रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


ComScore
प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, November 9, 2008

अच्छा कलाकार एक प्रकार का चोर होता है



भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी पर विशेष
"I accept this honour on behalf of all Hindustani vocalists who have dedicated their life to music" ये कथन थे पंडित भीमसेन जोशी जी के जब उन्हें उनके बेटे श्रीनिवास जोशी ने फ़ोन कर बताया कि भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान "भारत रत्न" के लिए चुना है. पिछले ७ दशकों से भारतीय संगीत को समृद्ध कर रहे शास्त्रीय गायन में किवदंती बन चुके पंडितजी को यह सम्मान देकर दरअसल भारत सरकार ने संगीत का ही सम्मान किया है, यह मात्र पुरस्कार नही, करोड़ों संगीत प्रेमियों का प्रेम है, जिन्हें पंडित जी ने अपनी गायकी से भाव विभोर किया है. उस्ताद अब्दुल करीम खान साहब के शिष्य रहे सवाई गन्धर्व ने जो पंडित जी के गुरु रहे, अब्दुल वहीद खान साहब के साथ मिलकर जिस "किराना घराने" की नींव डाली, उसे पंडित जी ने पहचान दी. १९ वर्ष की आयु में अपनी पहली प्रस्तुति देने वाले भीम सेन जोशी जी संगीत का एक लंबा सफर तय किया. हम अपने आवाज़ के श्रोताओं के लिए लाये हैं भारती अचरेकर द्वारा लिया गया उनका एक दुर्लभ इंटरव्यू जिसमें पंडित जी ने अपने इसी सफर के कुछ अनछुए पहलू खोले...

(सुनने के लिए नीचे के प्लेयर पर क्लिक करें)



गदक, कर्नाटक में ४ फरवरी १९२२ में जन्में पंडित जी ने यूँ तो इस सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार से पहले भी पदम् श्री, पदमभूषण, पदमविभूषण और कर्नाटक रत्न जैसे बड़े सम्मान पायें हैं पर सच तो ये है कि उनका कद हर सम्मान से बढकर है. बचपन में बेहद शरारती रहे पंडितजी के बारे में उनकी गुरु माँ गोदा बाई याद करती है "वो बचपन में गदक के वीरनारायण मन्दिर के "गोपुरम" पर चढ़ जाया करते थे, आज वो संगीत के उच्चतम शिखर पर हैं"

क्या कुछ और कहने की जरुरत है...सुनते है पंडित जी की गायकी के कुछ भिन्न भिन्न रूप -

ऐ री माई शुभ मंगल गाओ री...



संगीतकार ऐ आर रहमान के निर्देशन में उनका गाया "जन गण मन" सुनना भी है एक अनुभव -



फ़िल्म "बसंत बहार" में उन्होंने गाया ये गीत, जिसमें नायक की आवाज़ है मन्ना डे की. कहा जाता है कि मन्ना डे को जब ज्ञात हुआ कि उन्हें पंडितजी के साथ गाना है तो वो डर कर शहर छोड़ कर ही भाग गए...शायद ये उनका अपना अंदाज़ था पंडित जी जैसे बड़े कलकार का सम्मान करने का...क्योंकि कम तो वो भी नही थे...दो बड़े कलाकारों की इस जुगलबंदी का आनंद लें इस मशहूर गीत "केतकी गुलाब जूही...." को सुनकर.



पंडित जी को आवाज़ परिवार के सभी संगीत प्रेमियों की तरफ़ से हार्दिक बधाईयाँ.



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4 श्रोताओं का कहना है :

मानसी का कहना है कि -

बहुत अच्छी पोस्ट। हिन्दी युग्म बहुत अच्छा काम कर रहा है, अतुलनीय...

मानोशी

अवनीश एस तिवारी का कहना है कि -

पंडितजी को बहुत बहुत बधाई |
यह हमारा सौभाग्य है कि पंडितजी जैसा गुणवान हमारे देश में है |

-- अवनीश तिवारी

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन का कहना है कि -

इस समुचित सम्मान पर पंडितजी को बहुत बहुत बधाई!
इस पोस्ट के लिए आपका भी आभार.

abhipsa का कहना है कि -

pandit ji ucch koti ke kalaakar hain ismen sandeh ka prashan hi nahin uthata lekin post mein shri manna de ke liye ki gayi tippani ki wo shahar chhod kar bhaag gaye ko jis prakaar vyakt kiya gayaa uspe mujhe aaptti hai kripya in shabdon ko shaaleenta se prastut kar shri manna de ka apmaan na karen... jaise ki hum sabhi jaante hain ki manna de ne bhi apne jeevan mein acche sangeet ko hi mahatva dekar use prasaarit kiya hai...

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