रेडियो प्लेबैक वार्षिक टॉप टेन - क्रिसमस और नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित


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प्लेबैक की टीम और श्रोताओं द्वारा चुने गए वर्ष के टॉप १० गीतों को सुनिए एक के बाद एक. इन गीतों के आलावा भी कुछ गीतों का जिक्र जरूरी है, जो इन टॉप १० गीतों को जबरदस्त टक्कर देने में कामियाब रहे. ये हैं - "धिन का चिका (रेड्डी)", "ऊह ला ला (द डर्टी पिक्चर)", "छम्मक छल्लो (आर ए वन)", "हर घर के कोने में (मेमोरीस इन मार्च)", "चढा दे रंग (यमला पगला दीवाना)", "बोझिल से (आई ऍम)", "लाईफ बहुत सिंपल है (स्टैनले का डब्बा)", और "फकीरा (साउंड ट्रेक)". इन सभी गीतों के रचनाकारों को भी प्लेबैक इंडिया की बधाईयां

Sunday, September 7, 2008

समीक्षा के अखाडे में पहली बार "अगस्त के अश्वारोही"



"अगस्त के अश्वारोही" गीतों ने जनता की अदालत में अपनी धाक बखूबी जमाई है, अब बारी है, समीक्षकों के सुरीले कानों से होकर गुजरने की, यहीं फैसला होगा कि किस गीत में है दम, सरताज गीत बनने का. आईये, पहले चरण के पहले समीक्षक से जानते हैं कि "अगस्त के अश्वारोही" गीतों के बारे में उनकी क्या राय है.

मैं नदी .. इस गीत में एक आशावाद झलकता है। कवि प्रकृति , नदी , पवन, धरा, पेड़ों, शाखों जैसे हल्के फुल्के शब्दों के माध्यम से अपनी बात बड़ी सरलता से कह देते हैं।
संगीत बढ़िया है पर जब गायिका गाती है मैं वहां , मुसाफिर मेरा मन.. जब संगीत अपनी लय खोता नजर आता है। मुसाफिर.. मेरा मन शब्द में संगीतकार उतना न्याय नहीं कर पाये, जितना गीत के बाकी के हिस्से में है। पार्श्व संगीत और दो पैरा के बीच में संगीत बढ़िया बना है, मानो नदी बह रही हो।
गायिका मानसी की आवाज में एक अल्हड़पन नजर आता है, बढ़िया गाया भी है परन्तु उन्हें लगता है अभी ऊंचे सुर पर अभी मेहनत करनी होगी। कुल मिला कर प्रस्तुति बढ़िया कही जायेगी।

गीत 4/5, संगीत 3/5, गायकी 3/5, प्रस्तुति 2/5, कुल 12/20.
वास्तविक अंक 6/10.

वो पीपल का पत्ता..गीत सामान्य गीत है। गीत के शब्द दिल को नहीं छू पाते.. गीत ऐसा होता है जो कि पहली पंक्तियाँ सुनने के साथ ही दिल में उतर जाता है। पर मैं कलाकार से क्षमा चाहता हूँ, वे इस गीत में ऐसा कुछ खास नहीं कर पाये। सिर्फ जज करने के लिये पूरा गीत सुनना पड़ा।
मात्र संगीत के बल पर गाना बढ़िया गीत नहीं बन पाता, उसके लिये बढ़िया बोल और उतनी ही बढ़िया गायकी होनी चाहिये। सिर्फ युवा पीढ़ी को ध्यान में रख कर बनाया गीत।
आवाज में भी एक कच्चापन स्पष्ट सुनाई देता है।

गीत 3/5, संगीत 2/5, गायकी 2/5, प्रस्तुति 3/5, कुल 10/20.
वास्तविक अंक 5/10.

जीत के गीत के संग.. कमाल का गीत। कवि को पूरे नंबर देने चाहिये.. गीत में एक बार फिर आशावाद झलका, जीवन से निराश पात्र को आशावाद की प्रेरणा देता गीत सचमुच दिल को छू जाता है। संगीतकार ने गीत में झालझोल नहीं रखा, संगीत में एक लयबद्धता है। संगीतकार ने शब्दों के साथ संगीत का तालमेल बहुत बढ़िया जमाया है। पर्वत सा इरादा...कर ले खुद से वादा.. शब्द जब गायक गाता है तब यूं अहसास मानो इससे बढ़िया धुन इस गीत की हो ही नहीं सकती थी।
अब आते हैं इस गीत के तीसरे पक्ष यानि गायकी की तरफ , गायक की आवाज में एक मिठास है, ताजगी है। सुंदर गीत, मधुर संगीत के बाद इतनी सुंदर आवाज गीत को कर्ण प्रिय बना देते हैं। गीत एक बार सुनने से मन नहीं भरता, बार बार सुना.. समीक्षा लिखना भुला दिया। बहुत बढ़िया प्रस्तुति।

गीत 4.5/5, संगीत 4.5/5, गायकी 4/5, प्रस्तुति 4/5, कुल 17/20.
वास्तविक अंक 8.5/10.

चले जाना... गीत बढ़िया। शिवानी जी बहुत उम्दा शायरा है उनके लिखे की समीक्षा करना आसान नहीं है। उनका गीत बहुत शानदार है। संगीतकार ने बढ़िया संगीत दिया है। पर फिर भी चले जाना.. शब्दों के बाद इल्केट्रोनिक वाद्ययंत्रों की आवाज को थोड़ा कम (लाऊडली) किया जाना चाहिये था। गीत/ गज़ल के मूड को देखते हुए संगीत थोड़ा भारी पड़ जाता है। थोड़ा गंभीर संगीत होता तो ज्यादा प्रभावित कर सकता था, ज्यादा मधुर हो सकता था।
इस गज़ल के गायक की आवाज में भी ताजगी है, बहुत संभावनायें है। कुल मिलाकर सुनने लायक..

गीत 4/5, संगीत 3/5, गायकी 4/5, प्रस्तुति 4/5, कुल 15/20.
वास्तविक अंक 7.5/10.

इस बार नजरों के वार.. गीतकार के शब्दों में दम है, संगीत बहुत बढ़िया। पिछले गीतों की तुलना में शुभोजेत के संगीत में परिपक्वता दिखी। जैसा मैने पिछली बार कहा था, संगीतकार में अपार संभावनाये हैं। उन्हें एक बात का ध्यान रखना होगा कि बाद्ययंत्र गीत पर हावी नहीं होने चाहिये पर उनका संगीत गायक की आवाज पर हावी हो जाता है। संगीत युवा पीढ़ी को थिरका सकता है पर लम्बे समय तक उसका प्रभाव बना सकने में ज्यादा सफल नहीं होते। संगीत दिमाग पर असर करता है पर दिल पर नहीं। ४ नंबर इस गीत की प्रस्तुति को सुनकर दिये हैं।
गायक की आवाज में भी अभिजित का स्पर्श लगता है जो सुखद है। गायक संगीत सीखे हुए लगते हैं और उनके गले में एक बढ़िया लोच है। बढ़िया प्रस्तुति के चलते गीत सुनने लायक बन गया है।

गीत 4.5/5, संगीत 4/5, गायकी 4.5/5, प्रस्तुति 3/5, कुल 16/20.
वास्तविक अंक 8/10.

चलते चलते

तो पहले चरण की पहली समीक्षा के बाद "जीत के गीत" है, सबसे आगे, पर "मेरे सरकार" और "चले जाना" भी बहुत पीछे नही हैं, अगले रविवार, अगले समीक्षक की समीक्षा के बाद हम जानेंगे कि क्या "जीत के गीत" अपनी बढ़त बनाये रखने में सफल हो पायेगा या नही.

अपनी मूल्यवान समीक्षाओं से हमारे गीतकार / संगीतकार / गायकों का मार्गदर्शन करने के लिए अपना बहुमूल्य समय निकाल कर, आगे आए हमारे समीक्षकों के प्रति हिंद युग्म अपना आभार व्यक्त करता है.

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श्रोता का कहना है :

shivani का कहना है कि -

अगस्त महीने के समीक्षा के अखाडे में समीक्षकों के फैसले का मैं स्वागत करती हूँ !एक गीत के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते ही उन्होंने फैसला लिया है !उनके अनुसार जीत के गीत को अधिकतम अंक मिले हैं !इस लिए इस गीत की पूरी टीम को मैं हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहती हूँ !सजीव जी,ऋषि जी और बिस्वजीत जी आप सब बधाई के पात्र हैं !आपकी मेहनत रंग लायी है ,बधाई स्वीकार करें !दूसरे स्थान पर विश्व दीपक जी ,सुभोजेत और बिस्वजीत आपको भी मेरी और से शुभकामनायें आपका गीत संगीत और गायन सराहा गया ,जान कर ख़ुशी हुई !भविष्य में और आगे बढें यही दुआ है हमारी !सुदीप जी आपकी तारीफ मैं यहाँ ज़रूर करना चाहूंगी की आपने पूरे गीत की सभी कमान खुद संभाली हैं ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है !आपके जज्बे को मेरा सलाम है !अगले गीतों में आपकी तलाश रहेगी !मैं नदी की रफ़्तार भी सही दिशा की ओर जा रही है !दूसरे चरण के लिए आप सब को एक बार फिर मेरी ओर से शुभकामनायें !धन्यवाद !

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