७ मार्च २००७ को हिन्द-युग्म पर एक गीत प्रकाशित हुआ था 'नाता'। आज हम उसी गीत को इसकी रचनाकार अनुपमा चौहान की आवाज़ में रिकार्ड करके आपके सेवा में दुबारा उपस्थित हुए हैं। आशा है आपको पसंद आयेगा।
स्वर- अनुपमा चौहान
बोल- नाता
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7 श्रोताओं का कहना है :
अनुपमा जी
अच्छा गाया है अगर संगीत भी साथ होता तो और आनन्द आ जाता है । मधुर आवाज़ की स्वामिनी हैं आप । बधाई स्वीकारें । सस्नेह
अनुपमा जी,
आपकी आवाज़ बहुत प्यारी है और आपने इसे गाया भी बहुत बढ़िया है। हाँ, सुनकर और स्पष्ट हो गया कि इसके प्रवाह में कहीं-कहीं बहुत है। फिर से शब्दों को इधर-उधर कीजिएगा।
अनुपमा जी
आपका गीत सुना निःसंदेह आपने इस गीत के नैसर्गिक सौन्दर्य को अपना स्वर देकर उभरने का पूर्ण अवसर दिया है. प्रवाह अवश्य कहीं कही खटकता है परन्तु कवि और गायक के मूल अन्तर को फ़िर भी आपने सम्हालने का अच्छा प्रयास किया है
स्नेह
anupama ji badhaai....
अनुपमा जी,
बहुत अच्छी कोशिश... गीत मधुर बन पड़ा है..
क्रपया अन्य पाडुकास्ट की तरह इसे भी डाउनलोड करने का विकल्प दे ताकि हम भी सुन सकेँ
बहुत ही अच्छा लगा सुन कर
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