रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Tuesday, September 9, 2008

कुछ बातें गौरव सोलंकी से



आवाज़ पर हमारे इस हफ्ते के सितारे गौरव सोलंकी का सपना है - "ऑस्कर"

7 जुलाई, 1986 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के 'जिवाना गुलियान' गाँव में जन्मे गौरव के मन में इंजीनियर बनने की लगन के साथ-साथ एक नन्हे से कवि की कोमल कल्पनायें भी बचपन से पलती रहीं। एक दिन हाथों ने लेखनी को थाम ही लिया और लेखन शुरू हो गया। 15 वर्ष की आयु में काव्य-लेखन आरंभ किया।

आई.आई.टी. रुड़की में प्रवेश के बाद शौक अधिक गति से बढ़ने लगा और कवि के शब्दों में अब वे अधिक 'परिपक्व' कविताएँ लिखने लगे हैं। साहित्य पढ़ते समय रुचि अब भी गद्य में ही रही और एक कहानीकार भी भीतर करवट लेने लगा। कहानियाँ लिखनी शुरू की और फिर उपन्यास भी। युग्म के ताज़ा गीत "खुशमिज़ाज मिटटी" के गीतकार गौरव से हमने की एक संक्षिप्त सी बातचीत -


हिंद युग्म- गौरव सोलंकी, पहले एक इंजीनियर या एक कवि?

गौरव- पहले कवि और बाद में भी :)

हिंद युग्म - माँ का स्वेटर, पिता के साथ चाँद तक जाने की तमन्ना, प्रियसी के लिए एक तरफा प्यार, किस कविता ने सबसे ज्यादा संतोष दिया?


गौरव- सभी ने अपने अपने वक़्त पर लगभग उतना ही संतोष दिया। शायद चुनकर नहीं बता सकता कि कब ज्यादा संतोष मिला। जब भी लिखा, इसी उद्देश्य से लिखा कि आत्मसंतुष्टि तो हो ही।

हिंद युग्म- हिन्दी ब्लॉगिंग और हिंद-युग्म, कैसा रहा ये सफर लगभग दो सालों का?

गौरव- बहुत अच्छा सफ़र रहा। हिन्द-युग्म से ही कितने सारे पढ़ने वाले लोग मिले। हिन्दी ब्लॉगिंग फल-फूल रही है, लेकिन इसके अंदाज़ से मैं बहुत ज़्यादा संतुष्ट नहीं हूं। और अच्छा हो सकता है।

हिंद युग्म- खुशमिज़ाज मिटटी, क्या है इस गीत की कहानी?

गौरव- एक दिन पार्क में घूमते घूमते शुरुआती दो पंक्तियाँ दिमाग में आईं और फिर उसी शाम पूरा गीत जुड़ता चला गया। पहली दो पंक्तियाँ अब भी मुझे काफ़ी पसंद हैं। अब भी लगता है कि शायद पूरा गीत उस स्तर का बनता तो कुछ और ही बात होती। सुबोध की आवाज़ बहुत अच्छी है। अब मैं भी गुनगुनाता हूं तो उसी धुन में। जिस धुन को सोच कर लिखा था, वह अब भूल ही गया।

हिंद युग्म - युग्म का पहला गीत जिसका वीडियो भी बना, आप ख़ुद भी फ़िल्म निर्देशन में रूचि रखते हैं, इस वीडियो को आप किस तरफ़ रेट करेंगे?

गौरव -वीडियो मुझे पसंद नहीं आया। किसी गाने का अच्छा वीडियो बनाने के लिए उसमें एक कहानी भी चले तो बेहतर रहता है। नहीं तो बोझिल सा लगने लगता है। हर एक दृश्य के लिए आपके पास एक जवाब होना चाहिए कि कोई इसे क्यों देखे?

हिंद युग्म - अगले ५ सालों में गौरव ख़ुद को क्या करते हुए देखना चाहेगा?

गौरव - ऑस्कर जीतते हुए। कोशिश तो करूंगा ही। :)

हिंद युग्म - और जाते जाते कुछ अपने ही अंदाज़ में "आवाज़" के लिए कुछ ख़ास हो जाए

गौरव - क्या इतना काफ़ी नहीं है? :)

आपको पढ़ना और सुनना कभी काफ़ी नहीं हो सकता गौरव, हिंद-युग्म परिवार को आपसे बहुत सी उम्मीदें हैं, हम सब आपको ओस्कर जीतते हुए देखना चाहेंगे. युग्म पर गौरव का काव्य संग्रह आप यहाँ पढ़ सकते हैं, फिलहाल सुनते हैं एक बार फिर गौरव का लिखा और सुबोध का गाया ये बेहद खूबसूरत सा गीत "खुशमिज़ाज मिटटी"




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10 श्रोताओं का कहना है :

फ़िरदौस ख़ान का कहना है कि -

बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका...

सजीव सारथी का कहना है कि -

लेकर आईये ऑस्कर जनाब, हिंद युग्म के ताज पर एक और हीरा जड़े, शुभकामनायें .....

Smart Indian - स्मार्ट इंडियन का कहना है कि -

नौजवानों में आशा देखकर तय होता है कि देश का भविष्य उज्जवल है. ऑस्कर लाने के लिए शुभकामनाएं.

संगीता पुरी का कहना है कि -

गौरव सोलंकी से भेंट करवाने के लिए धन्यवाद।

Alok Shankar का कहना है कि -

gaurav hasnt even begun

pooja का कहना है कि -

गौरव जी , ऑस्कर जीत लाने के लिए बहुत सी शुभकामनाएं , लगे रहिये

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

जहाँ चाह है, वहाँ राह है। ज़रूर जीतेंगे आप ऑस्कर। शुभकामनाएँ तो ले ही लीजिए हमारी।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

कोशिशों को ही मिली हैं कामयाबी,
ऑस्कर की आसकर कर लक्ष्यभेदन ॥

तपन शर्मा का कहना है कि -

ऑस्कर तो मिल ही जायेगा... लगे रहिये...
मैं हिन्दयुग्म पर आपकी कवितायें पढ़ता आया हूँ इसलिये मुझे लगता है कि इस गीत को और भी अच्छा लिखा जा सकता था..

neelam का कहना है कि -

आसमान में भी हो सकता है ,सुराख़ |
जरा एक पत्थर तो तबियत से उछालो गौरव
फिर ऑस्कर क्या चीज है |
शुभकामनाओं के साथ

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