रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Friday, October 17, 2008

सुनो कहानी: प्रेमचंद की 'उद्धार'



प्रेमचंद की मर्मस्पर्शी कहानी 'उद्धार' का प्रसारण

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना 'आख़िरी तोहफ़ा' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की एक और मर्मस्पर्शी कहानी 'उद्धार', जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

नीचे के प्लेयर से सुनें.

(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

(Broadband कनैक्शन वालों के लिए)



यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंकों से डाऊनलोड कर लें (ऑडियो फ़ाइल तीन अलग-अलग फ़ॉरमेट में है, अपनी सुविधानुसार कोई एक फ़ॉरमेट चुनें)


VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं, तो यहाँ देखें।

#Ninth Story, Uddhaar: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/08. Voice: Anuraag Sharma

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5 श्रोताओं का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

अनुराग जी,
मैंने यह कहानी नहीं पढ़ी थी. आज सुनी. बहुत प्यारी कथा है. आपने बहुत मधुर आवाज मैं पढ़ी है. बधाई स्वीकारें.

राज भाटिय़ा का कहना है कि -

धन्यवाद

दीपाली का कहना है कि -

मैंने भी ये कहानी पहले नही सुनी थी...
कहानी बहुत ही अच्छी है.आपकी आवाज़ में कहानी सुनाने की आदत हो गई है.

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी का कहना है कि -

ब्लॉग के माध्यम की दृष्टि से कहानी थोड़ी लम्बी है। लेकिन प्रेमचन्द के कथ्‍य के क्या कहने? साधुवाद।

दिलीप कवठेकर का कहना है कि -

Bahut madhur aawaaz, surmayee !!

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