दिल्ली की इन "बदनाम गलियों" पर गुप्त कैमरे से शूट हुई मनुज मेहता की लघु फ़िल्म का प्रीमिअर, आज आवाज़ पर
ये कूचे, ये नीलामघर दिलकशी के,
ये लुटते हुए कारवाँ जिंदगी के,
कहाँ है कहाँ है मुहाफिज़ खुदी के,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक कहाँ हैं.
ये पुरपेच गलियां, ये बेख्वाब बाज़ार,
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार,
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक कहाँ हैं.
ताअफ़्फ़ुन से पुरनीम रोशन ये गलियां,
ये मसली हुई अधखिली जर्द कलियाँ,
ये बिकती हुई खोखली रंग रलियाँ,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक कहाँ हैं.
मदद चाहती हैं ये हव्वा की बेटी,
यशोदा की हमजिंस, राधा की बेटी,
पयम्बर की उस्मत, जुलेखा की बेटी,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक कहाँ हैं.
बुलाओ, खुदयाने-दी को बुलाओ,
ये कूचे ये गलियां ये मंज़र दिखाओ,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक को लाओ,
सना- ख्वाने- तकदीसे- मशरिक कहाँ हैं.
साहिर लुधिअनावी की इन पंक्तियों में जिन गलियों का दर्द सिमटा है, उनसे हम सब वाकिफ हैं. इन्हीं पंक्तियों को जब रफी साहब ने अपनी आवाज़ दी फ़िल्म "प्यासा" के लिए (जिन्हें नाज़ है हिंद पर वो कहाँ हैं...) तो ये नग्मा साहित्यप्रेमियों के दायरों से निकल कर आम आदमी की रूह में उतर गया. कोई मर्मस्पर्शी कविता हो या कोई दिल को छू लेने वाला गीत, विचारों को उद्देलित करने वाली कोई कलाकृति हो या फ़िर एक सार्थक सिनेमा, कला का उदेश्य हमेशा ही समाज को आईना दिखाना रहा है. एक ऐसी ही कोशिश की है हिंद युग्म के छायाकार कवि मनुज मेहता ने अपनी इस लघु फ़िल्म के माध्यम से. मनुज की खासियत रही है की वो चाहे जिस रूप में आए (कवि, छायाकार, या फिल्मकार) हर बार चुने हुए विषय को बेहद संवेदनशील अंदाज़ में पेश करते हैं और एक सवाल छोड़ जाते हैं, पढने सुनने और देखने वालों के जेहन में.
तो एक बार फ़िर याद कीजिये साहिर साहब के शब्दों को और देखिये मनुज मेहता की यह लघु फ़िल्म -
(एक बार प्ले पर क्लिक करें, बफ्फर हो जाने दें, फ़िर देखें...)
मनुज इस अनुभव के बारे में लिखते हैं -
We have used the hidden camera in this particular segment. we were not allowed to use camera inside the GB road Kothas. one policeman was with us but he warned me to switch off the camera otherwise pimps may damage the camera and other equipments. pimps are very dangerous at this part, they have blades and knifes with them and they do not feel fear to use them.
I showed them that the camera is off and in between I switched it on again.
you may see some jerks or unbalanced shot because i could not see the actual frame whatever is shot is all hidden.
No one else has taken these kind of inside shots up till now.
पार्श्व स्वर - नज़मा खान
स्क्रिप्ट - दिलीप मकुने
संपादन - रोज़ी पॉल
शोध - बिजोय कलिता
गुप्त कैमरा और निर्देशन - मनुज मेहता
हिंद युग्म का ये प्रयास आपको कैसा लगा हमें अवश्य बतायें.
आवाज़ की टीम इस बात पर विश्वास करती है कि समसामयिक विषयों पर ऑडियो और वीडियो फॉर्मेट में कही गई बात देखने सुनने वालों पर बेहद गहरा प्रभाव डालती है, जिस तरह की कोशिश मनुज और उनकी टीम ने की है,आप भी कर सकते हैं. आप अपने डी वी कैम या handycam से लघु फिल्में (विषय आधारित) बना कर हमें भेज सकते हैं. अधिक जानकारी के लिए podcast.hindyugm@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं
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19 श्रोताओं का कहना है :
एक बेहद बहतर तरीके से शूट हुई फ़िल्म है मनुज तुमने हिडेन कैम का इस्तेमाल जी खूबी से किया है उसका जवाब नही, पार्श्व संगीत और नजमा खान की आवाज़ विशेष ध्यान खीचती है, मुझे इस पूरी फ़िल्म का इंतज़ार रहेगा....आपको बहुत साड़ी शुभकामनायें
आप ने एक आईना दिखा दिया इस समाज को, बहुत ही सटीक
धन्यवाद
Its very much enlightning for the society,
I always have a question,how this prostitution wud come to an end...
I am sure this video of ur wud take some message around the country for better tomorrow...God bless you.
Excellent video... truely enlightening. Nazma ji aapki awaaz eske saath nyay kar rahi hai. Puri team ko badhai..
Nice work....The video was so touching...
मनुज जी आपने जी.बी रोड जैसे संवेदनशील इलाके की फिल्म बना कर साहस का परिचय दिया है !फिल्मों में इस प्रकार के विषय उठाये जाते हैं और दिखाए जाते हैं ,पर ग्लेमर के साथ !आज वास्तविकता देखने को मिली !साथ ही आपकी इस छोटी सी फिल्म के ज़रिये एक औरत की मजबूरी भी पता चली !सच में गरीबी भी न जाने क्या क्या करवाती है !बहुत ममस्पर्शी और वास्तविक फिल्म है !एक बार फिर आपका ये साहसिक कदम हमें बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर जाता है !चाहे वहां काम करने वाली महिलाएं कैसा भी काम करती हो ,परन्तु उनके मुंह ढंकने से स्पष्ट है की समाज में वो भी इज्ज़त चाहती हैं !वो भी समाज से डरती हैं ,ये मुंह ढकना उनकी मजबूरी दर्शाता है !आपकी साढ़े तीन मिनट की फिल्म बहुत से सवाल मन में छोड़ गयी और बहुत से सवालों का मनुज जी आपने जी. बी. रोड की हकीक़त दिखाने का साहस किया है,जिसके लिए आप बधाई के पात्र हैं !फिल्मों में ये दिखाया जाता है परन्तु जवाब भी दे गयी है !नजमा खान जी की आवाज़,दिलीप मकुने जी की स्क्रिप्ट,बिजोय कलिता जी का शोध और आपके केमरे ने मिल कर इस फिल्म को प्रभावशाली बना दिया है !बहुत ही प्रशंसनीय प्रयास है आप सबका !आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद !
मेरे लिए भी यह काम इतना आसन नही था, जैसा सोच के गए थे परिस्थितिया उतनी ही विपरीत थी, वहां जाने पर पता चला की हम कैमरा ओं तक नही कर सकते हैं और पिम्प्स के होने की पूरी पूरी संभावना हमारा कैमरा को नुक्सान पहुंचाने की है, पर फिर भी जैसे तैसे यह काम पूरा किया गया और रिजल्ट आपके सामने है.
आप सभी का तहे दिल से शुक्रिया की आप सबने इस छोटी कोशिश को सराहा.
प्रिय मनुज जी
आज आपसे इस विडियो के बारे में अवगत होने के उपरांत अवलोकन करने का अवसर मिला बहुत ही सराहनीय भावना और प्रयास .. साधुवाद 'hats off to you'
श्रीकान्त मिश्र 'कान्त'
hey man u had done a grt job
it seem to be very risky to go there
but on other side it is sour turth of our society
the political people always try to fill there pockets every time they will not let our country economic rise n these terrorist also
boss i salute u that u met me the turth
Hiii buddy... its gr8 u hav shown the one of the most typical living in India. This reality of life is so teasing to eyes & it hurts... when the government seems to be senseless towards this... I want more reports like this in future.... covering stories of this kinds...
v should always support dem n sud do sumthin for dem dat dey need 2 face wid such a circumstances.like we can do sumthin by connecting dis ppl thru any website dat if dis pages vl b open dis much amt of money vl b donated wid dis type of peoples or tie up wid the phone networks.HATS OFF 2 dis girls
jiwan ki andhi rah par manav itna aage ja raha hai ki use is dard ka shayad ehsas hi na ho par bhai aap ki koshish sarahniy hai ....
it is really a very nice presentation. over whelming script and the background music making it very simple 4 one to have a feel of the other side of a prostitute's life.
no words...just wanna sy.... woman is gr8........
poverty made people 2 live so difficult life.
your team put on the good question mark on the society n the goverment..
but i wanna know,how they can be get out of it???? do something which help these women
Its a nice short film with a a pure intension. to show how they live in this very society where we also live.
But What does he reporter wanted to prove or to change , it was just something like this happen as they show us in discovery channel ,
that tiger is hunting deer , so what ?
we can do nothing about it , just watching it for the sake of entertainment. Moreover it was new to me to know these rates .
But whatever ? nothing changes,
tell me does every girl is here due to some problem >?
They are here cause its d easy money , their career is short lived so is the career of sports , they chose to be here , else wid time they would have learned something or tried something else , and went into that field , so that , their earning should continue even after 40 . But they dont do that , cause its easy .
Comment here only if you do have any experience of talking to a young or old prostitute yourself .
They are there cause we want them to be there and they love it there , else why dont they try something new , something different , in which they dont have t hide themselves from camera .
hey buddy i am fully agreed with you you are right prostitution is a business for them a easy way to earn money.i don't say that all girls r der only for money might be some has geniune prblms but most of the girls are there professional nd they now how to make money.........bt a great jon done...
every body know about it nothing new
I m totally speechless today after seeing this movie because its based on real things. so i wanna thanks to you to make people realize that these women are working their in their bad circumstances. u showed the mirror to the socity. it is not being done to be rich only for living their life for bread and butter for bringing up the child and old family members. In hard circumstances.
especially i thanks to you for your daring work.
how do u cut out the damn song? couldnt hear anything in the video.
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