पिछले महीने हिन्द-युग्म ने उद्घोषणा की थी कि जल्द ही प्रो॰ राजीव शर्मा की आवाज में उन्हीं की व्यंग्य कविताएँ पॉडकास्ट की जायेंगी। आज हम पहली व्यंग्य कविता लेकर हाज़िर हैं।
विपुल शुक्ला के सहयोग से प्रो॰ राजीव शर्मा की व्यंग्य रचना 'तरबूज का भूत' हम तक पहुँच सका है।
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नए साल के जश्न के साथ साथ आज तीन हिंदी फिल्म जगत के सितारे अपना जन्मदिन मन रहे हैं.ये नाना पाटेकर,सोनाली बेंद्रे और गायिक कविता कृष्णमूर्ति.
नाना पाटेकर उर्फ विश्वनाथ पाटेकर का जन्म १९५१ में हुआ था.नाना पाटेकर का नाम उन अभिनेताओं की सूची में दर्ज है जिन्होंने अभिनय की अपनी विधा स्वयं बनायी.गंभीर और संवेदनशील अभिनेता नाना पाटेकर ने यूं तो अपने फिल्मी कैरियर की शुरूआत १९७८ में गमन से की थी,पर अंकुश में व्यवस्था से जूझते युवक की भूमिका ने उन्हें दर्शकों के बीच व्यापक पहचान दिलायी.समानांतर फिल्मों में दर्शकों को अपने बेहतरीन अभिनय से प्रभावित करने वाले नाना पाटेकर ने धीरे-धीरे मुख्य धारा की फिल्मों की ओर रूख किया.क्रांतिवीर और तिरंगा जैसी फिल्मों में केंद्रीय भूमिका निभाकर उन्होंने समकालीन अभिनेताओं को चुनौती दी.फिल्म क्रांतिवीर के लिए उन्हें १९९५ में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरष्कार मिला था.इस पुरष्कार को उन्होंने तीन बार प्राप्त करा.पहली बार फिल्म परिंदा के लिए १९९० में सपोर्टिंग एक्टर का और फिर १९९७ में अग्निसाक्षी फिल्म के लिए १९९७ में सपोर्टिंग एक्टर का.४ बार उन्हें फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला.एक एक बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता और सपोर्टिंग एक्टर का और दो बार सर्वश्रेष्ठ खलनायक का.
सोनाली बेंद्रे का जन्म १९७५ में हुआ.सोनाली बेंद्रे ने अपने करियर की शुरूआत १९९४ से की.दुबली-पतली और सुंदर चेहरे वाली सोनाली ज्यादातर फिल्मों में ग्लैमर गर्ल के रूप में नजर आई. प्रतिभाशाली होने के बावजूद सोनाली को बॉलीवुड में ज्यादा अवसर नहीं मिल पाए.सोनाली आमिर और शाहरूख खान जैसे सितारों की नायिका भी बनीं.उन्हें ११९४ में श्रेष्ठ नये कलाकार का फिल्मफेअर अवॉर्ड मिला.
सन १९५८ में जन्मी कविता कृष्णमूर्ति ने शुरुआत करी लता मंगेशकर के गानों को डब करके.हिंदी गानों को अपनी आवाज से उन्होंने एक नयी पहचान दी. उन्हें ४ बार सर्वश्रेष्ठ हिंदी गायिका का फिल्मफेयर पुरष्कार मिल चूका है. २००५ में उन्हें भारत सरकार से पद्मश्री सम्मान मिला.
इन तीनो को इन पर फिल्माए और गाये दस गानों के माध्यम से रेडियो प्लेबैक इंडिया के ओर से जन्मदिन की शुभकामनायें.








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7 श्रोताओं का कहना है :
बहुत सही और सुंदर लगा यह व्यंग ,.सुनने में इसको बहुत ही मज़ा आया
आगे भी आपकी आवाज़ में और सुनने को मिलेगा राजीव जी ...
इसी शुभकामना के साथ
रंजू
kaafi koshish karne ke baad bhi link active nahin ho raha hai-kya karaan ho sakta hai??
अल्पना जी,
आपके सिस्टम पर फ्लैश प्लेयर का कौन का संस्करण (Version) है? मैंने कई जगह चेक कराया, हर जगह ठीक चल रहा है। यदि आपके पास IE के अलावा Mozilla हो तो उसमें भी ट्राई कीजिए
वाह बढ़िया व्यंग और गहरा भी sataire सा .... आपका अंदाज़ भी अच्छा लगा, पर आवाज़ बहुत धीमी आई है, कुछ background में संगीत आदि भी होता तो और एफ्फेक्ट आ जाता
बहुत अच्छा व्यंग्य सुनकर आनंद आ गया ....
* शुरू में आवाज़ धीमी है.
*बहुत ही संवेदनशील कविता ---
'बेरोजगारी के कारण एक ईमानदार युवा का ऐसा अंत जानकर दुःख होता है.
**और आज के समाज पर सही कटाक्ष किया गया है.
जहाँ कितनी ही प्रतिभाएं सिफारिशी लोगों की भेंट चढ़ गयी हैं.
एक सुझाव है--इस कहानी का शीर्षक तरबूज का भूत नहीं होना चाहिये था-क्योंकि एक बहुत ही गंभीर विषय को लेकर इस कहानी की रचना हुई है.तरबूज का भूत मुझे किसी बाल कथा का शीर्षक लगता रहा जब तक मैंने पूरी कहानी नहीं सुन ली.
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