को जो हमारे सामने प्रस्तुत किया है ,भाव बिभोर करता है |
अनाथालय के बच्चों के लिए कुछ कहना चाहूंगी
फूल ,फूल का फर्क होता है ,
एक माली निगराँ होता है
एक निगाहों को तरसता है
ईश्वर आपको ऐसी ही उर्जावान बनाए रखे ,आप से सभी प्रेरणा ले ,इसी दुआ के साथ
मैंने तो हमेशा से आपसे काम करने की प्रेरणा ली है। आप हैं तो सारा काम आसान हो जायेगा। फक्र है आपपर
सुनीता जी
आप के बारे में जान के मन आनन्द से भर गया आप को नमन .एक बात और आप की फोटो में आप की मुस्कान आप के व्यक्तित्व का आइना है मासूम और मजबूत आप आज और भी आपनी लगी
सादर
रचना
Sunita Is Emotionally Intelligent, I have obsereved her spark in 2002 while she was Student of Music. keep it up good to know ur progress.
Aaditya Patait
Surprising n happy to see her on the net after a very long time. She was n she is like a river that flows with force, washes away whatever comes on the way. Best of luck....
adultmoney04@gmail.com
सुनीता जी ,आप बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रहीं हैं .आप को मेरी हार्दिक बधाई..हिंद युग्म को बहुत बहुत बधाई.
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