रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Wednesday, December 12, 2007

ज़िंदा हो गया है (कहानी)



हमने पॉडकास्ट ब्लॉग 'आवाज़' की शुरूआत सूरज प्रकाश की कहानी 'एक जीवन समांतर' से की थी। आज कहानी सुनाने के क्रम में हम लाये हैं राजीव रंजन प्रसाद के स्वर में इन्हीं की कहानी 'ज़िंदा हो गया है'। यह कहानी कहानी-कलश पर २६ सितम्बर २००७ को प्रकाशित है।

नीचे ले प्लेयर से सुनें और ज़रूर बतायें कि कैसा लगा?

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sahil का कहना है कि -

aराजीव जी आपकी कहानी पढने का लाभ तो मैं नहीं पा पाया पर आज आपकी ही आवाज मी सुनकर ऐसा लगा मानो कहानी का हर एक पत्र मन मष्तिस्क में जिंदा हो गया है.
बहुत बहुत साधुवाद
साथ ही साथ पोडकास्ट से जुड़े सभी मित्रों को मेरे तरफ़ से धन्यवाद
उनके प्रयासों के कारण ही आज यह सब सम्भव हो पाया है
शुभकामनाओं समेत
आलोक सिंह "साहिल"

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