हेमंत कुमार की 19वीं बरसी पर अनिता कुमार की ख़ास पेशकश
आज 26 सितम्बर, हेमंत दा की 19वीं पुण्यतिथि। बचपन की यादों के झरोंखों से उनकी सुरीली मदमाती आवाज जहन में आ-आ कर दस्तक दे रही है। पचासवें दशक के किस बच्चे ने 'गंगा-जमुना' फ़िल्म का उनका गाया ये गीत कभी न कभी न गाया होगा!
"इंसाफ़ की डगर पे बच्चों दिखाओ चल के, ये देश है तुम्हारा"।
हेमंत कुमार |
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1943 में आये बंग अकाल ने उस समय के हर भारतीय पर अपनी अमिट छाप छोड़ी थी। रबींद्र संगीत का ये महारथी उससे कैसे अछूता रहता। 1948 में उसी अकाल से प्रेरित होकर उन्होंने सलिल चौधरी का लिखा एक गैर फ़िल्मी गीत गाया "गणयेर बधु" । इस गाने से हेमंत दा और सलिल चौधरी जी को बंगाल में इतनी प्रसिद्धी मिली कि फिर कभी पीछे मुड़ कर न देखा, बंगाली फ़िल्मों में बतौर गायक उन्हें टक्कर देने वाला कोई न था।
1951 में उनके मित्र हेमेन गुप्ता बंगाल से बम्बई की ओर चल दिये हिन्दी फ़िल्मों में अपना हाथ आजमाने। हेमेन ने "आनंदमठ" बनाने का फ़ैसला किया और जब उसमें संगीत देने की बात आयी तो उन्होंने हेमंत दा को याद किया। उनके इसरार पर हेमंत दा कलकत्ता से बम्बई आ गये और पहली बार किसी फ़िल्म का संगीत दिया।
सुजलाम-सुफलाम सुनें |
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गीत सुनें
छुपा लो यूँ दिल में
इंसाफ की डगर पे
बेक़रार करके हमें
ज़रा नज़रों से कह दो जी
तुम पुकार लो
ना तुम हमें जानो
जाने वो कैसे लोग थे
तेरी दुनिया में जीने से
या दिल की सुनो
वो कहते हैं न बम्बई है ही ऐसा मायाजाल, जो एक बार आया वो फ़िर जिन्दगी भर मुम्बई का ही हो कर रह जाता है। हेमंत दा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आनंदमठ से बतौर संगीतकार शुरु हुआ सफ़र कब गायकी की तरफ़ मुड़ गया पता ही न चला। हेमंत दा उस समय के बहुचर्चित हीरो देवानंद की आवाज बन गये। सचिन देव बर्मन के संगीत में पगी उनकी आवाज हर रंग बिखरा सकती थी। 'बीस साल बाद' फ़िल्म के शोख गाने
"बेकरार कर के हमें यूं न जाइए, आप को हमारी कसम लौट आइए"और
" जरा नज़रों से कह दो जी"
आज भी दिल को गुदगुदा देते हैं तो दूसरी तरफ़ 'खामोशी' फ़िल्म में धर्मेंद्र की आवाज बन वहीदा से इसरार " तुम पुकार लो" ,
'ममता' फिल्म का लता मंगेशकर के साथ गाया मेलोडियस गीत 'छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा' हर एक की जुबान पर है।
'बात रात की' फ़िल्म से "न तुम हमें जानो न हम तुम्हें जानें मगर लगता है कुछ ऐसा मेरा हमदम मिल गया"
इश्क और रोमांस की पराकाष्ठा है।
गुरुदत्त की प्यासा में "जाने वो कैसे लोग थे जिनको…"
या फ़िर हाऊस नं॰ 44 का गीत
"तेरी दुनिया में जीने से तो बेहतर है कि मर जाएं"
सुनते-सुनते किस के मुंह से आह न निकलेगी.
और 'अनुपमा' का 'या दिल की सुनो दुनिया वालों॰॰' धीर-गंभीर मगर मधुर गीत के जिक्र के बिना यह आलेख तो अधूरा ही रहेगा।
गीता दत्त के साथ |
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हेमंत दा शारीरिक रूप से अब हमारे बीच नहीं है पर उनकी आवाज हमारे दिलों पर आज भी राज करती है। कितने ही गाने हैं जो यहां जोड़ नहीं पाये लेकिन वो मेरी यादों में हिलोरे ले रहे हैं। साहब बीबी गुलाम के गाने कोई भूल सकता है क्या?
----अनिता कुमार
हेमंत दा |
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बंगला का कोई गायक भला रविन्द्र संगीत से अनछुया कैसे रह सकता है? हेमंत दा ने भी इसके गीत गाये| बंगला फिल्मो में भी गाये| खासकर बंगला के गीत-संगीत के लिए वे मशहूर रहे| बतौर संगीतकार उन्होंने १९४७ में बंगला फ़िल्म 'अभियात्री' में काम किया| १०० से अधिक बंगला फिल्मों में उन्होंने गीत-संगीत के लिए काम किए| बंगाल के इस अनोखे रत्न ने हिन्दी फिल्मो में भी प्रयोग किए|
कुछ अमर कृतियाँ -
प्यासा का गीत - जाने वो कैसे लोग थे ..... या फ़िर ये गीत - ये नयन डरे डरे .... ये जाम भरे भरे ....खामोशी का गीत 'तुम पुकार लो॰॰तुम्हारा इंतज़ार है' । हिन्दी फ़िल्म नागीन (१९५१) में उन्हें संगीत के लिए फ़िल्म फेयर पुरस्कार मिला| उन्होंने सलील चौधरी , सचिन देव बर्मन, गुरुदत्त, देव आनद आदि प्रसिद्ध कलाकारों के साथ काम किया| बंगला गायिका बेला जी के साथ शादी की| उनकी दो संतानें भी संगीत से ही जुड़ी रहीं| अपने जीवन के अन्तिम कुछ बरसों में उन्होंने देश-विदेश में स्टेज शो किए, दूरदर्शन और रेडियो पर अपने कार्यक्रम प्रतुत किए| २६ सितम्बर १९८९ को इस सफल कलाकार ने हमसे विदाई ली |
आज के इस दिन पर हम उनको अपनी भाव पूर्ण श्रद्धाँजली देते हैं|
हिन्दी फिल्मों जिनमें संगीत कार के रूप में काम किए -
खामोशी, गर्ल फ्रेंड, हमारा वतन, नागिन, जागृति, बंदिश, साहिब बीबी और गुलाम , एक झलक , फरार, आनंद मठ, अनजान, अनुपमा, इंसपेक्टर, लगान, पायल, रहीर, सहारा, ताज, उस रात के बाद, यहूदी की लड़की, दो दिल, दो दुनी चार, एक ही रास्ता, फेर्री, इन्साफ कहाँ है, हिल स्टेशन, फैशन, चाँद, चम्पाकली, बंधन, बंदी, सम्राट , सन्नाटा आदि।
अवनीश एस॰ तिवारी की पेशकश
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12 श्रोताओं का कहना है :
"bekrar krke hume yun na jayeye aap ko humare kasam laut aayeye, dekheye gulab ke ye daaleyan...." bhut sunder or maira favt song. Shukriya Hemant jee ke barey mey itna sunder artical publish kerne ke liye... great efforts"
Regards
अनीता जी शुक्रिया हेमंत दा के बारे मे इतनी सारी बातें बताने के लिए । और गाने भी आपने खूब अच्छे चुने है।
गीत-संगीत पर पहला आर्टिकल लिखा और आप छा गईं। क्या बात है। गाने में जानदार-जानदार चुनी हैं। मैं तो हेमंद दा के गाने अक्सर सुनता हूँ, लेकिन उनके बारे में इतना नहीं जानता था। बहुत ही बढ़िया प्रस्तुतीकरण।
अवनीश भाई, आपने भी संक्षिप्त में बहुत कुछ कह दिया।
हेमंत दा के इतने सारे गाने और जानकारी एक ही जगह पर उपलब्ध कराना बेहतरीन प्रयास है |
-- अवनीश तिवारी
हेमंत दा के बारे में इतनी अनमोल जानकारियाँ देने के लिए अनिता जी एवं अवनीश जी को तहे-दिल से शुक्रिया।
कमल अमरोही ने कहीं लिखा है, जब प्यासा फ़िल्म बन रही थी तो उन्होंने गुरुदत्त को सलाह दी कि फ़िल्म का क्लाइमेक्स गीत "ये दुनिया अगर मिल भी जाए..." हेमन्त दा से गवाए, गीता ( दत्त ) ने भी उनकी बात का समर्थन किया, पर गुरुदत्त सिधान्त्वादी थे उनका मानना था कि एक फ़िल्म में एक कलाकार के सभी गीत एक ही आवाज़ में होने चाहिए, खैर...पता नही रात ही रात गुरुदत्त ने कैसे अपना इरादा बदल दिया और उस महान और अमर गीत को गाया हेमंत दा ने....अनीता जी आवाज़ पर आपकी आमद बेहद सुखद रही, अब ये साथ बना रहना चाहिए, अवनीश का भी आभार, हेमंत दा को भावपूर्ण श्रद्धांजलि
जी बिल्कुल!
एक बात कहना चाहूंगा कि जब हेमंतदा की गायकी की बात चले और अनुपमा फिल्म के धीर गंभीर और मधुर गीत या दिल की सुनो दुनिया वालों- या मुजको अभी चुप रहने दो, मैं गम को कुशी कैसे कह दूं - जो कहते हैं उनको कहने दो का जिक्र ही ना हो तो यह लेख अधूरा ही कहा जायेगा।
:)
सभी दोस्तों का तहे दिल से शुक्रिया। सागर जी आप बिल्कुल सही कह रहे हैं।
बहुत उम्दा पोस्ट. "छुपा लो यूं दिल में प्यार मेरा ..." और "या दिल की सुनो ........." - All Time Favourites. हेमंत कुमार बतौर संगीतकार भी उतने ही पसंद हैं मुझे ..
बहुत अच्छी पोस्ट. धन्यवाद!
सागर भाई,
आपके सुझाव पर अमल करते हुए मैंने वो गाना भी जोड़ दिया है, कम से कम आपके लिए तो यह आलेख मुकम्मल हो गया।
लेकिन मुझे तो समझ में ही नहीं आता कि उनका कौन सा गाना छोडूँ, कौन सा नहीं। सुबह से उनके ५० गाने सुन चुका हूँ, मुझे तो सभी एक से बढ़कर लगे।
फिर भी हेमंद कुमार के एक गाने को प्रेरणात्मक गीतों की लिस्ट में शीर्ष १० में या सबसे ऊपर रखता हूँ। फिल्म थी १९६३ में आई 'हरिश्चंद्र-तारामती' और गीत था 'सूरज रे! तू जलते रहना'।
एक-एक पंक्ति सकारात्मक सोच को दर्शाता है और किसी में भी ऊर्जा भरने को पर्याप्त है। शुरू की पंक्तियाँ देखें-
जगत भर की रोशनी के लिए
करोड़ों की ज़िंदगी के लिए
सूरज रे!! सूरज रे! जलते रहना।
जब अंतरे को हेमंद गाते हैं तो लगता है जैसे आव्हान कर रहे हैं। क्या गीत है भाई-
जगत कल्याण की खातिर तू जन्मा है
तू जग के वास्ते हर दुःख उठा रे!
भले ही अंग तेरा भस्म हो जाय
तू जल-जल के हाँ, किरणे लुटा रे!
लिखा है ये ही तेरे भाग में
कि तेरा जीवन रहे आग में।
सूरज रे!! सूरज रे! जलते रहना।
इस गीत के बारे में कभी जी भर क लिखूँगा। अभी तो यही ११ गाने सुनिए।
इसी तरह से सुझाव देते रहें।
हेमंत दा के बारे में इतनी रोचक जानकारी उपलब्ध कराने के लिए अनीता जी एवं अवनीश जी आप दोनों को बहुत-बहुत धन्यवाद.और हां शैलेश जी हमें आपके भी लेख की प्रतीछा है....
आज हमंत दा के बारे में बहुत कुछ जन्नाने को मिला साथ ही संगीत का संग्रह भी उत्तम था.
कुलमिलाकर एक सतप्रतिशत सफल लेख.
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