रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, November 16, 2008

GO GREEN का संदेश दे रहे हैं गुलज़ार, शंकर, एहसान और लॉय



NDTV इंडिया ने पर्यावरण के प्रति लोगों को जागुरुक बनाने के लिए अब संगीत का सहारा लिया है. एक हरे भरे कल का सपना लेकर लगभग ७ महीने पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट ने अब अपने अभियान को और तेज़ करने के लिए एक थीम गीत बनाया है. इस नेक काम में NDTV का साथ दे रहे हैं संगीतकार त्रिमूर्ति शंकर एहसान लोय और गीतकार गुलज़ार. शंकर की आवाज़ में यह गीत यकीनन बहुत कुछ कह जाता है. आवाज़ अपने श्रोताओं के लिए लाया है ये ताज़ा गीत. ख़ुद भी सुनें और सब को सुनवायें. यह संदेश सब तक पहुंचें ताकि हम सब आज पर्यावरण के प्रति सजग बनें ताकि आने वाली पीढी के लिए हम एक बेहतर धरती का निर्माण कर सकें.



अपने इस नए गीत पर टिपण्णी करते हुए शंकर कहते हैं - "अगर इस प्रयास से हम १ व्यक्ति के मन भी पर्यावरण के प्रति प्रेम जगा पायें तो अपने काम को सफल मानेंगें." साथी एहसान नूरानी भी काम से बेहद खुश नज़र आए- "संगीत हिंदुस्तान में फिल्मों तक ही सीमित है, यहाँ इसे एक बड़े माध्यम की तरफ़ इस्तेमाल नही किया जाता. हमने इससे पहले भी कैंसर और ऐड्स जागरुकता के लिए भी संगीत के माध्यम से प्रयास किए हैं." लोय मंडोसा भी मानते हैं कि "शुरुआत हमें अपने घर से करनी पड़ेगी. मैंने अपने घर के सभी टूब्स बदल कर बल्ब इस्तेमाल करने शुरू कर दिए हैं."

गैर फिल्मी गीत बनते समय रचनाकार अपनी पसंद की चीजें करने के लिए अधिक स्वतंत्र होता है. शंकर एहसान और लोय ने भी इस गाने में बहुत से कुदरती पर्काशन और लाइव वाद्यों का प्रयोग किया है. गीत के बारे में क्या कहें. गुलज़ार साहब अपने हर काम में परफेक्शन लेकर आते हैं ये हम सब जानते हैं, और ये गीत भी इसका अपवाद नही है.

हवायें पत्ते पानी पेड़ जंगल सब्ज सोना है,
अगर तुम हो इतना ही जरूरी इनका होना है.

हवायें मैली मत करना कि जब तुम साँस लोगे,
ये दम वापस नही आएगा जब तुम खांस लोगे
उगाओ जिंदगी पर याद रखो दिल को बोना है...

पेड़ उगाओ छानो हवायें साफ़ करो,
अपनी जमीं से इतना तो इन्साफ करो,
उगाओ जिंदगी पर याद रखो दिल को बोना है...

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3 श्रोताओं का कहना है :

Manish Kumar का कहना है कि -

इसके बारे में NDTV पर सुना था। गुलज़ार ने क्या खूब लिखा है ये गीत। बहुत बहुत शुक्रिया...

Anonymous का कहना है कि -

nice man

shanno का कहना है कि -

इतना सुंदर गाना लिखा है गुलजार जी ने जैसे कि कोई देशभक्ति का गाना हो. और गाने वाले की आवाज़ की क्या तारीफ करुँ! बहुत-बहुत अच्छा गाया है. कई बार सुन चुकी हूँ. आप तीनों को खूब बधाई. कुछ ही लाइनों में इतना सारा संदेश दिया है. काश सब याद रखें

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