१ सितम्बर, अहमद फ़राज़ साहब के इन्तेकाल के ठीक ७ दिन बाद हमने आवाज़ पर फ़राज़ साहब की २३ ग़ज़लों की रिकॉर्डिंग उन्ही की आवाज़ में प्रस्तुत कर उन्हें पहली श्रद्धांजलि अर्पित की थी. मगर हम चाहते थे कि हमारी संगीत टीम भी उनकी किसी ग़ज़ल को अपने अंदाज़ में स्वरबद्ध कर उन्हें याद करें. दुर्भाग्य वश हमारे सभी ग़ज़ल संगीतकार दूसरे आयोजनों में व्यस्त होने के कारण समय नही निकल पा रहे थे, तभी आवाज़ पर ऋषि एस के किसी गीत को सुनकर एक नए संगीतकार/ गायक रफ़ीक शेख की आमद हुई. अब ये सौभाग्य की ही बात थी कि उनके पास फ़राज़ साहब की एक ग़ज़ल की धुन तैयार भी थी, हमारे आग्रह पर उन्होंने इस ग़ज़ल को अपनी आवाज़ में गाकर हमें भेजा, जिसे हम आज आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं. हम आपको बता दें कि रेफ़ीक़ शेख के रूप में हिंद युग्म आवाज़ को एक और नायाब हीरे की प्राप्ति हुई है, आने वाले किसी शुक्रवार को हम इस उभरते हुए गायक/ संगीतकार की ताज़ी ग़ज़ल भी आपको सुनवायेंगे. फिलहाल तो आनंद लेते हैं अहमद फ़राज़ साहब की इस खूबसूरत ग़ज़ल का, और याद करते हैं एक बार फ़िर इस सदी के उस अजीम शायर को जिसके कलाम ने शायरी को नए मायने दिए.
तेरी बातें ही सुनाने आए,
दोस्त भी दिल ही दुखाने आए.
फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं,
तेरी आने के ज़माने आए.
अब तो रोने से भी दिल दुखता है,
शायद अब होश ठिकाने आए.
सो रहो मौत के पहलू में फ़राज़,
नींद किस वक्त न जाने आए.
शायर - अहमद फ़राज़.
संगीत और आवाज़ - रफ़ीक़ शेख
Ghazal - Teri Baaten...
Poet/Shyaar - Ahmed Faraaz
Composer/Singer - Rafique Sheikh
अपने प्रोत्साहन /मार्गदर्शन से इस नवोदित कलाकार को और बेहतर काम करने के लिए प्रेरित करें.
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12 श्रोताओं का कहना है :
Bahut sunder.. badhaai..
तेरी बातें ग़ज़ल सुनी !रफ़ीक़ शेख जी को बहुत बहुत मुबारकवाद देना चाहती हूँ !४-५ बार सुन चुकी हूँ,और अभी दिल नहीं भरा !आपकी आवाज़ और गायकी तलत अज़ीज़ साहब जैसी लगती है और मैं उनकी प्रशंसक हूँ !भविष्य में भी आपकी गायकी का आनंद उठाना चाहती हूँ !धन्यवाद !
रफ़ीक शेख जी,
आपकी आवाज़ में ज़ादू है। मैं भी शिवानी जी की तरह बार-बार सुन रहा हूँ। यह सच्ची श्रद्धाँजलि है एक महान शायर को। बहुत ही अच्छा कम्पोज किया है आपने। मुझे तो आपकी ग़ज़ल का इंतज़ार रहेगा।
wah, kya baat hai!subhan allah!
'फूल खिलते हैं तो हम सोचते हैं,
तेरी आने के ज़माने आए.'
dard bhi yun bayan karte hain wo ki sun kar sukoo.n aata hai!
rafeeq shekh sahab ka tahe dil se shukriya ada karna chahunga ki unhone is khubsurat gazal ko apni awaz di.
bahut achhi peshkash 'awaz' ki taraf se,kabil-e-tareef!
faraz sahab ki aur bhi gazlen sun'ne ki khwahish rahegi...aur awaz agar shekh sahab ki ho to kya baat hai!
shukriya!
-Janmejay
रफ़ीक जी,सलाम वालेकुम ... आपकी आवाज़ में गज़ब की कशिश है..कानो से दिल में उतरती आवाज़ तो लुभाती ही है ..तबला वादक को भी खूब दुआएँ... उम्मीद है कि इसी तरह से लगातार आपकी आवाज़ में और भी गज़ले सुनने को मिलेगी...
रफीक शेख जी ,क्या गया है अपने हम तो आपकी आवाज़ के कायल हो गए है
अभी-अभी मैंने शैलेश जी के कहने पर ये ग़ज़ल सुनी,अगर न सुनती तो इतने अनमोल गायकी से वंचित रह जाती.वाकई इसे सुन कर बाकि सब भूल गई हु.अगले शुक्रवार को रफीक जी का इंतजार रहेगा.
रफीक भाई आपके संगीत और आवाज़ का कायल हुए बिना नही रहा जा सकता, कमाल की गायकी है मज़ा आ गया ...बहुत बहुत बधाई
ये आपके लिए दिलीप कवठेकर का संदेश -
यह युवा स्वर संभावनाओं से भरा हुआ है. गज़ल गायकी का पूरा शऊर है. गले में हरकतों में जो उतार चढाव दिखाया है, उसमें एहसास और भावनाओं का मिश्रण है ही, एक सुर से दूसरे सुर पर जाने में सुकून भरा सफ़र तय करती हुई यह आवाज़ है.
फ़िर से सुनायें, हम इन्तेज़ार करेंगे.
meri to sajhmein kuch nahin aa raha hai ke aap logonka main kaise shukriya adaa karoon, yeh to meri ik chotisi koshish thi,aap logo ne mera housala badhaya hai iskeliye main aapka tahe dilse shukriya karna chahta hoon, aur bhi gazalein bhejta rahhonga.u can visit my website www.rafiqueshaikh@multiply.com to know more about me.BYE-RAFIQUE SHAIKH
बहुत बढ़िया आवाज़ व संगीत....
Waah bhai, subhan allah. Tabiyat khush ho gayi.
Ise kehte hain ghazal gayiki.
Asha hai hind yugm rar rafeeq ki aawaaz mein aur ghazalein bhi sunne ko milengi.
Rafik Shekh sahab ko badhai
bahut hi badhiya gayki aur sur, bahut hi shandaar prstuti, umeed karoonga ki aage bhi is behtareen awaz sunai deti rahegi.
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