रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Thursday, November 6, 2008

दिल को बहलाना है, इस तरह या उस तरह...



इश्क हो या दुनिया की चाहत, अक्सर वो नसीब नही होता जिसको पाने की आरजू होती है. जिंदगी चलती रहती है, बहती रहती है. पर कहीं न कहीं दिल के किसी कोने में एक खला बनी रहती है. कहीं कुछ रहता है जो कचोटता है तन्हाईयों में. कुछ कमरे ऐसे भी होते हैं जहनो दिल में जो किसी के जाने के बाद भी हमेशा खाली रहते हैं, उन्हें कोई भर नही पाता. कुछ ऐसे ही जज़्बात लिए है इस शुक्रवार का ये नया गीत. जिसके रचनाकार, संगीतकार और गायक हैं सुदीप यशराज. नए सत्र में उनका ये दूसरा गीत है, तो सुनतें हैं सुदीप की आवाज़ में "उड़ता परिंदा". अपनी राय देकर इस उभरते हुए बेहद प्रतिभाशाली संगीतकार गायक का मार्गदर्शन अवश्य करें -

गीत को सुनने के लिए नीचे के प्लयेर पर क्लिक करें -




After his first song "beintehaa pyar" Sudeep Yashraj is here again in this new season with a brand new song "udta parinda". Penned and composed by Sudeep himself, this song has a retro feel to it which come across with his unique style of singing. So guys, lets enjoy this brand new song and let us know what you feel about it.

To listen to the song please click on the player below -



गीत के बोल - Lyrics

उड़ता परिंदा, उड़ते उड़ते थक के कहीं सो जाएगा,
शायद वो बैचैन हो गई, ख़त को कौन पहुँचायेगा...

हमने खायी है कसम
भूलेंगे न हम तेरा नाम
आके ही सुनायेंगें,
दिल की हर एक दास्तां,
देख के तुमको रंग बदलता क्यों है,
काला सा बादल, रंगों में ढलता क्यों है,
कोई और नही, ये मैं हूँ सनम,
छूने को तुझे लिया बूँदों का जनम,
बूँदें ही सजायेंगीं मांग तेरी दिलबर,
चूम के दे जायेंगीं, नाम मेरा लबों पर,

ये जो हैं, बूँदें ओस की,
क्या है इनसे तुम्हारी दोस्ती,
जब भी नाम लेता हूँ, तुम्हारी महक आए,
अरे चल रे पगले चल, तू क्यों दिल को बहलाए,
दिल को बहलाना है, इस तरह या उस तरह,
जिंदगी फ़साना है, इस तरह या उस तरह,
तेरे मेरे बीच में जो भी आए दीवार,
उनको मैं तोड़ दूँगा,
अनचाहे आए कोई तूफ़ान हज़ार,
उनको मैं मोड़ दूँगा,
और दस्तक दे कोई...
चारों पहर दरवाजे पे....खोलो...
खोलो ...खोलो....खोलो...

दूसरे सत्र के १९ वें गीत का विश्वव्यापी उदघाटन आज.

SONG # 19, SEASON # 02, "UDTA PARINDAA" OPENED ON AWAAZ ON 07-11-2008.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion


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9 श्रोताओं का कहना है :

Avanish Gautam का कहना है कि -

mujhe toh bhai badhiya laga! Sudeep Yashraj badhai ke patra hain. badhaiyan!

Divya Prakash का कहना है कि -

आपकी आवाज़ बहुत अच्छी लगी मुझे ....... गाने के बोल कुछ और बेहतर हो सकते थे .....
सादर दिव्य प्रकाश

Anonymous का कहना है कि -

i always loved sudeep voice and his way of compositions....only thing i think that he should work more easy to understand lyrics...best part is his voice and singing it has lot of feel....keep rocking man

sajeev sarathie

Anonymous का कहना है कि -

hey man
gud lyrix
visit www.myspace.com/puneetpaul
for my song covers

KRISHN A RAJ KUMAR का कहना है कि -

Hellooo
your voice is different....but at some places voice takes the back seat you need to work on low registers.. when u sing the low portions ur voice is not heard.....the BGM is powerful and rich indeed but i didn't like the arrangement...

Janmejay का कहना है कि -

bahut-bahut badhai!
bara hi madhur geet hai!sudeep ji ko avam sampurn yugm parivar ko badhai ek aur sundar geet ke liye.

geet ki gayki ke sath-sath sangeet v bol bhi sudeep ji ke hi hain,is hetu geet ke sabhi pakshon me samanvay nazar ata hai aur geet behad bhavpurn ban para hai.is safal prayas ke liye sudeep ji ko badhai.

sudeep ji ki awaz me ek softness hai,jo aise melodious songs me kafi jachte hain.haan,recording agar aur behtar hoti to inki awaz aur behtar nikhar kar ati.uchcharan me tanik truti avam aspashta rah gayi hai,jis par aur mehnat ki jani chahiye thi.

geet ke bol bare bhavpurn hain,bari pyari-si baat kahi gayi hai isme ki panchhi thak jayega to bhala sandesh ko nayika tak bhala kaun pahunchayega!wah! waise geet ke shabdon ko thore aur behtar tareeke se piroya ja sakta tha.

sangeet bahut sundar hai aur is geet ke bhav ko bilkul support karta hai.geet ki samapti ka andaaj achchha laga,magar is prayas ko aur behtar banaya ja sakta tha.

kul mila kar,yah geet bara madhur v karnpriy ban para hai.technically jyada strong nahi lag raha hai,instruments kuchh jaghon par achchhe to kuchh jaghon par below average lage jise sudhara ja sakta hai.nikat bhavishya me is geet ke proper studio-recording ki prateeksha rahegi.is geet me sambhavnayen hain.video banaiye,agar sambhav ho sake to.

hardik shubh kamnayen avam dheron badhai!

dhanyawaad!

-Janmejay

दिलीप कवठेकर का कहना है कि -

Krishna Raj kumaar has said it correctly.

The Music , its selection of intruments and arrangement is not at all bad, but good.There is a stereo effect also labouriously put into.

Only, Singer has to work upon the voice throw, as उनकी आवाज़ में एक कशिश है, सुबह के ओस जैसी पवित्र भी.

"Nira" का कहना है कि -

bahut achi awaaz hai aor geet ke bol bhi bahut ache hain
badhai

shivani का कहना है कि -

सुदीप जी आपका बहुत शुक्रिया इतना सुन्दर गीत प्रस्तुत करने के लिए !आपकी आवाज़ और गायकी सुन कर मुझे पंकज उधास जी की याद आई !इसमें कोई शक नहीं की इस गीत को इतना सुन्दर रूप देने में संगीत का भी उतना ही हाथ है जितना आपकी कलम का !गीत ,संगीत और गायकी तीनो ही कर्णप्रिय हैं !आपकी और रचनाओं का बेताबी से इंतज़ार रहेगा !धन्यवाद !

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